शुक्रवार, 25 जुलाई 2025

भारतीय समाज में महिला का स्थान कल और आज - लेखक डॉ अशोक कुमार/अशोक चौधरी मेरठ।


भारतीय समाज जिसको हम सनातनी व हिन्दू भी कहते हैं एक महिला प्रधान समाज है ।पूरी दुनिया में भारत में ही ऐसा प्रचलन है कि हम अपने देश को भारत माता कहते हैं। वर्ना दुनिया में पाकिस्तान माता, बंगाल देश माता या अमेरिका माता नही कहा जाता।
यह कोई अभी की बात नहीं है-
अथर्ववेद के पृथ्वी सूक्त में "माता भूमिः पुत्रो अहं पृथिव्याः" यह श्लोक है, जिसका अर्थ है "यह पृथ्वी मेरी माता है और मैं इसका पुत्र हूँ".।
हमारे सनातन धर्म में ही कौशल्या नंदन राम,सोमित्र या सुमित्रानंदन लक्ष्मण,अंजनी सुत हनुमान, गंगा पुत्र भिष्म,राधेय सुत कर्ण,कुंती पुत्र अर्जुन, यशोदा नंदन,देवकी नंदन कृष्ण कहा गया है। उपरोक्त सूची यह दर्शाती है कि हमने महिला को प्रमुख माना है, महिला के सम्मान,उसकी सुरक्षा को सर्वोपरि माना है। भारतीय समाज में किसी परिवार या जाति की महिला का सम्मान ही उस समाज या परिवार के सम्मान या आदर का मापदंड है।
परंतु जब भारतीय संस्कृति पर दूसरी संस्कृति हावी हुई, उन्होंने अपनी शक्ति से समाज के मापदण्ड तोड़ने शुरू कर दिए तब सुरक्षा के लिए भारतीय समाज में भी महिलाओं को कुछ प्रतिबंध मे रखा। जैसे कछुआ खतरे को भाप कर अपने हाथ और पैर तथा सिर अपने कवच में अंदर सिकोड़ लेता है।उसी प्रकार की यह व्यवस्था संकट काल में अपनाई गई।
किन्तु उन विपरीत परिस्थितियों में भी हमारे देश के नायकों ने बिना जाति धर्म का भेदभाव किए महिलाओं के सम्मान की रिति को छोडा नही।
सन् 1580 में अकबर ने रहीम खां पुत्र बैरम खां को महाराणा प्रताप पर हमला करने के लिए भेजा।रहीम खां का परिवार उनके साथ था, युद्ध के समय रहीम खां की मुख्य सेना दूर चली गई। महाराणा प्रताप के पुत्र राणा अमर सिंह ने हमला कर रहीम खां के परिवार को महिलाओं सहित बंदी बना लिया,जब महाराणा प्रताप को यह सूचना प्राप्त हुई तो राणा प्रताप ने राणा अमर सिंह को आदेश देकर शत्रु पक्ष की महिलाओं को सम्मान सहित वापस रहीम खां के पास भेज दिया, बिना किसी शर्त के।
इस काल में रानी नायिकी देवी, पन्ना धाय,रानी दुर्गावती,रानी लक्ष्मीबाई, रामप्यारी चौहान जैसी बहादुर नारियों ने संकट काल में अपनी बहादुरी और प्रतिभा का लोहा मनवाया है।
 जैसे ही भारत आजाद हुआ, हमारी सरकार बनी, भारत में महिलाओं को अधिकार मिलने प्रारम्भ हुए। देश के पहले ही चुनाव में व्यस्क मतदाता मे सम्पूर्ण महिला मतदाताओं को शामिल किया गया। महिलाओं को संरक्षण देने के लिए कानून बनाये गये। भारत की राजनीति में भागीदारी देने के लिए पंचायत राज तथा नगर निगम व नगर पंचायत में महिलाओं को 33% आरक्षण की व्यवस्था की गई। 73 वां संविधान संशोधन कर 1992 में 73 वें संविधान संशोधन अधिनियम ने पंचायती राज संस्थाओं (पीआरआई) को संवैधानिक दर्जा दिया।
भारत की विधानसभा और लोकसभा में महिलाओं के लिए 33% का आरक्षण दे दिया गया है।संसद के दोनों सदनों ने महिला आरक्षण विधेयक 2023 [128 वां संविधान संशोधन विधेयक, 2023] पारित कर दिया है। विधेयक में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए कुल सीटों में से एक-तिहाई सीटें आरक्षित करने का प्रावधान है।
आजाद भारत में श्रीमती इंदिरा गांधी, पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल, वर्तमान राष्ट्रपति द्रोपदी मूर्मू, कुमारी मायावती,सूश्री जय ललिता, श्रीमती वसुंधरा राजे सिंधिया,ममता बनर्जी जैसी अनेक प्रतिभाशाली व शक्तिशाली महिलाओं ने अपनी उपस्थिति भारत के पटल पर दर्ज कराई है।
आज के भारत में महिलाओं को चाहिए कि वो खुलकर रहें और प्रत्येक क्षेत्र में अपनी प्रतिभा के अनुसार भागेदारी करें।आज के लोकतंत्र में महिला को अपने मन में असुरक्षा का भाव लाने की आवश्यकता नहीं है। भारत का कानून उनके साथ हैं और भारतीय समाज भी महिलाओं के साथ है।

भारतीय समाज में गुर्जर महिलाओं का स्थान 

भारतीय सनातन समाज में गुर्जर महिलाओं का बडा महत्व पूर्ण स्थान है। सृष्टि के रचियता ब्रह्मा जी की पत्नी जिनके नाम पर गायत्री मंत्र है।वो गायत्री देवी को गुर्जर बताया गया है। भगवान कृष्ण के साथ सबसे सम्मानित नाम राधा को भी गुर्जर समाज से जोड़ा जाता है। भारतीय समाज में एक मिथक के अनुसार गुर्जर महिला को शेरनी का अवतार माना गया है।एक दंत कथा के अनुसार जब भगवान शंकर भ्रमण पर चले गए तब माता पार्वती ने अपनी गाय की देखभाल करने के लिए अपनी शक्ति से एक बालक को प्रकट कर दिया,वह बालक धीरे-धीरे बडा होने लगा गाय को चराने व उसकी देखभाल करने लगा।जब वह व्यस्क हुआ तो माता पार्वती ने शंकर भगवान से आग्रह किया कि इस पुत्र की शादी करवाईये। शंकर भगवान ने एक सोने का कडा उस नवयुवक को दे दिया और कहा कि जो महिला तुमको पसंद आ जाए उसे यह कडा पहना देना। युवक उस कडे को लेकर चला गया, घूमता रहा ,जब शाम तक कोई महिला उसे नही मिली तब वह वापस अपनी गाय लेकर चल दिया।तभी सामने से एक शेरनी उसके सामने आ गई। उसने शेरनी का पंजा पकड़ कर कडा उसके अगले पंजे में डाल दिया।वह शेरनी शंकर भगवान के तप के प्रभाव से महिला के वेश में आ गई। युवक ने उससे शादी कर ली।उस युवक व युवती  को दुनिया के पहले गुर्जर और गुर्जरी बताया गया।कहने का तात्पर्य यह है कि गुर्जर महिला शेर की तरह बहादुर होती है।
आधुनिक युग में कुछ महत्वपूर्ण गुर्जर महिलाए जो निम्न है -
1- रानी नायकी देवी सोलंकी ने सन् 1178 में मोहम्मद गोरी को बुरी तरह युद्ध में हराया था।
2- पन्ना धाय ने उदय सिंह को बचाकर असिमित साधनों के स्वामी शासक बनबीर की योजना ध्वस्त कर दी थी।
3- रामप्यारी चौहान ने तैमूर का डटकर मुकाबला किया था। सन् 1398-99
4- सन् 1857 में मुजफ्फरनगर के शामली में आशा देवी गुर्जर ने अंग्रेजों के साथ घमासान युद्ध किया था।
5- पलवल में सन् 1947 में धौला गुर्जरी ने दंगाइयों को मार भगाया था,उसकी बहादुरी से प्रसन्न होकर सरदार पटेल ने धौला को उसके घर जाकर सम्मानित किया तथा 1000 रुपए का ईनाम दिया था पंजाब सरकार ने।
आज भारतीय संसद में श्रीमती रक्षा खडसे राज्य मंत्री है जो महाराष्ट्र से गुर्जर समाज से सांसद हैं तथा दूसरी कुमारी इकरा हसन उत्तर प्रदेश से सांसद हैं जो मुस्लिम गुर्जर समाज से है और चौहान गोत्र से है।
समाप्त