मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। इसलिए समाज के बनाए रिश्ते उसके जीवन का आधार होते हैं। यदि मनुष्य के जीवन से रिश्ते छीन लिए जाए और संसार की अकूत संपत्ति भी उसे दे दी जाए। उसके बाद भी वह गरीब ही रहता है।किसी जीव का रिश्ता उसकी माता से सबसे अधिक नजदीक का होता है। उसके बाद ही सब रिश्तों की शुरुआत होती है। जैसे पिता, भाई-भाभी, बहन-बहनोई,मामा,नाना,चाचा,ताऊ,बुआ आदि।
मेरे भी ऐसे ही रिश्ते है।मेरी माता जी मेरठ के गढ़ रोड पर स्थित हसनपुर कला गांव की थी।मेरे नाना जी तीन सगे भाई थे।इनमे सबसे बडे भाई का नाम धारा था, दूसरे का नाम रामचंद्र व तिसरे का नाम रगबीर था।धारा निसंतान थे, रामचंद्र जी व रगबीर के तीन -तीन संतानें थी। दोनों के दो- दो बेटे व एक-एक बेटी थी।इनमे रामचंद्र मेरे नाना थे,मेरे दो मामा हैं। जिनमे एक का नाम निर्भय सिंह वर्मा है तथा दूसरे का नाम सिब्बू सिंह वर्मा है। मेरे नाना जी के दूसरे भाई श्री रगबीर जी के भी तीन संतानें थी,जिनमे एक का नाम मगन सिंह, दूसरे का नाम हुकुम सिंह तथा तिसरी संतान का नाम हुकुमवती था।
मेरी माता जी का नाम श्याम कली देवी था जो अपने चाचा व पिता की संतानों में आयु में सबसे बडी थी।मेरे दोनों सगे मामा सरकारी अधिकारी थे, 23 सितंबर सन् 1965 में मेरा जन्म हुआ था।मेरे मामा अपनी बहन की संतान अर्थात मुझसे बडा प्रेम करते थे।इसका सबसे बड़ा सबूत यही था कि मेरे बडे मामा श्री निर्भय सिंह वर्मा जी ने मेरा नाम अपने बेटे अशोक के नाम ही रखा था। मेरे नाना नानी अकेले रहते थे,मेरे दोनों मामा सरकारी नौकरी के कारण बाहर रहते थे, इस कारण वो मुझे अपने पास हसनपुर कला गांव में ही रखते थे।लडकी का लडका होने के कारण मेरे नाना जी के सगे भाई के पुत्र जो मेरे मामा ही थे,भी मुझसे बडा प्रेम रखते थे।वो मुझे कभी भी अपने साथ अपने घर,जो मेरे नाना जी के घर से थोडा दूरी पर रहते थे तथा गांव से जा रही गढ़ रोड पर स्थित था,ले जाया करते थे।
मेरे मामा निर्भय सिंह वर्मा जी के तीन संतान,छोटे मामा सिब्बू सिंह वर्मा जी के चार संतान है।मामा जी के चाचा जी के बेटे श्री मगन सिंह व हुकुम सिंह जी के भी तीन तीन संतानें हैं।
हम भी सन् 1977 में मेरठ में ही मकान बना कर गढ़ रोड पर स्थित नेहरू नगर कालोनी में रहने लगे थे।बडे मामा जी भी वही फूलबाग कालोनी में रहते थे।छोटे मामा सिब्बू सिंह वर्मा जी दिल्ली में रहने लगे थे।मगन सिंह मामा जी जूनियर हाईस्कूल में अध्यापक थे तथा उनके भाई हुकुम सिंह जी किसान थे,ये दोनों हसनपुर कला गांव में ही रहते थे।मगन सिंह मामा जी के दो बेटे ब्रजेश कुमार तथा राजेश कुमार है, दोनों सरकारी नौकरी में थे,हम दोनों भाई मेरठ में ही अपना नीजी कार्य कर जीवन यापन कर रहे हैं। हुकुम सिंह जी के पुत्र किसान ही है। निर्भय सिंह वर्मा जी के दोनों पुत्र अशोक सरकारी नौकर थे व अरूण सरकारी नौकर है। छोटे मामा सिब्बू सिंह वर्मा जी के दोनों पुत्र अपना व्यापार करने लगे हैं।सब शादी शुदा हो गये थे।हम सबकी पत्नियां व बहने पढी लिखी है। परन्तु मगन सिंह मामा जी के बडे पुत्र ब्रजेश कुमार की पत्नी अनीता रानी पढी लिखी होने के साथ सबसे अधिक काबिल है,वो सरकारी नौकरी में हैं।बाकि सब गृहणी है। अनीता रानी मेरठ की मवाना तहसील के खेडकी गांव चौधरी रूमाल सिंह के पुत्र श्री पीताम्बर सिंह की पुत्री है।श्री पीताम्बर सिंह पांच भाई और चार बहिन है। पीताम्बर सिंह के तीन संतान थी, पुत्री अनीता रानी का जन्म 26-08-1968 को हुआ था। पीताम्बर सिंह मेरठ में लेबर कोर्ट में पेशकार थे। अनीता रानी एमए बी एड तक की शिक्षा प्राप्त किए हुए हैं। अनीता रानी का विवाह श्री ब्रजेश कुमार से 19-02-1988 को सम्पन्न हुआ। शादी के करीब सात वर्ष बाद 12-06-1995 को अनीता रानी की सरकारी नौकरी लग गई।अनीता रानी और ब्रजेश कुमार मेरठ की दामोदर कालोनी निकट आनंद हास्पिटल में मकान बना कर रहने लगे थे।
लेकिन ईश्वर की माया भी अजीब है,यह किसी की समझ में नहीं आती। ब्रजेश कुमार व उनकी पत्नी अनीता रानी जो सबसे अधिक समृद्ध भी है और काबिल भी, दोनों सरकारी नौकरी में हैं। जहां किसी भी तरह की परेशानी नही आनी चाहिए थी,वही कुदरत की सबसे अधिक कडी दृष्टि रही।भाई ब्रजेश कुमार के कोई संतान नहीं थी, जबकि सबके संतान थी,मेरे भी दो बेटियां हैं,उस पर 29-08- 2022 में भाई ब्रजेश कुमार की बिमारी के कारण मृत्यु हो गई।मगन मामा जी की मृत्यु पहले ही हो चुकी थी, उनके भाई हुकुम सिंह की भी मृत्यु हो चुकी थी, जबकि मगन व हुकुम मामा जी मेरे मामा श्री निर्भय सिंह वर्मा जी से छोटे थे।मेरी पत्नी ऊषा देवी की मृत्यु भी 14 मार्च सन् 2024 को हो गई थी। रिश्ते में तो में अनीता का ज्येष्ठ लगता हूं , परंतु इस रिश्ते की जिम्मेदारी, में अपने भाई ब्रजेश कुमार की मृत्यु के बाद कभी नहीं निभा सका, जबकि मे मेरठ में ही गढ़ रोड पर ही रहता था, अनीता मेरे घर से कुल दो किलोमीटर दूर आनंद नर्सिंग होम के पास रहती थी।यह मकान भी मैंने कभी नहीं देखा था, में तो ब्रजेश से हसनपुर कला गांव में ही मिला था या रास्ते बीच में। जबकि एक सामाजिक व राजनीतिक व्यक्ति होने के कारण बहुत से जाति समुदाय के लोगों से मिलता रहा हूं।
में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का कार्यकर्ता हूं, इसलिए राजनीतिक दल भाजपा से भी जुड़ा रहा हूं।संघ की ओर से मुझे ऐसा निर्देश हुआ कि मुझे धर्म जागरण मंच की ओर से चल रही पांच परियोजना, गुर्जर,जाट, राजपूत, त्यागी व ब्राह्मण समाज की गुर्जर परियोजना का मेरठ प्रांत का काम सम्भालना है।इस क्षेत्र में संगठन का गठन करना है,इस संगठन मे पुरुषों के अलावा कुछ महिलाओं को भी साथ लेकर संगठन बनाना है।
क्या अजीब संयोग था कि इस संगठन के गठन के कारण महिलाओं को जोड़ने के प्रयास में मेरी मुलाकात,जो मेरे ही मामा जी के पुत्र ब्रजेश कुमार की पत्नी से हुई। हुआ यूं कि आनंद नर्सिंग होम के सामने मेरा छोटा दामाद दुकान करता था, उसके पास मे ही पूर्व विधायक रामकृष्ण वर्मा के पुत्र पेंट की दुकान करता है।मेने उससे किसी पढी लिखी महिला को बताने के लिए कहा, उसने मुझे अनीता के बारे में बताया। लेकिन कोई कांटेक्ट नंबर नही था।डा निलम सिंह जो सिम्भावली डिग्री कालेज में प्रोफेसर हैं,उन पर भी इस परियोजना में कार्य करने का दायित्व है। में उनके पास गया,डा निलम को लेकर अनीता के घर गया,वो आफिस से वापस नही आयी थी, अनीता के घर के पास वाले घर से उनका कांटेक्ट नंबर मिल गया था।निलम ने नम्बर से अनीता से बात की, परंतु लगातार प्रयास के बाद भी अनीता से सम्पर्क नहीं हो सका था।जब निलम ने हथियार डाल दिए,तब मेंने अपनी मामी जी से सम्पर्क किया।मेने उनसे अनीता के पास चलने का निवेदन किया। मामीजी को साथ लेकर में अनीता के पास चला गया। अनीता ने मेरे निवेदन पर संगठन में काम करने की अनुमति दे दी।
आज भारत के समाज में परिवारो में कितनी दूरियां बन गई है कि जो मुलाकात या जुडाव परिवार के रिश्ते के कारण होना चाहिए था,वह कभी नही हुआ, हुआ तो संगठन के माध्यम से। चलो ये भी अच्छा ही हुआ। अनीता रानी जी ने गुर्जर परियोजना में मेरे साथ सहयोग करने का मेरा निवेदन स्वीकार कर लिया था।अब हमारा संगठन भी एक था, हमारा परिवार तो पहले ही एक था। दूसरा जो सबसे बड़ा जुडाव दुनिया में होता है,वह यह है कि हम एक ही दुःख से पीड़ित हैं।हम दोनों के जीवन साथी भी हमे छोड़ कर परलोक को चले गए हैं।
5 जनवरी सन् 2025 को मेरे द्वारा लिखी किताब ' 1857 के अमर क्रांतिकारी कोतवाल धन सिंह गुर्जर 'के विमोचन पर अनीता भी उपस्थित रही।
7 मार्च सन् 2025 को महिला दिवस की पूर्व संध्या पर आईएएम हाल मे मुख्य विकास अधिकारी मेरठ आईएएस नूपुर गोयल के कर कमलों द्वारा अनीता रानी जी को नारी शक्ति सम्मान से धन सिंह कोतवाल शोध संस्थान के तत्वावधान में आयोजित कार्यक्रम मे सम्मानित किया गया।एक संघर्षशील जीवन को सराहने का एक छोटा सा अवसर प्राप्त हुआ और मेरे मन को भी तसल्ली हुई कि एक ज्येष्ठ के नाते तो में कुछ ना कर सका, परन्तु संगठन के सहयोगी के नाते ही सही कुछ तो हुआ।
उसके बाद 9 मार्च सन् 2025 को गुर्जर परियोजना की एक बैठक परियोजना के कार्यालय A-64 ग्राउंड फ्लोर हमारे पुरखे न्यास के अंतर्गत बैठक में अनीता रानी ने भी भाग लिया। जीवन यात्रा अभी चल रही है। देखें आगे क्या होता है? जीवन एक युद्ध क्षेत्र हैं ..................
युद्ध नही जिसके जीवन में वो भी बडे अभागे होगे।
या तो प्रण को तोडा होगा,या फिर रण से भागे होंगे।।
अपना अपना युद्ध सभी को जीवन में लडना पडता है।
अपने हाथों शिलालेख पर खुद को ही गढ़ना पड़ता है।।
सच की खातिर हरिश्चंद्र को सकुटुम्ब बिक जाना पडता।
काशी के बाजार में अपना मोल लगाना पडता।।
दासी बनकर के भरती है, पटरानी पानी पनघट में।
और खडा सम्राट वचन के कारण ,काशी के मरघट में।।
ये अनवरत लडा जाता है,होता युद्ध विराम नही है।
कौन भला स्वीकार करेगा, जीवन एक संग्राम नही है।।
अनीता जी सादर प्रणाम
आपका ज्येष्ठ/मित्र/शुभाकांक्षी /सहयोगी
अशोक चौधरी मेरठ।