मंगलवार, 29 अक्टूबर 2024

गुर्जर समाज साझी विरासत मेरठ प्रांत परम्परा लेखन,लेखक नुरूद्दीन चौहान पुत्र मरहूम हकीमुद्दीन चौहान गांव जहानपुरा, ब्लाक कैराना, जिला शामली सेवा निवृत्त जिला इंचार्ज उत्तर प्रदेश राज्य कर्मचारी कल्याण विभाग (UPGRWS)व फैमिदा चौहान पत्नी नुरूद्दीन चौहान निवास गांव बाबूपुरा ब्लाक ननौता जिला सहारनपुर बटार गोत्र। वर्तमान पता -107/12 निकट आरटीओ कार्यालय, शास्त्री नगर मेरठ। मो 0-9997289652।

मै (नुरुद्दीन चौहान) गुर्जर जाति के चौहान गोत्र से,जिला शामली का मूल निवासी हूं। हमारे शामली जिला में हमारे गोत्र चौहान/कल्श्यान के 84 गांव है।जिसे क्षेत्र में कल्श्यान खाप की 84 कहकर भी पुकारा जाता है।इन 84 गांव में 42 गांव हिन्दू गुर्जर चौहान व 42 गांव मुस्लिम गुर्जर चौहान के है। दोनों हिन्दू व मुस्लिम गुर्जर के पूर्वज एक ही है ऐसा हम सभी का सदा से मानना रहा है। हमारे लोगों मै ऐसी मान्यता है कि हमारे 84 गांव की जागीर हमारे पूर्वजों को सम्राट पृथ्वीराज चौहान के छोटे भाई हरिराज चौहान उर्फ हर्रा चौहान ने दी है। परंतु जो इतिहास के विद्वान है उनका ऐसा मत है कि चौहानों के प्रथम सम्राट बिसल देव चौहान ने जब दिल्ली के तंवरो को हराकर उनको अपना सामंत बनाया,तब इस क्षेत्र में अपनी पकड़ मजबूत बनाये रखने के लिए सम्राट बिसल देव चौहान ने दिल्ली के पास भाटी गुर्जरों को 360 गांव तथा हमारे पूर्वज कलशा  जिनके नाम से हमे कल्श्यान भी कहा जाता है,को 84 गांव की जागीर प्रदान की थी।
कल्श्यान खाप के बारे में एक मान्यता क्षेत्र में और भी प्रचलित है कि सम्राट बिसलदेव से जागीर मिलने के बाद जब चौहान गुर्जर इस क्षेत्र में रहने लगे,तो कुछ वर्षों बाद बुड्ढन सिंह चौहान नाम के एक व्यक्ति जो चौहान खाप के पूर्वज थे,ने अपने नाम से बुढ़ाना स्थान पर बस कर रहने लगे थे।उनके पास के क्षेत्र में ही बडी संख्या में जाट जाति के लोग भी निवास करते थे।एक बार जाट जाति के जागीरदार का बेटा शादी करके अपनी दुल्हन को ले जा रहा था। कैराना के पास स्थित तीतर वाडा के तीतर खां पठान जागीरदार ने हमला कर दुल्हन की डोली को छीन लिया।उस युग में इस प्रकार की  घटना होती रहती थी।वह जाट जागीरदार बुड्ढन सिंह चौहान के पास मदद के लिए पहुंचा।इस परिस्थिति में बुड्ढन सिंह चौहान ने अपने 20 पुत्रो को उस जाट जागीरदार के साथ अपनी सैन्य शक्ति सहित तीतर खां पठान से दुल्हन को मुक्त कराने के लिए भेजा।इस संघर्ष में बुड्ढन सिंह चौहान के 17 पुत्र बलिदान हो गये। तीतर खां पठान को उसके साथियों सहित समाप्त कर दिया गया। दुल्हन को मुक्त करा लिया गया।जो जाट जागिरदार था,जिसकी वह दुल्हन थी,उसका नाम बलशा था,बुड्ढन सिंह चौहान के तीन पुत्र,जो इस संघर्ष के पश्चात बचें, उनमें सबसे बडे पुत्र का नाम कलशा था,बाकि दोनों का नाम दीपा व देवडा था।इस संघर्ष की प्रसिद्धि के कारण जाट जाति के जागीरदार बलशा के कारण जाटो को बलशा के नाम से बालियान कहा जाने लगा,आज बालियान खाप के 84 गांव उस क्षेत्र में है,कलशा के नाम से 84 गांव कल्श्यान खाप के है,दीपे/दापे व देवडे के नाम से भी कई गांव मे गुर्जर बसे हैं, जिनमें दीपे/दापे गूर्जरों का मुण्डलाना एक प्रसिद्ध गांव है। तीतर वाडा गांव में आज भी ल्कल्श्यान गोत्र के गुर्जर रहते हैं, कल्श्यान,दीपे,देवडे तीनों ही चौहान गोत्र के गुर्जर एक ही भाई माने जाते हैं तथा आपस बेटी की शादी नही करते। बालियान खाप व कल्श्यान खाप में भी तभी से बडा ही घनिष्ठ भाई चारा चला आ रहा है।जब भी कोई संकट समाज या क्षेत्र पर आया है, आवश्यकता पड़ने पर बालियान और कल्श्यान खाप एक दूसरे के साथ खडी रही है।
लेकिन एक मत इतिहासकारों का यह भी है। जो इस प्रकार है -
कल्शान गुर्जरों की कल्शान खाप के 84 गाँव गंगा जमुना के ऊपरी दोआब में हैं| कल्शान शब्द की कुशान के साथ स्वर की समानता हैं| कल्शान की कुषाणों की बैक्टरिया स्थित राजधानी खल्चयान से भी स्वर की समानता हैं| सभवतः कल्शान खाप का समबंध कुषाण परिसंघ से हैं|

देवड़ा/दीवड़ा: गुर्जरों की इस खाप के गाँव गंगा जमुना के ऊपरी दोआब के मुज़फ्फरनगर क्षेत्र में हैं| कैम्पबेल ने भीनमाल नामक अपने लेख में देवड़ा को कुषाण सम्राट कनिष्क की देवपुत्र उपाधि से जोड़ा हैं|

दीपे/दापा: गुर्जरों की इस खाप की आबादी कल्शान और देवड़ा खाप के साथ ही मिलती हैं तथा तीनो खाप अपने को एक ही मानती हैं| शादी-ब्याह में खाप के बाहर करने के नियम का पालन करते वक्त तीनो आपस में विवाह भी नहीं करते हैं और आपस में भाई माने जाते हैं| संभवतः अन्य दोनों की तरह इनका सम्बन्ध भी कुषाण परिसंघ से हैं|
माता शाकुम्भरी,जो चौहानों की कुलदेवी है,उनकी एक सिद्ध पीठ भी सहारनपुर में सम्राट बिसल देव चौहान ने ही स्थापित की थी,ऐसी हमारे यहां मान्यता है।
मोहम्मद गौरी के दिल्ली पर अधिकार होने के बाद हमारा क्षेत्र भी सल्तनत काल का एक हिस्सा बन गया था। मोहम्मद गौरी के साथ सूफी भी थे।जो क्षेत्र में खानकाह/मठ बनाकर रहने लगे थे।समय गुजरता गया,जिस समय अलाउद्दीन खिलजी दिल्ली की गद्दी पर बैठा, उस समय  चौहान सरदार दो सगे भाई थे। इनमें से एक का नाम झुंझुन बद्री प्रसाद उत्तमदत राणा था वह जहां बसा उस स्थान का नाम आज झींझाना (शामली जिले में झींझाना ब्लाक) है, दूसरा जो इनका चचेरा भाई था जिसका नाम कर्णपाल उत्तमदत राणा था, वह कैराना में बस गया था।
दसवी शताब्दी के खजराहो अभिलेख में कन्नौज के गुर्जर प्रतिहार शासक के लिए गुर्जराणा उपाधि का प्रयोग किया गया हैं। इसलिए राणा उपाधि का प्रयोग यहां दिखाई देता है।
 एक बार खिलजी की सेना यमुना के किनारे कैराना के पास से होकर जा रही थी, खिलजी के सेनापति ने कैराना के राजा से सेना के लिए रसद की मांग की, जिसे राजा पूरी नहीं कर सका। उस सेनापति ने कैराना के राजा की शिकायत अलाउद्दीन खिलजी से की। खिलजी क्रोधित हो गया, खिलजी ने काजी अमीनुददीन के नेतृत्व में एक शक्तिशाली सेना कैराना के राजा पर हमले के लिए भेज दी। इस हमले का कैराना के चौहानो ने बड़ी बहादुरी से सामना किया, कैराना का राजा युद्ध के मैदान में लडता हुआ शहीद हो गया। काजी अमीनुददीन ने कैराना राज्य का दिल्ली के राज्य में विलय कर दिया। 
कुछ समय अंतराल के बाद कैराना राजपरिवार के सम्पर्क में एक सूफी आया, जिसका नाम सूफी शाह अब्दुल रज्जाक था जो झींझाना में खानकाह /मठ बनाकर रहता था, क्योंकि झींझाना राजपरिवार व कैराना राजपरिवार कभी एक ही बाप की संतान थे, अतः सूफी से सम्पर्क कराने में झींझाना वालों की भूमिका भी रही होगी। इस सूफी ने कैराना के राजपरिवार के लोगों को मुस्लिम बनने की सलाह दी, ऐसा विश्वास दिलाया कि मुसलमान बनने पर ही उनका आदर व उनकी सम्पत्ति सुरक्षित रह सकती है। इन्हीं सूफी की सलाह मान कर राजपरिवार के दो भाईयों में से एक भाई ने इस्लाम धर्म स्वीकार कर लिया, सूफी ने इस्लाम धर्म स्वीकार करने वाले राजकुमार का नाम "हसन "रखा। उस राजकुमार के साथ 84 में से 42 गांव भी इस्लाम धर्म में चले गए। इस तरह से कैराना में मुस्लिम गूजर जाति अस्तित्व में आ गई।
इस विदेशी तुर्की शासनकाल में जो हिन्दू अपना धर्म त्याग कर मुसलमान बन गए, विजेता मुसलमानों ने उन्हें कोई खास तरजीह नहीं दी, भारतीय मुसलमानों को सत्ता में बडे पदों से सदा दूर रखा, उन्हें शक था यदि भारतीय मुसलमानों को शक्ति दे दी गई तो ये अपने हिन्दू भाईयों के साथ मिलकर उनके सामने चुनौती पेश कर सकते हैं। सम्पूर्ण तथाकथित गुलाम युग में इमादुल -मुल्क -रावत को छोड़कर किसी भी भारतीय मुसलमान को उच्च पद पर नियुक्त नहीं किया गया और इमाद भी इसलिए उच्च पद पर पहुंच सका कि उसने अपने माता-पिता का नाम छिपा रखा था और विदेशी मुसलमानों की संतान होने का भ्रम बना दिया था, जब यह खबर तत्कालीन बादशाह बलबन तक पहुंची तो बलबन ने उसके वंश का पता लगाने के लिए जांच करवाई और जब बादशाह को यह मालूम हो गया कि उसके माता-पिता भारतीय थे तो उसके प्रति सुल्तान का व्यवहार रूखा हो गया। एक बार बलबन ने अपने दरबारियों को बहुत बुरा-भला कहा, क्योंकि उन्होंने अमरोहा जिले हेतु लिपिक के पद पर एक भारतीय मुसलमान को चुन लिया था।
कैराना के मुस्लिम बने हिन्दू भी विदेशी मुस्लिम शासन की इसी भावना के शिकार रहे, दिल्ली के दरबार में उन्हें कोई पद प्राप्त नहीं हुआ, परन्तु स्थानीय स्तर पर वो इस्लामिक शासन में हिन्दुओं के किये जा रहे अनावश्यक शोषण से बचे रहे, अपने मुसलमान बने भाईयों की आड़ में हिन्दू राजकुमार के समर्थक हिन्दू चौहान गूजर भी बेवजह की बहुत सी मुसीबतों से बचे रहे।
आगे चलकर ग्यासुद्दीन तुगलक के समय में राज्य के किसानों के लिए तुगलक ने पहली बार किसान निती शासन की ओर से बनाई।जिसके अन्तर्गत मुस्लिम किसान जागीरदार से 15% तथा हिन्दू जागीरदार किसान से 50% फसल का लगान निर्धारित किया गया।इस कारण भी दबाव बना।
थोडा सा ओर आगे चलकर फिरोज शाह तुगलक के शासनकाल में सिंचाई के लिए कुछ नहरें खुदवाई गई। फिरोज शाह तुगलक ने दोबारा किसान निती को निर्धारित किया।जो किसान नहर के पानी से से खेतों की सिंचाई करतें थे।उन किसानों पर 10% लगान और बढा दिया गया। मुस्लिम किसान पर लगान 15 के स्थान पर उन पर 25% तथा हिन्दू किसान पर 60% लगान राशि लेना निर्धारित किया गया।
केराना के राजकुमार 
राणा वीर साल (इस्लाम कबूल कर लिया) इनका नाम 
 राय दीन हसन 
 चाँद दीन हसन 
 राणा नेमत अली हसन 
 राणा जीवन अली हसन 
मुग़ल बादशाह अकबर के समय भी कल्शान खाप प्रभावशाली रूप से अस्तित्व में थी| 1578 ई. में अकबर ने दिल्ली सूबे की पांच खाप जिनमे बालियान जाट खाप, कल्शान गूजर खाप, सलकलेन जाट खाप, दहिया जाट खाप तथा गठवाला जाट खाप सम्मिलित थी, के लिए एक फरमान ज़ारी कर उन्हें धार्मिक मामलो और आतंरिक प्रशासनिक मामलो में स्वतंत्रता प्रदान की थी| आज भी कल्शान खाप के चौहान गुर्जर बालियान और सलकलेन जाटो से विशेष भाईचारा मानते हैं| अबुल फज़ल द्वारा लिखित आईन-ए-अकबरी पुस्तक के अनुसार दिल्ली सूबे की सहारनपुर सरकार में कैराना महल के जमींदार गूजर जाति के थे| इसके अतिरिक्त कांधला जोकि दिल्ली सरकार के अंतर्गत था, वहाँ के जमींदार भी गूजर जाति के थे| इस प्रकार हम देखते हैं कि अकबर के शासनकाल में कल्शान चौरासी के क्षेत्र कैराना-कांधला में गूजर जमींदार थे|
 राणा गुलाब अली हसन (सन् 1857 में)
नादिर अली हसन उर्फ़ न्यादरा
रहमत अली हसन  आदि रहें हैं। कुछ नाम हम भी भूल गए हैं।
अंदर से सूफियों के समझाने पर ऐसा भी हुआ बताया जाता है कि जो हिन्दू जागीरदार थे, उन्होंने मुस्लिम धर्म स्वीकार कर लिया,ताकि उन जागीरदारों के बाकि भाई बिरादर जो जागीरदार के काश्तकार होते थे, बढ़े लगान की मार से बच सकें। अतः मुस्लिम गुर्जरों में बहुत कम आबादी में पंवार,बटार, भड़ाना, कटारिया आदि गोत्र के गुर्जर मुस्लिम बागपत, मुजफ्फरनगर, बिजनौर, अमरोहा जिले में पाये जाते हैं।
कैराना में आज भी कल्शान चौपाल हैं, जहाँ खाप की आवश्यक बैठक होती हैं| वर्तमान कैराना निवासी चौधरी रामपाल सिंह कल्शान चौरासी खाप के मुखिया हैं| आप पूर्व सांसद चौधरी हुकुम सिंह के भतीजे हैं।


मुजफ्फरनगर जिले के खतौली ब्लाक में तिसंग नाम का गांव है, जिसमें पताहा गोत्र के मुस्लिम गुर्जर आबाद है।ये गुर्जर अपने आप को खतौली ब्लाक के पताहा गोत्र के हिंदू गुर्जर बाहुल्य गांव अंतवाडा से अपना निकाल मानते हैं। तिसंग गांव के इरशाद नेता जी (मो-9358810122),असजद गुर्जर (मो-9927414272), खालिद गुर्जर (मो -9760602960)जो पताहा गोत्र के है।उनसे इस विषय मैं मेरी व अशोक चौधरी जी की वार्ता हुई है। अशोक चौधरी भी खतौली ब्लाक के अंतर्गत भटौडा गांव के मूल निवासी हैं तथा पताहा गोत्र के है।जो काफी समय से मेरठ में निवास करते हैं।
क्षेत्र में ऐसी मान्यता है कि अंतवाडा गांव बहुत पहले इनके पूर्वज अंतराम के नाम पर बसा हुआ है। अंतवाडा गांव के रहने वाले एक सेवा निवृत्त अधिकारी श्री रमेश चंद्र गुर्जर(मो -9999391993),जो इस समय मेरठ में गंगा नगर कालोनी में रहते हैं,का यह कहना है कि उनके पूर्वज श्री अंतराम जी किसी समय कन्नौज में निवास करते थे।बाहरी हमलो का दबाव पड़ने के कारण वो काली नदी के खादर से नदी के किनारे चलते हुए यहां आकर बसे हैं।काली नदी अंतवाडा गांव से ही निकलती है तथा कन्नौज को होते हुए आगे चलकर गंगा नदी में मिल जाती है। रमेश चंद्र गुर्जर जी का यह मानना है कि उनके पूर्वज चौधरी अंतराम पताहा जी कन्नौज की गुर्जर प्रतिहार डायनेस्टी से सम्बंधित है।यह प्रतिहार शब्द ही देसी भाषा में पताहा हो गया है।प से र व हा के बाद का र देसी उच्चारण मे गायब हो गया है।
 संगठनात्मक रूप से मेरठ विभाग के पांचों जिलों की बैठकें हो चुकी है, गुर्जर समाज साझी विरासत के नाम से पांचो जिलों के वाट्स एप पर ग्रुप बन गये है।जिनमे सकारात्मक विचारों का आदान-प्रदान हो रहा है।
बैठको का विवरण निम्न प्रकार है -
मेरठ प्रांत के मेरठ विभाग के मवाना जिला की बैठक 01-09-24 को मवाना में सुभाष गुर्जर के निवास स्थान हुई,इस बैठक में मेरठ प्रांत के गुर्जर समाज साझी विरासत के संयोजक अशोक चौधरी,मेरठ विभाग के संयोजक ब्रह्म पाल सिंह लखवाया तथा अन्य कार्यकर्ता उपस्थित रहे।
 जिला मेरठ महानगर पश्चिम की बैठक 02-09-24 को सुशांत सिटी सेक्टर 5 सनातन धर्म मंदिर में सम्पन्न हुई।इस बैठक में मेरठ प्रांत में चल रही सभी जातियों की साझी विरासत के संयोजक योगेन्द्र त्यागी जी का मार्गदर्शन प्राप्त हुआ।
पूर्वी मेरठ महानगर -
5 सितंबर सांय 5 बजे गुर्जर समाज साझी विरासत मेरठ प्रांत के मेरठ विभाग के पूर्वी मेरठ महानगर जिला की एक बैठक प्रांत कार्यालय गढ़ रोड 67 भूतल अपेक्स पर आयोजित की गई। बैठक में पूर्वी मेरठ महानगर के संयोजक गुलबीर सिंह जी के साथ सरदार मेम्बर सिंह, सरदार शो सिंह,अनुज भड़ाना,सूरेंद सिंह गोहरा, जितेंद्र सिंह भड़ाना, नरेंद्र भड़ाना, प्रवेश भड़ाना आदि सदस्य उपस्थित रहें। बैठक को प्रांत संयोजक योगेन्द्र त्यागी, गुर्जर समाज साझी विरासत के प्रांत संयोजक अशोक चौधरी,मेरठ विभाग संयोजक ब्रह्म पाल सिंह लखवाया जी ने सम्बोधित किया।बैठक में गुर्जर समाज की बेहतरी के लिए कार्य करने की योजना पर विचार विमर्श हुआ।
मवाना जिला के बस्तौरा गांव में बैठक -
मेरठ जिले के हस्तिनापुर ब्लाक के बस्तोरा गांव में प्रधान खलील कटारिया जी के निवास स्थान पर गुर्जर समाज साझी विरासत समिति के तत्वावधान में आज तीन बजे एक बैठक का आयोजन किया गया, बैठक में समाज साझी विरासत के प्रांत संयोजक योगेन्द्र त्यागी, गुर्जर समाज साझी विरासत मेरठ प्रांत के संयोजक अशोक चौधरी, विभाग संयोजक ब्रह्म पाल सिंह लखवाया, पश्चिम मेरठ महानगर के संयोजक सतेंद्र भडाना, मवाना जिला संयोजक ऋषिपाल सिंह कंसाना,प्रांत सह संयोजिका मुकेश रानी एडवोकेट,रूपा जैन, चौधरी जयवीर सिंह ,डा हरेंद्रसिंह तथा क्षेत्रीय संघ चालक माननीय श्री सूर्य प्रकाश टोंक जी चर्चा में सहभागी रहें।
गाजियाबाद जिला के मोदीनगर में बैठक -
आज दिनांक 26-09-24 शाम 7 बजे गाजियाबाद जिला की गुर्जर समाज साझी विरासत समिति की एक बैठक मोदी नगर में सम्पन्न हुई, बैठक में मेरठ प्रांत संयोजक अशोक चौधरी ने स्थानीय कार्यकर्ताओं से संगठन विस्तार पर चर्चा की। बैठक में रजापुर ब्लाक के संयोजक जयकरण सिंह दौसा, मोदीनगर नगर पालिका संयोजक धर्मवीर सिंह सीकरी, गाजियाबाद विभाग के संयोजक श्री तेजपाल सिंह पोसवाल उपस्थित रहें।
जिला हापुड़ की बैठक -
गुर्जर समाज साझी विरासत जिला हापुड़ समिति की एक बैठक आज 27-09-24 को कुचेसर चौपला पर आयोजित की गई। बैठक की अध्यक्षता हापुड़ के जिला संयोजक राजबल सिंह ने की। बैठक में मेरठ प्रांत संयोजक अशोक चौधरी ने आने वाले समय में गुर्जर समाज साझी विरासत समिति को क्या करना है? इसका एक रोड मेप उपस्थित कार्यकर्ताओं के सम्मुख रखा तथा सिम्भावली ब्लाक के हिम्मत पुर गांव में रह रहे गुर्जर समाज के मुस्लिम बंधुओं को भी साथ मे लेकर चलने की योजना बनाने का आग्रह किया। बैठक में मेरठ के विभाग संयोजक ब्रह्म पाल सिंह लखवाया व मेरठ महानगर पश्चिम के संयोजक सतेंद्र भडाना ने भी अपने विचार रखें। बैठक में सह संयोजक प्रिस मावी,सह संयोजक कुलदीप सिंह गांव आलम नगर तथा गढ़ ब्लाक के संयोजक ओ पी भाटी गांव लडपुरा, सिम्भावली ब्लाक के संयोजक श्री प्रशांत गुर्जर गांव हिम्मत पुर,नवीश गुर्जर, परविंदर मावी, सतेंद्र प्रधान गांव पीर नगर,डा पुष्पेन्द्र, मोहित गुर्जर, पुष्पेन्द्र हूण गांव मुक्तेशरा, विरेन्द्र भाटी गांव देवली, सुधीर विधूड़ी गांव हिरन पुरा, बिजेंद्र नागर गांव सरीख पुर, अमित कुमार गांव नवादा खुर्द, प्रदीप मुखिया गांव गोहरा, मांगेराम गांव हैदरपुर, सुमीत गुर्जर गांव छतनौरा उपस्थित रहें।
मवाना जिला के गांव सारंगपुर मे बैठक+
आज दिनांक 09-10-2024 को सांय काल 3 बजें गुर्जर समाज साझी विरासत जिला मवाना के अंतर्गत किला परिक्षत गढ़ ब्लाक के सारंगपुर गांव में एक बैठक हिंदू गुर्जर व मुस्लिम गुर्जर की सम्पन्न हुई।बैठक की अध्यक्षता सारंगपुर गांव के प्रधान अकबर चौहान ने की, बैठक में समाज के वरिष्ठ समाजसेवी तथा विद्वान आदरणीय श्री सूर्य प्रकाश टोंक जी का मार्गदर्शन प्राप्त हुआ। बैठक में इतिहास के प्रोफेसर डा सुशील भाटी, मेरठ प्रांत के गुर्जर, राजपूत,जाट, त्यागी व ब्राह्मण समाज साझी विरासत के संयोजक श्री योगेन्द्र जी, गुर्जर समाज साझी विरासत के प्रांत संयोजक अशोक चौधरी,मेरठ विभाग के सह संयोजक बस्तौरा गांव के निवासी प्रधान खलील कटारिया, हापुड़ जिला के संयोजक श्री राजबल सिंह ने अपने विचार रखे।बैठक में चौधरी जयवीर सिंह वरिष्ठ समाजसेवी,मेरठ महानगर पश्चिम के संयोजक श्री सतेंद्र भडाना, किला ब्लाक के संयोजक श्री मनोज रावल, जिला मवाना के सह संयोजक श्री आरिफ गुर्जर,किला ब्लाक के सह संयोजक श्री मोमीन गुर्जर, गढ़ ब्लाक के संयोजक श्री ओ पी भाटी, ग्राम पूठी के श्री प्रिंस गुर्जर सहित सैकड़ों की संख्या में हिंदू व मुस्लिम गुर्जर उपस्थित रहें। बैठक का समापन श्री सखावत गुर्जर जी के गृह स्थान पर जलपान करने के पश्चात हुआ।
सरधना जिला की बैठक -
गुर्जर समाज साझी विरासत सरधना जिला की एक बैठक आज 20-10-2024 को दोपहर तीन बजे बागपत रोड पर स्थित एपेक्स सिटी कालोनी में स्थित सेवा भारती के कार्यालय में सम्पन्न हुई। बैठक की अध्यक्षता सरधना के जिला संयोजक श्री ब्रज सिंह मोतला ने की। बैठक में मेरठ प्रांत के संयोजक अशोक चौधरी ने संगठन को सूचारू रूप से चलाने की एक रुपरेखा कार्यकताओं के सामने रखी, बैठक में मेरठ के विभाग संयोजक ब्रह्म पाल सिंह लखवाया,मेरठ महानगर पश्चिम के संयोजक सतेंद्र भडाना तथा सरधना के सह संयोजक नरेंद्र सिंह घाट,जानी ब्लाक के संयोजक अजय बीर सिंह बंसला ने भी अपने विचार व्यक्त किए। बैठक में रकम सिंह पांचली, विकास चपराणा व विनोद चपराना पावटी, अभिषेक प्रधान नंगला जमालपुर, तिलक राम सिंह पांचली तथा सुशील चपराना पावटी मुख्य रूप से उपस्थित रहें।
वर्तमान में भी चली आ रही एक जैसी परम्पराएं 
गुर्जर विरासत के नाम से मेरठ प्रांत का एक पेज भी बना लिया गया है,जिसके संचालन की जिम्मेदारी सुशांत सिटी निवासी अभिषेक प्रधान पर है।इस पेज पर अब तक की सभी गतिविधियां डाल दी गई है।

ममता भाटी जी 8595612643 नोएडा जो कि एक सामाजिक कार्यकर्ता हैं, का भी मेरठ में 12-10-24 की शाम को आना हुआ , श्रीमती फैमिदा चौहान से ममता भाटी जी की परम्पराओं के बारे में बातचीत हुई तथा अशोक चौधरी की नुरुद्दीन चौहान जी से परम्म्मपराओं को लेकर वार्तालाप हुआ।जो निम्न है -
1- क्या आपके परिवार में अपने किसी पूर्वज के चित्र लगाने की परम्परा हैं ?
उत्तर - नहीं 
2- मजार को मानते है क्या?
उत्तर - नहीं 
3- आपके पूर्वजों ने इस्लाम धर्म कब अपनाया।
उत्तर - सन् 1300
4- क्या आपके परिवार में से आपके गोत्र के कोई हिन्दू है,तो कौन?
उत्तर - मेरे गोत्र बटार से तथा मेरे पति के चौहान गोत्र से भी गांव के गांव हिन्दू है 
5- क्या आपके परिवार में महिलाएं सिंदूर लगाती है?
उत्तर - नही 
6- क्या आपके परिवार में साड़ी बांधी जाती है?
उत्तर - हा, परन्तु ज्यादा तर हिन्दू व मुस्लिम महिलाएं सूट - सलवार पहनती हैं।
7- क्या आपकी महिलाएं बुर्का पहनती हैं?
उत्तर - कभी कभी पहनती हैं।
8- क्या आपका भोजन शाकाहारी हैं?
उत्तर - हा 
9- क्या शादी में फेरो की रस्म होती है?
उत्तर - नही 
10- क्या शादी में वरमाला की रस्म होती है?
उत्तर - नही 
11- क्या आपके खानदान के हिंदू मान (दामाद) का मान - सम्मान करते हैं? उसे उपहार भेंट देते हैं।
उत्तर - हां 
12- क्या निकाह में हल्दी का प्रयोग होता है?
उत्तर - हां 
13- क्या निकाह में भात लिया जाता है?
उत्तर - हां 
14- यदि भात लिया जाता है तो गीत की चार पंक्तियां।
उत्तर - काफी समय से गीत गाना बंद है।
15- क्या निकाह के बाद दामाद को पहली बार बुलाने के लिए पांव फेरी होती है?
उत्तर - हां 
16- क्या नाम में जाति का टाईटल लगता है? जैसे अमीर,जाट, गुर्जर आदि।
उत्तर - हां 
17- बच्चे के जन्म के समय कौन कौन सी रस्म होती है।
उत्तर - छठी की रस्म होती है।
18- क्या पूर्वजों की स्मृति में कोई कार्यक्रम होता है?
उत्तर - कुरान शरीफ पढी जाती है।
19- क्या आपको अपने पूर्वजों के मूल नाम की जानकारी है?
उत्तर - हां 
20- शादी में किस -किस गोत्र को बचा कर शादी की जाति है।
उत्तर - पिता के गोत्र को बचाकर।
21- क्या आप मानते हैं कि धर्म बदलता है, ख़ून का रिश्ता नहीं?
उत्तर - हां 
22- क्या निम्नलिखित बातें आपके परिवार में मानी जाती है?
दिशाशूल, ग्रह, ग्राम देवता,शुभ -अशुभ का विचार,जादू टोना आदि।
उत्तर - नही 
23- क्या सुहाग की निशानी बिंदी, मांग, मंगलसूत्र,बिछूआ,कलावा में से कोई प्रयोग होता है।
उत्तर - बिछूआ,पायजेब पहना जाता है।
24- क्या मकान बनाते समय वास्तू का ध्यान रखते है? 
उत्तर - लडकी को भेंट देने का रिवाज है।
25- क्या मकान के दरवाजे पर सुपारी बांधी जाती है?
उत्तर - नहीं 
26- क्या नए मकान में देहली पूजन होता है?
उत्तर -कुरान खानी के नाम से होता है।
27- क्या शादी में लहंगा चुनरी पहनने की परम्परा है?
उत्तर - हां 
28- क्या शादी में गोने की रस्म होती है?
उत्तर - हां 
29- क्या कंगना खेला जाता है?
उत्तर - नहीं 
30- क्या विदाई दी जाती है?
उत्तर - हां 
31- क्या किसी कार्य में मूहर्त देखी जाती है?
उत्तर - देखी जाती है और नही भी। समाज में कोई एक नियम पूरी तरह से नही है।
32- क्या बच्चे की छठी मनाई जाती है?
उत्तर - हां 
33- क्या बच्चे का मुंडन होता है?
उत्तर - हाऊ
34- क्या बच्चे का पहला आहार मामा या बुआ के हाथ से खिलाया जाता है?
उत्तर - नहीं 
35- क्या त्यौहार पर दीपक जलता है?
उत्तर - नही 
36- क्या होली दीवाली पर कोई रस्म करते हैं?
उत्तर - नही 
37- मुंडेरी पर कौआ का विचार माना जाता है।
उत्तर - नही 
38- क्या खेत बोते समय कोई शगुन करते हैं?
उत्तर - हा,ध्याने/बेटी की संतान को धन देने का रिवाज है।
39- शुभ -अशुभ का विचार जैसे -
(क) सुबह गाय का दिखना 
उत्तर - नही 
(ख) नीलकंठ का दिखना 
उत्तर - नहीं 
(ग) तारों का दिखाई देना 
उत्तर - नहीं 
40- क्या अशुभ का विचार जैसे -
(क) बिल्ली का रोना 
(ख) कुत्ते का रोना 
आदि को कुछ माना जाता है।
उत्तर - हां,बुरा माना जाता है।
41- क्या विधवा महिलाओं में सफेद कपडा पहनने की परम्परा है?
उत्तर - पहले थी,अब नही है।
मुस्लिम बने चौहान गुर्जर तथा अन्य गोत्र के मुस्लिम गुर्जर अपना अरबी करण आज तक नही कर सके।वो आज भी भारतीय मुस्लिम ही है,आज हमारी लगभग 28 वी या 29 वी पीढ़ी है।आज भी हम गुर्जर मुस्लिम और हिन्दू गुर्जर अपने बच्चों की शादी बच्चे के पिता का गोत्र बचाकर ही करते हैं।मेरी स्वयं की पत्नी बटार गोत्र की है, जबकि मै चौहान गोत्र का हूं।जब गोत्र बचा हुआ है तो शादी में भात और अन्य रिति-रिवाज भी मौजूद हैं। शादी में फेरे नही पडते निकाह होता है।इबादत का तरिका बदल गया है, बाकि सब एक जैसा ही है।
समय चक्र चलता रहा, तुर्को के बाद, मुगल व अंग्रेजी शासन आया, 15 अगस्त 1947 को देश आजाद हो गया, देश में लोकतंत्र से मतदान द्वारा शासन चलाने की पद्धति प्रारंभ हो गई।
कैराना के चौहान गूजरों ने भारत की शासन पद्धति के माध्यम से प्रदेश व देश की सरकार में अपनी भागीदारी व सेवा अपनी योग्यता व क्षमता के अनुसार प्रदान की। चौधरी नारायण सिंह जी उत्तर प्रदेश में उपमुख्यमंत्री पद पर रहे, नारायण सिंह जी के सुपुत्र संजय चौहान विधायक व सांसद रहे। बाबू हुकुम सिंह जी उत्तर प्रदेश के प्रभाव शाली नेताओं में रहे, वे विधायक, सांसद रहे तथा प्रदेश सरकार में विभिन्न मंत्रालयों के मंत्री रहे, चौधरी अजब सिंह जी विधायक रहे, उनके भतीजे चौधरी विरेंद्र सिंह जी कांधला से कई बार विधायक रहे, प्रदेश सरकार में मंत्री रहे, चौधरी यशवीर सिंह जी खादी बोर्ड के चेयरमैन रहे।
मुस्लिम गूजरों में हसन परिवार से स्वर्गीय अख्तर हसन सन् 1984 में सांसद रहे, अख्तर हसन जी के बाद उनके पुत्र मुनव्वर हसन सांसद, विधायक व विधान परिषद् सदस्य व राज्य सभा सदस्य रहे। मुनव्वर हसन का नाम ग्रनिज बुक में इसलिए दर्ज है कि वो सबसे कम उम्र में सभी सदन के सदस्य रहे। उनके बेटे नाहीद हसन इस समय कैराना से विधायक है, उनकी पत्नी श्रीमती तबस्सुम भी कैराना लोकसभा से सांसद रह चुकी हैं। वर्तमान में स्व मुनव्वर हसन की पुत्री इकरा हसन तथा चौधरी नारायण सिंह के पोत्र चंदन सिंह चौहान सांसद बनकर इस समाज की शोभा बढ़ा रही है।
आज में मेरठ में सपरिवार निवास करता हूं,मेरे घर के पास ही हयात नर्सिंग होम है। जिसमें अमरोहा जनपद के हसनपुर तहसील के धींवरखेडी गांव के डा रशीद भड़ाना मैनेजर का दायित्व निर्वहन कर रहे हैं।डा रशीद की मेरठ जिले के किला परिक्षत गढ़ ब्लाक के सारंगपुर गांव में चाहड़ गोत्र के आरिफ गुर्जर के यहा ससुराल है। सारंगपुर गांव के पास ही चाहड़ गोत्र के हिंदू गुर्जर का अहमद पुरी गांव है।मेरठ के हस्तिनापुर ब्लाक में चांद नंगला गांव में असफाक गुर्जर जो अधाना गोत्र के है, निवास करते हैं।अधाना गोत्र के हिंदू गुर्जर का माछरा ब्लाक में गोविंद पुर गांव है। असफाक गुर्जर की,तिसंग गांव में जो मुजफ्फरनगर के खतौली ब्लाक में स्थित है, जिसमें पताहा गोत्र के मुस्लिम गुर्जर रहते हैं, में ससुराल है।पताहा गोत्र के हिंदू गुर्जर खतौली ब्लाक के अंतवाडा गांव में निवास करते हैं।किला परिक्षत गढ़ ब्लाक में अशीलपुर गांव का एक माजरा गोठड़ा गांव के नाम से है,इस गांव में हिंदू गुर्जर व कटारिया गोत्र के मुस्लिम गुर्जर निवास करते हैं। हस्तिनापुर ब्लाक में बस्तौरा गांव में खलील गुर्जर जो कटारिया गोत्र के है, निवास करते हैं। चौधरी खलील गुर्जर मेरठ क्षेत्र के मुस्लिम गुर्जरों मे एक सम्मानित व्यक्ति है,जिनका हिन्दू गुर्जरों मे भी व्यापक प्रभाव है। खलील गुर्जर जी ने अपने कथन मैं प्रमुख समाजसेवी श्री सूर्य प्रकाश जी व योगेन्द्र त्यागी जी व अशोक चौधरी के सम्मुख बताया कि उनके दादा जी के नाम हिंदुओं की तरह ही थे, कुछ वर्ष से ही परिवार मे फारसी नाम रखने की शुरुआत हुई है। चौधरी खलील गुर्जर के पिता का बरकत व बरकत जी के पिता का नाम गुलाब था, चौधरी खलील जी के दो ताऊ,जिनका नाम मंगत व ननुआ था। खलील गुर्जर जी की आयु लगभग 80 वर्ष होगी,इस समय।
हापुड़ जिले के गढ़ ब्लाक के लोदीपुर छबका गांव के निवासी प्रमुख समाजसेवी श्री राजबल सिंह जी ने गांव सारंगपुर मे गांव के प्रधान अकबर चौहान जी के सम्मुख बताया कि अब से कुछ वर्ष पूर्व तक हिंदू और मुस्लिम गुर्जर महिलाएं एक साथ ही देव उठान एकादशी पर एक साथ ही दिपक जलाया करती थी।
कहने का तात्पर्य यह है कि आपस के सामंजस्य मे कही कोई कमी नहीं है। दोनों समाज का आपसी सुख दुख मे सदा सहयोग रहा है।
24 सितंबर सन् 2024 को बस्तौरा गांव में चौधरी खलील गुर्जर के निवास स्थान पर हिंदू व मुस्लिम गुर्जर समाज की एक साझी बैठक हुई थी, जिसमें अन्य समाज के वरिष्ठ समाजसेवी श्री सूर्य प्रकाश टोंक, चौधरी जयवीर सिंह, योगेन्द्र त्यागी जी उपस्थिति रहें थे। हिंदू गुर्जर में मेरठ से अशोक चौधरी,कुनकुरा गांव से श्री ऋषिपाल सिंह कंसाना, अलीपुर मोरना से श्री गजेन्द्र नागर, गांव नानपुर से डा हरेंद्रसिंह तथा महिला प्रतिनिधि के रुप में मवाना की रहने वाली एडवोकेट मुनेश रानी उपस्थित रही थी।
09 अक्टूबर सन् 2024 को सारंगपुर गांव में मुस्लिम व हिन्दू गुर्जर समाज की एक साझी बैठक हुई थी। जिसमें बस्तौरा की तरह ही सैकड़ों की संख्या में दोनों समाज के गणमान्य व्यक्तियों के साथ श्री सूर्य प्रकाश टोंक जी व योगेन्द्र त्यागी, चौधरी जयवीर सिंह भी शामिल रहें।बैठक में बडे सोहार्द पूर्ण वातावरण में एक दूसरे के सुख दुख की बात की गई। सारंगपुर गांव मुस्लिम गुर्जर का सबसे बडी आबादी वाला गांव है,इस गांव में चाहड़, कल्श्यान, भड़ाना गोत्र के मुस्लिम गुर्जर निवास करते हैं। बैठक कराने में में गांव के प्रधान अकबर चौहान [Mobile] +91 99273 02574
[Home] 9454625032 तथा हिन्दू गुर्जर पक्ष की ओर से लोदीपुर छपका के राजबल सिंह का बडा सहयोग रहा। बैठक में बस्तौरा गांव की तरह ही श्री सूर्य प्रकाश टोंक, योगेन्द्र त्यागी तथा चौधरी जयवीर सिंह गुर्जर समाज से अलग समाज सेवी के रुप में उपस्थित रहें। बैठक में सैकड़ों की संख्या में दोनों समुदायों के गुर्जर समाज के लोग उपस्थित रहे।बैठक में बस्तौरा के चौधरी खलील गुर्जर जी भी उपस्थित रहें।मेरठ से अशोक चौधरी, सतेंद्र भडाना तथा ब्रह्म पाल सिंह लखवाया , गांव पूठी से मनोज रावल व पूठी गांव के प्रधान के छोटे भाई प्रिंस गुर्जर ,डा सुशील भाटी, अशोक चौधरी आदि उपस्थित रहे।


गुर्जर समाज साझी विरासत मेरठ प्रांत संयोजक अशोक चौधरी मेरठ-

गुर्जर परम्परा लेखन टोली मेरठ प्रांत 
9 विभाग 27 जिले -

1-मेरठ विभाग संयोजक 
चौधरी ब्रह्मपाल सिंह गांव लखवाया/सुशांत सिटी सेक्टर 5
8630070041,9837558088
सह संयोजिका 
डा रेखा राणा 
7088111167
सह संयोजक 
चौधरी खलील कटारिया गांव बस्तौरा 
9012372406
1- पूर्वी मेरठ महानगर 
संयोजक 
गुलबीर सिंह पूर्व पार्षद गंगा नगर 
9756961111
सह संयोजक 
श्रीमती रेशमा राणा गंगानगर 
8265979311
सह संयोजक 
जोरोद्दीन चौहान 
9997289652
2- मेरठ पश्चिमी 
श्री सतेंद्र भडाना गांव नरहैडा/सुशांत सिटी सेक्टर 5 
8750862268
श्रीमती अनीता गुर्जर गांव भूडबराल 
9457631587
3- मवाना 
 संयोजक 
ऋषि पाल कंसाना गांव कुनकुरा 
+918279951079
सह संयोजक 
आरिफ गुर्जर सारंगपुर 
7500837593
4- सरधना 
संयोजक 
श्री ब्रज सिंह मोतला दादरी 
9315565718
5- हापुड़ 
श्री राजबल सिंह गांव लोदीपुर छबका 
+919758641797
2- लक्ष्मीनगर विभाग 
संयोजक 
चौधरी ब्रह्म सिंह चौहान गांव दसाला 
9760521241
सह संयोजक 
इरशाद गुर्जर नेता जी गांव तिसंग
9358810122
जिला संयोजक 
1- शामली 
श्री वीरपाल सिंह चौहान गांव खंदरावली 
9997623084
2- बागपत 
मनोज प्रधान गांव पाबला 
9068681187
3- लक्ष्मीनगर 
श्री ओमपाल सिंह आर्य गांव टिटौडा 
9012269194
असजद गुर्जर गांव तिसंग 
9927414272
3- सहारनपुर विभाग 
संयोजक 
श्री मनोज चौधरी रामपुर मनिहार 
9837900050
आशिष अली गुर्जर 
7830281786
जिला संयोजक 
1- सहारनपुर 
श्री नवीन राठी सहारनपुर 
9719287287
2- देवबंद 
विनोद कुमार गांव साल्हापुर 
7830002426
3- बेहट 
श्री मुनेश चौधरी गांव गैंदेबढ 
9761352100
4- बिजनौर विभाग 
संयोजक 
डा निर्दोष गुर्जर बढ़ा पुर
9761763971
जिला संयोजक 
1- बिजनौर 
हरषित कटारिया गांव छीबरी 
9068372492
2- धामपुर 
श्री शेखर सिंह 
8476060787
5- सम्भल विभाग 
संयोजक 
श्री विरेन्द्र सिंह गुर्जर गजरोला 
9837151140
सह संयोजक 
डा रशीद भड़ाना हयात नर्सिंग होम मेरठ गांव धींवर खेडी जिला अमरोहा
9837782445
जिला संयोजक 
1- अमरोहा 
श्री अजय पाल सिंह कटारिया गांव सेंद नंगली/हसनपुर 
7351344244
शौकिन भड़ाना गांव धींवर खेडी जिला अमरोहा 
7536828988
2- सम्भल 
श्री चेतन सिंह गांव सेवडा जसरथ नंगला 
9927809078
6- बुलंदशहर विभाग 
संयोजक 
श्री सतीश पोसवाल 
9810897552
जिला संयोजक 
1- खुर्जा 
विक्की गुर्जर मावी चंद्र लोक कालोनी 
8445215151
7- नोएडा विभाग 
संयोजक 
श्री देवेन्द्र नागर गांव अच्छैजा 
7065066400
सह - संयोजक 
डा पूजा 
8860224563
जिला संयोजक 
1- गौतमबुद्ध नगर 
श्री संदीप जी 
8938057022
2- नोएडा 
डा अनुज चंदेल 
9313346934
8- गाजियाबाद विभाग 
संयोजक 
श्री तेजपाल सिंह पोसवाल पूर्व पार्षद मोदीनगर 
7302874515
जिला संयोजक 
1- गाजियाबाद 
श्री प्रवीण बैसोया मुरादनगर 
9953432506
2- वैशाली 
श्री युग गुर्जर/युगांतर कसाना 
9716400421
9- मुरादाबाद विभाग संयोजक 
श्री चंद्रभान सिंह गुर्जर मुरादाबाद 
9456042122

विभाग 9 में से 9 तथा जिला 27 में से 20 के संयोजक बना दिए गए हैं।मेरठ विभाग में महिला संयोजक भी बन गई है।
प्रांत संयोजक 
अशोक चौधरी मेरठ
9837856146
सदस्य 
1- डा धनपाल सिंह शामली 
9811447977
2- राजकुमार प्रधान हापुड़ 
8445486236
3- सुभाष गुर्जर मवाना 
9411027293
4- बालेश्वर आर्य लक्ष्मी नगर 
9719998847
5- शक्ति मोहन सिंह गांव ताजपुर लक्ष्मी नगर 
9758144024
6- श्री तप्सी भाटी गांव चिटैहडा 
7982614237 गौतमबुद्ध नगर 
7- अनमोल कपासिया गांव कासमपुर खोला 
8218619714
8- सरदार मेम्बर सिंह गांव सादुल्ला पुर 
9837150694
9- एड मुकेश रानी मवाना 
9411027293
10- श्रीमती ममता भाटी नोएडा 
9990614842
8595612642
विशेष आमंत्रित सदस्य 
1- श्री जगदीश पूठा मेरठ
9837040483
2- श्री राजीव इंद्राज मेरठ 
972000003
3- जयवीर सिंह रिठानी 
8171000600
4- श्री सुनील भडाना जुर्रानपुर 
9808151466
5- श्री मुनेंद्र सिंह लोहिया 
9557100102
6- श्री राजेन्द्र सिंह लिसाड़ी 
9917179944
7- श्री नरेश सिंह बैंसला काजीपुर 
9897637914
8- श्री सुरेन्द्र सिंह भड़ाना काजीपुर 
9412831056
9- श्री सुरेन्द्र सिंह जी घाट/सुशांत सिटी सेक्टर -3
9012530000
10- श्री वेदपाल चपराणा 
+919557796465
11- श्री प्रताप सिंह बक्सर 
8218182194
12- श्री नितीन कसाना कुण्डा पूर्व ब्लाक प्रमुख 
9012368008
2- श्री जगत सिंह दौसा 
9927023530
3- डा योगेश प्रधान प्रमुख मवाना ब्लाक प्रमुख 
9897531660
4- श्री कपिल मुखिया नरहैडा मेरठ ब्लाक प्रमुख 
9012999111
5- श्री पप्पू सिंह गुर्जर पूर्व ब्लाक प्रमुख 
9837097164

मेरठ विभाग 
जिला मेरठ महानगर 
पूर्वी मेरठ 
गुलबीर सिंह पूर्व पार्षद गंगा नगर 
9756961111
सह संयोजक 
श्रीमती रेशमा राणा गंगानगर 
8265979311
सह संयोजक 
नुरुद्दीन चौहान शास्त्री नगर 
9997289652
1- श्री महिपाल सिंह चौधरी 
9358431475
2- श्री महेश भड़ाना शेर गढी 
8439395618
3- श्री अनुज भड़ाना काजीपुर 
8630303296
4- श्री संजीव नागर नूरनगर 
9412663516
5- श्री सुधीर गुर्जर रिठानी 
9927099636
6- श्री सचिन भड़ाना एडवोकेट जुर्रानपुर 
7248353535
7- श्री भोपाल सिंह गुमी
90125300000
8- श्री नरेन्द्र भड़ाना नरहैडा 
9319962240
9- श्री मुनिंदर सिंह भड़ाना फफूंडा 
9719562940
10- श्री रविन्द्र मंजुल शास्त्री नगर 
9412201793
11- सरदार शौ सिंह जागृति विहार 
9410233570
12- श्री गौरव गुर्जर शिव शक्ति विहार 
9808151629
13- श्री सागर पोसवाल शास्त्री नगर 
9761555515
14- श्री ललित गुर्जर पल्लवपुरम 
9927121413
15-श्री नवनीत बैंसला काजीपुर 
9897737588
16- डा आदित्य सिंह लिसाड़ी 
9837350007
17- श्री सुरेन्द्र सिंह पुलिस कालोनी 
8267000666
18- श्री राजकरण सिंह गंगानगर 
9837525652
19- एड ओमपाल सिंह मिनाक्षी पुरम 
9837166425

पश्चिमी मेरठ महानगर 
संयोजक 
श्री सतेंद्र सिंह भड़ाना 
8750862298
1- श्री देवेन्द्र सिंह चपराना वेदव्यास पुरी 
9997412512
2- श्री अजय सिंह दौसा सुशांत सिटी सेक्टर 5 
9927017179
3- श्री अजय मावी सुशांत सिटी सेक्टर 5 
9927755722
4- श्री सुंदर सिंह पठानपुरा सुशांत सिटी सेक्टर 3 
9319054080
5- श्री जयचंद जी भूडबराल 
9634358296
6- श्री तरुण लखवाया 
8077732019
7- श्री सूक्ष्म सिंह लखवाया 
7351713595
8- श्री अजय सिंह कंसाना कुण्डा 
9719686697
9- श्री सर्वेश सिंह एडवोकेट पूठा 
9719685401
10- श्री विवेक सिंह चौहान कृष्णा नगर 
9897066628
11- कै0 ऋषिपाल सिंह नटेश पुरम कंकर खेड़ा 
9897434088
जिला मवाना 
संयोजक 
संयोजक 
ऋषि पाल कंसाना गांव कुनकुरा 
+918279951079
सह संयोजक 
आरिफ गुर्जर सारंगपुर 
7500837593
1- माछरा ब्लाक 
संयोजक 
दिनेश भडौली 
826688801
2- किला परिक्षत गढ़ ब्लाक 
संयोजक 
मनोज रावल गांव पूठी 
8279364792
सह संयोजक 
मोमीन गुर्जर सारंगपुर 
9690302905
1- गौरव नागर पूठी 
9084446606
2- सौरव गुर्जर किला 
9058164356
3- अजय सिंह पूठी 
8273295816
4- अंकित गुर्जर रामनगर 
9557131347
5- मोनू गुर्जर रामनगर 
8006115115
6- मोन्टी गुर्जर पूठी 
9520725658
7- प्रवेश गुर्जर चितवाना 
8410800873
8- सुमित कुमार सिखेड़ा 
9528225209
9- अमरपाल सिंह सिखेड़ा 
8630524469
10- हरिश मावी सिखेड़ा 
6397280481
11- विकास कुमार सिखेड़ा 
6396129835
3- मवाना ब्लाक 
संयोजक 
प्रवीण कुमार गांव खेडकी 
9761270479
4- हस्तिनापुर ब्लाक 
संयोजक 
शक्ति सिंह गांव रानी नंगला 
8534091245
5- खरखौदा ब्लाक 
संयोजक 
दिग्विजय सिंह गांव सेतकुआ 
8755995460
6- रजपुरा ब्लाक 
संयोजक 
ओमप्रकाश जी गांव गांवड़ी 
9758936125
8266870205
माछरा ब्लाक 
संयोजक 
दिनेश भडौली 
826688801
1- कांति प्रसाद गांव नित्यानंद पुर 
9917703456
2- शेखर मावी गांव बहरोडा 
7983053285
3- तुलाराम गांव सादुल्ला पुर 
9761338352
4- सतेंद्र सिंह गांव गोविंद पुर 
9058288270
5- कृष्ण पाल मावी गांव कैली 
8006325000
6- अनूप नागर गांव झीडियो 
7500924255
7- चिंटू गांव फतेहपुर 
9719943275
8- डा आर पी सिंह चौधरी गांव लालपुर 
9675666677
9- दिनेश प्रधान गांव शहजाद पुर 
9897679281
जिला सरधना 
संयोजक 
9315565718
सह संयोजक 
नरेंद्र सिंह घाट 
7017308189
ब्लाक जानी 
संयोजक 
अजयबीर सिंह बैंसला नंगला जमालपुर 
8755316053
1- कृष्ण पाल पांचली 
7017567594
2- अनुज योगी पांचली 
7983333030
7500019636
3- संदीप कुमार पांचली 
9368510044
4- आदित्य नागर पांचली 
7906694242
5- बबलू गुर्जर पांचली 
9520467676
6- रकम सिंह पांचली 
9084444614
7- विकास चपराणा पावटी 
7055971675
8- विनोद चपराना पावटी 
8958009840
9- इन्दर पाल सिंह पावटी 
9568213548
10- राजवीर सिंह घाट 
9870941425
11- अभिषेक प्रधान नंगला 
8923664411
ब्लाक रोहटा 
संयोजक 
योगेन्द्र सिंह भाटी उकसिया 
9917456046
1- संजय सिंह रासना 
8535054209
9758710693
2- प्रवीण भाटी उकसिया 
6238689395
3- अंकित भाटी उकसिया 
9068931682
4- मनीष मोरल किनौनी 
7452009687
5- लोकेश प्रधान जिटौला 
992700882

मुस्लिम गुर्जर कार्यकर्ताओं की सूची 
1- सफदर अली गुर्जर सहारनपुर पुर 
9720011000
2- आशिष अली गुर्जर सहारनपुर 
7830281786
3- असजद गुर्जर गांव तिसंग मुजफ्फरनगर 
9927414272
4- खालिद गुर्जर गांव तिसंग मुजफ्फरनगर 
9760602960
5- इरशाद गुर्जर नेता जी गांव तिसंग मुजफ्फरनगर 
9358810122
6- असफाक अधाना गांव चांद नंगला जिला मवाना मेरठ 6395237373
7- चौधरी खलील गुर्जर गांव बस्तौरा जिला मवाना 
9012372406
8- आरिफ गुर्जर सारंगपुर जिला मवाना 
7500837593
9- मोमीन गुर्जर सारंगपुर जिला मवाना 
9690302905
10- डा रशीद भड़ाना हयात नर्सिंग होम मेरठ गांव धींवर खेडी जिला अमरोहा 
9837782445
11- शौकिन भड़ाना गांव धींवर खेडी जिला अमरोहा 
7536828988
12- नुरुद्दीन चौहान शास्त्री नगर मेरठ 
9997289652
13- अकबर चौहान गांव सारंगपुर जिला मवाना 
 99273 02574
महिला कार्यकर्ता 
1- डा रेखा राणा इंचोली मेरठ- 7088111167
2- एड मुकेश रानी मवाना - 9411027293
3-श्रीमती ममता भाटी नोएडा - 8595612642
4- श्रीमती रेशमा राणा गंगानगर मेरठ - 9756961111
5- श्रीमती रीमा सिंह सुशांत सिटी सेक्टर 5 मेरठ - 8126336613
6- श्रीमती एकता सिंह लोदीपुर छपका हापुड़ - 8392815878
7- डा पूजा गौतम बुद्ध नगर - 8860224563
8- श्रीमती अनीता गुर्जर भूडबराल - 9457631597
9- श्रीमती गुड्डी कंसाना गाजियाबाद - 9910472075
10- श्रीमती पूजा चौधरी अमरोहा - 6395854393
11- एड नीशी रानी पल्लवपुरम - 8650290640





मंगलवार, 20 अगस्त 2024

गुर्जर समाज साझी विरासत मेरठ प्रांत संयोजक अशोक चौधरी मेरठ

गुर्जर परम्परा लेखन टोली मेरठ प्रांत 
9 विभाग 27 जिले 
1-मेरठ विभाग संयोजक 
चौधरी ब्रह्मपाल सिंह गांव लखवाया/सुशांत सिटी सेक्टर 5
8630070041,9837558088
सह संयोजिका 
डा रेखा राणा 
7088111167
सह संयोजक 
चौधरी खलील कटारिया गांव बस्तौरा 
9012372406
1- पूर्वी मेरठ महानगर 
संयोजक 
गुलबीर सिंह पूर्व पार्षद गंगा नगर 
9756961111
सह संयोजक 
श्रीमती रेशमा राणा गंगानगर 
8265979311
सह संयोजक 
जोरोद्दीन चौहान 
9997289652
2- मेरठ पश्चिमी 
श्री सतेंद्र भडाना गांव नरहैडा/सुशांत सिटी सेक्टर 5 
8750862268
श्रीमती अनीता गुर्जर गांव भूडबराल 
9457631587
3- मवाना 
 संयोजक 
ऋषि पाल कंसाना गांव कुनकुरा 
+918279951079
सह संयोजक 
आरिफ गुर्जर सारंगपुर 
7500837593
4- सरधना 
संयोजक 
श्री ब्रज सिंह मोतला दादरी 
9315565718
5- हापुड़ 
श्री राजबल सिंह गांव लोदीपुर छबका 
+919758641797
2- लक्ष्मीनगर विभाग 
संयोजक 
चौधरी ब्रह्म सिंह चौहान गांव दसाला 
9760521241
जिला संयोजक 
1- शामली 
श्री वीरपाल सिंह चौहान गांव खंदरावली 
9997623084
2- बागपत 
मनोज प्रधान गांव पाबला 
9068681187
3- लक्ष्मीनगर 
श्री ओमपाल सिंह आर्य गांव टिटौडा 
9012269194
3- सहारनपुर विभाग 
संयोजक 
श्री मनोज चौधरी रामपुर मनिहार 
9837900050
जिला संयोजक 
1- सहारनपुर 
श्री नवीन राठी सहारनपुर 
9719287287
2- देवबंद 
विनोद कुमार गांव साल्हापुर 
7830002426
3- बेहट 
श्री मुनेश चौधरी गांव गैंदेबढ 
9761352100
4- बिजनौर विभाग 
संयोजक 
डा निर्दोष गुर्जर बढ़ा पुर
9761763971
जिला संयोजक 
1- बिजनौर 
हरषित कटारिया गांव छीबरी 
9068372492
2- धामपुर 
श्री शेखर सिंह 
8476060787
5- सम्भल विभाग 
संयोजक 
श्री विरेन्द्र सिंह गुर्जर गजरोला 
9837151140
जिला संयोजक 
1- अमरोहा 
श्री अजय पाल सिंह कटारिया गांव सेंद नंगली/हसनपुर 
7351344244
2- सम्भल 
श्री चेतन सिंह गांव सेवडा जसरथ नंगला 
9927809078
6- बुलंदशहर विभाग 
संयोजक 
श्री सतीश पोसवाल 
9810897552
जिला संयोजक 
1- खुर्जा 
विक्की गुर्जर मावी चंद्र लोक कालोनी 
8445215151
7- नोएडा विभाग 
संयोजक 
श्री देवेन्द्र नागर गांव अच्छैजा 
7065066400
सह - संयोजक 
डा पूजा 
8860224563
जिला संयोजक 
1- गौतमबुद्ध नगर 
श्री संदीप जी 
8938057022
2- नोएडा 
डा अनुज चंदेल 
9313346934
8- गाजियाबाद विभाग 
संयोजक 
श्री तेजपाल सिंह पोसवाल पूर्व पार्षद मोदीनगर 
7302874515
जिला संयोजक 
1- गाजियाबाद 
श्री प्रवीण बैसोया मुरादनगर 
9953432506
2- वैशाली 
श्री युग गुर्जर/युगांतर कसाना 
9716400421
9- मुरादाबाद विभाग संयोजक 
श्री चंद्रभान सिंह गुर्जर मुरादाबाद 
9456042122

विभाग 9 में से 9 तथा जिला 27 में से 20 के संयोजक बना दिए गए हैं।मेरठ विभाग में महिला संयोजक भी बन गई है।
प्रांत संयोजक 
अशोक चौधरी मेरठ
9837856146
सदस्य 
1- डा धनपाल सिंह शामली 
9811447977
2- राजकुमार प्रधान हापुड़ 
8445486236
3- सुभाष गुर्जर मवाना 
9411027293
4- बालेश्वर आर्य लक्ष्मी नगर 
9719998847
5- शक्ति मोहन सिंह गांव ताजपुर लक्ष्मी नगर 
9758144024
6- श्री तप्सी भाटी गांव चिटैहडा 
7982614237 गौतमबुद्ध नगर 
7- अनमोल कपासिया गांव कासमपुर खोला 
8218619714
8- सरदार मेम्बर सिंह गांव सादुल्ला पुर 
9837150694
9- एड मुकेश रानी मवाना 
9411027293
10- श्रीमती ममता भाटी नोएडा 
9990614842
8595612642
विशेष आमंत्रित सदस्य 
1- श्री जगदीश पूठा मेरठ
9837040483
2- श्री राजीव इंद्राज मेरठ 
972000003
3- जयवीर सिंह रिठानी 
8171000600
4- श्री सुनील भडाना जुर्रानपुर 
9808151466
5- श्री मुनेंद्र सिंह लोहिया 
9557100102
6- श्री राजेन्द्र सिंह लिसाड़ी 
9917179944
7- श्री नरेश सिंह बैंसला काजीपुर 
9897637914
8- श्री सुरेन्द्र सिंह भड़ाना काजीपुर 
9412831056
9- श्री सुरेन्द्र सिंह जी घाट/सुशांत सिटी सेक्टर -3
9012530000
10- श्री वेदपाल चपराणा 
+919557796465
11- श्री प्रताप सिंह बक्सर 
8218182194
12- श्री नितीन कसाना कुण्डा पूर्व ब्लाक प्रमुख 
9012368008
2- श्री जगत सिंह दौसा 
9927023530
3- डा योगेश प्रधान प्रमुख मवाना ब्लाक प्रमुख 
9897531660
4- श्री कपिल मुखिया नरहैडा मेरठ ब्लाक प्रमुख 
9012999111
5- श्री पप्पू सिंह गुर्जर पूर्व ब्लाक प्रमुख 
9837097164

मेरठ विभाग 
जिला मेरठ महानगर 
पूर्वी मेरठ 
गुलबीर सिंह पूर्व पार्षद गंगा नगर 
9756961111
सह संयोजक 
श्रीमती रेशमा राणा गंगानगर 
8265979311
सह संयोजक 
जोरोद्दीन चौहान शास्त्री नगर 
9997289652
1- श्री महिपाल सिंह चौधरी 
9358431475
2- श्री महेश भड़ाना शेर गढी 
8439395618
3- श्री अनुज भड़ाना काजीपुर 
8630303296
4- श्री संजीव नागर नूरनगर 
9412663516
5- श्री सुधीर गुर्जर रिठानी 
9927099636
6- श्री सचिन भड़ाना एडवोकेट जुर्रानपुर 
7248353535
7- श्री भोपाल सिंह गुमी
90125300000
8- श्री नरेन्द्र भड़ाना नरहैडा 
9319962240
9- श्री मुनिंदर सिंह भड़ाना फफूंडा 
9719562940
10- श्री रविन्द्र मंजुल शास्त्री नगर 
9412201793
11- सरदार शौ सिंह जागृति विहार 
9410233570
12- श्री गौरव गुर्जर शिव शक्ति विहार 
9808151629
13- श्री सागर पोसवाल शास्त्री नगर 
9761555515
14- श्री ललित गुर्जर पल्लवपुरम 
9927121413
15-श्री नवनीत बैंसला काजीपुर 
9897737588
16- डा आदित्य सिंह लिसाड़ी 
9837350007
17- श्री सुरेन्द्र सिंह पुलिस कालोनी 
8267000666
18- श्री राजकरण सिंह गंगानगर 
9837525652
19- एड ओमपाल सिंह मिनाक्षी पुरम 
9837166425

पश्चिमी मेरठ महानगर 
संयोजक 
श्री सतेंद्र सिंह भड़ाना 
8750862298
1- श्री देवेन्द्र सिंह चपराना वेदव्यास पुरी 
9997412512
2- श्री अजय सिंह दौसा सुशांत सिटी सेक्टर 5 
9927017179
3- श्री अजय मावी सुशांत सिटी सेक्टर 5 
9927755722
4- श्री सुंदर सिंह पठानपुरा सुशांत सिटी सेक्टर 3 
9319054080
5- श्री जयचंद जी भूडबराल 
9634358296
6- श्री तरुण लखवाया 
8077732019
7- श्री सूक्ष्म सिंह लखवाया 
7351713595
8- श्री अजय सिंह कंसाना कुण्डा 
9719686697
9- श्री सर्वेश सिंह एडवोकेट पूठा 
9719685401
10- श्री विवेक सिंह चौहान कृष्णा नगर 
9897066628
11- कै0 ऋषिपाल सिंह नटेश पुरम कंकर खेड़ा 
9897434088
जिला मवाना 
संयोजक 
संयोजक 
ऋषि पाल कंसाना गांव कुनकुरा 
+918279951079
सह संयोजक 
आरिफ गुर्जर सारंगपुर 
7500837593
1- माछरा ब्लाक 
संयोजक 
दिनेश भडौली 
826688801
2- किला परिक्षत गढ़ ब्लाक 
संयोजक 
मनोज रावल गांव पूठी 
8279364792
सह संयोजक 
मोमीन गुर्जर सारंगपुर 
9690302905
1- गौरव नागर पूठी 
9084446606
2- सौरव गुर्जर किला 
9058164356
3- अजय सिंह पूठी 
8273295816
4- अंकित गुर्जर रामनगर 
9557131347
5- मोनू गुर्जर रामनगर 
8006115115
6- मोन्टी गुर्जर पूठी 
9520725658
7- प्रवेश गुर्जर चितवाना 
8410800873
8- सुमित कुमार सिखेड़ा 
9528225209
9- अमरपाल सिंह सिखेड़ा 
8630524469
10- हरिश मावी सिखेड़ा 
6397280481
11- विकास कुमार सिखेड़ा 
6396129835
3- मवाना ब्लाक 
संयोजक 
प्रवीण कुमार गांव खेडकी 
9761270479
4- हस्तिनापुर ब्लाक 
संयोजक 
शक्ति सिंह गांव रानी नंगला 
8534091245
5- खरखौदा ब्लाक 
संयोजक 
दिग्विजय सिंह गांव सेतकुआ 
8755995460
6- रजपुरा ब्लाक 
संयोजक 
ओमप्रकाश जी गांव गांवड़ी 
9758936125
8266870205
माछरा ब्लाक 
संयोजक 
दिनेश भडौली 
826688801
1- कांति प्रसाद गांव नित्यानंद पुर 
9917703456
2- शेखर मावी गांव बहरोडा 
7983053285
3- तुलाराम गांव सादुल्ला पुर 
9761338352
4- सतेंद्र सिंह गांव गोविंद पुर 
9058288270
5- कृष्ण पाल मावी गांव कैली 
8006325000
6- अनूप नागर गांव झीडियो 
7500924255
7- चिंटू गांव फतेहपुर 
9719943275
8- डा आर पी सिंह चौधरी गांव लालपुर 
9675666677
9- दिनेश प्रधान गांव शहजाद पुर 
9897679281
जिला सरधना 
संयोजक 
9315565718
सह संयोजक 
नरेंद्र सिंह घाट 
7017308189
ब्लाक जानी 
संयोजक 
अजयबीर सिंह बैंसला नंगला जमालपुर 
8755316053
1- कृष्ण पाल पांचली 
7017567594
2- अनुज योगी पांचली 
7983333030
7500019636
3- संदीप कुमार पांचली 
9368510044
4- आदित्य नागर पांचली 
7906694242
5- बबलू गुर्जर पांचली 
9520467676
6- रकम सिंह पांचली 
9084444614
7- विकास चपराणा पावटी 
7055971675
8- विनोद चपराना पावटी 
8958009840
9- इन्दर पाल सिंह पावटी 
9568213548
10- राजवीर सिंह घाट 
9870941425
11- अभिषेक प्रधान नंगला 
8923664411
ब्लाक रोहटा 
संयोजक 
योगेन्द्र सिंह भाटी उकसिया 
9917456046
1- संजय सिंह रासना 
8535054209
9758710693
2- प्रवीण भाटी उकसिया 
6238689395
3- अंकित भाटी उकसिया 
9068931682
4- मनीष मोरल किनौनी 
7452009687
5- लोकेश प्रधान जिटौला 
992700882

बुधवार, 22 मई 2024

आजाद भारत में मुस्लिम राजनीति की भागेदारी

भारत में मुस्लिम राष्ट्रपति 
1- डा जाकिर हुसैन सन् 1969
2- फखरूद्दीन अली अहमद 
3- डा एपीजे अब्दुल कलाम 
4- मोहम्मद हिदायतुल्ला कुछ समय के लिए 
5- हामिद अंसारी उप राष्ट्रपति बने।

मुस्लिम मुख्यमंत्री 
1- बरकतउल्ला खा सन् 1971 में राजस्थान के मुख्यमंत्री बने 
2- मोहम्मद हसन फारुख पांडुचेरी के तीन बार मुख्यमंत्री बने 
3- मोहम्मद अलीमुद्दीन मणीपुर के सन् 1972 में मुख्यमंत्री बने।दो बार रहें।
4- अब्दुर रहमान अंतुले महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने 9 जून सन् 1980 को।
5- सईदा अनवरा तैमूर भारत में पहली महिला मुख्यमंत्री बनी आसाम से सन् 1980 में।
6- मोहम्मद गोया केरल के मुख्यमंत्री बने सन् 1980 में।
7- अब्दुल गफूर 2 जुलाई सन् 1973 में बिहार के मुख्यमंत्री बने दोबार।

शनिवार, 11 मई 2024

समिति समाचार

 सन् 1857 की क्रांति के बलिदानियों की स्मृति को जीवंत बनाने के लिए भारत सरकार की ओर से कार्यक्रमों का आयोजन करने के लिए एक समिति का गठन हुआ।जिसका नाम क्रांति तीर्थ समिति रखा गया था।माछरा गांव के रहने वाले श्री अश्विनी त्यागी जी इस समिति के संयोजक बनाये गये थे।प्रताप राव गुर्जर स्मृति समिति के अध्यक्ष पद पर रहते हुए मुझे भी इस समिति के संरक्षक मंडल में एक सदस्य के रूप में स्थान प्राप्त हुआ। क्रांति तीर्थ समिति के बैनर तलें जो कार्यक्रम आयोजित किए गए, जिनमें मेरी भागेदारी रही।उन कार्यक्रमों का विवरण प्रताप राव गुर्जर स्मृति समिति के द्वारा विगत कई वर्षों से प्रकाशित की जा प्रताप वार्षिकी के सन् 2024 के अ़क में समिति समाचार के रुप में पाठकों के लिए प्रस्तुत है -
27 जून सन् 2023 को अमर क्रांतिकारी किला परिक्षत गढ़ के अंतिम राजा राव क़दम सिंह की स्मृति में 27 जून सन् 2023 को हापुड़ जिले के गढ़ ब्लाक के गोहरा आलमगीर गांव में पूर्व चेयरमैन चमन सिंह के निवास स्थान पर आयोजित किया गया। कार्यक्रम में क्रांति तीर्थ समिति के संयोजक अश्वनी त्यागी, मुख्य वक्ता के रुप में इतिहास के प्रोफेसर डा सुशील भाटी, संरक्षक मंडल के सदस्य अशोक चौधरी,शिक्षाविद् प्रो हरेंद्र सिंह,गढ विधानसभा के विधायक हरेंद्र सिंह, पूर्व विधायक कमल सिंह, हापुड़ की जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती रेखा हूण/नागर,जिला पंचायत सदस्य मनोज अधाना तथा हापुड़ की भाजपा की जिला उपाध्यक्ष डा निलम सिंह, वरिष्ठ समाजसेवी श्री ओमपाल हूण उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन लोदीपुर छबका गांव के श्री राजबल सिंह ने किया। कार्यक्रम में राव कदम सिंह के वंशंज श्री चमन सिंह को क्रांति तीर्थ समिति की ओर स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया गया।
9 जुलाई सन् 2023 को मेरठ जिले के किला परिक्षत गढ़ ब्लाक में स्थित राव कदम सिंह के गांव पूठी में कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में पूर्व जिला पंचायत सदस्य रोहतास सिंह, क्रांति तीर्थ समिति के संयोजक अश्वनी त्यागी, मुख्य वक्ता के रुप में अशोक चौधरी उपस्थित रहे। कार्यक्रम के संयोजक राव कदम सिंह के परिवार के श्री मनोज नागर तथा मनोज रावल रहें। क्रांति तीर्थ समिति की ओर से मनोज नागर,मनोज रावर तथा सुभाष नागर को स्मृति चिन्ह प्रदान कर सम्मानित किया।
22 जुलाई सन् 2023 को सन् 1857 की क्रांति के अमर बलिदानी मेरठ जिले के बहसूमा गांव के निवासी श्री दलेल सिंह व पिरथी सिंह की स्मृति में क्रांति तीर्थ समिति के तत्वावधान में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के संयोजक बलिदानी दलेल सिंह व पिरथी सिंह के वंशंज श्री वेदपाल नागर रहें। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में बहसूमा सहकारी समिति के चैयरमेन श्री सुभाष गुर्जर रहें। कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रुप में अशोक चौधरी तथा समिति संयोजक अश्वनी त्यागी उपस्थित रहे। क्रांतिकारी दलेल सिंह व पिरथी सिंह के वंशजों को क्रांति तीर्थ समिति की ओर से स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया गया।
24 जुलाई सन् 2023 को सन् 1857 के अमर बलिदानी श्री इन्द्र सिंह राठी जी की स्मृति में एक कार्यक्रम का आयोजन क्रांति तीर्थ समिति के तत्वावधान में किया गया। प्रसिद्ध क्रांतिकारी विजय सिंह पथिक जो इन्द्र सिंह राठी के प्रपौत्र थे,का स्मरण भी किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में जिला गौतमबुद्ध नगर के होमगार्ड जिला कमांडेंट श्री वेदपाल चपराणा उपस्थित रहे। मुख्य वक्ता के रुप में अशोक चौधरी, समिति संयोजक अश्वनी त्यागी,सह संयोजक श्री मयंक अग्रवाल उपस्थित रहे। क्रांति तीर्थ समिति की ओर से क्रांतिकारियों के वंशंज श्याम लाल राठी, नत्थू सिंह राठी निवासी गांव अख्तियार पुर। नत्थू सिंह कपासिया निवासी गांव मुंडसाना।रामफल मावी निवासी गांव लुहारली।हरकेश सिंह निवासी गांव मनोहर गढ़ी को स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया गया।
25 जुलाई सन् 2023 को गाजियाबाद जिले के मोदी नगर के पास स्थित सीकरी गांव में सन् 1857 की क्रांति के अमर बलिदानी श्री सिब्बा सिंह गुर्जर एवं सीकरी गांव के सैकड़ों बलिदानियों की स्मृति में क्रांति तीर्थ समिति के तत्वावधान में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के संयोजक पूर्व पार्षद श्री तेजपाल सिंह पोसवाल तथा मुख्य अतिथि श्री कालूराम चैयरमेन रहें। मुख्य वक्ता के रुप में अशोक चौधरी तथा समिति संयोजक अश्वनी त्यागी जी उपस्थित रहे। समिति की ओर से बलिदानियों के वंशंज श्री कालूराम चैयरमेन, आचार्य चंद्र शेखर शास्त्री एवं हरवीर वत्स को स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया गया।
2 अगस्त सन् 2023 को बागपत जिले के बिजरोल गांव में सन् 1857 के अमर क्रांतिकारी चौधरी शाहमल सिंह की स्मृति में क्रांति तीर्थ समिति के तत्वावधान में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रुप में अशोक चौधरी तथा समिति के संयोजक अश्वनी त्यागी जी उपस्थित रहे। क्रांतिकारियों के वंशजों को क्रांति तीर्थ समिति की ओर से स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया गया।
26 अगस्त सन् 2023 को जिला गोतम बुद्ध नगर के M-57 डेल्टा -3 में सन् 1857 की क्रांति के अमर बलिदानी तोता सिंह कंसाना की स्मृति में क्रांति तीर्थ समिति के तत्वावधान में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के संयोजक तोता सिंह कंसाना के वंशज श्री नेपाल सिंह कंसाना रहें। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में पूर्व मंत्री श्री नबाब सिंह नागर, मुख्य वक्ता के रुप में अशोक चौधरी समिति के संयोजक अश्वनी त्यागी तथा सह संयोजक मयंक अग्रवाल उपस्थित रहे। क्रांति तीर्थ समिति की ओर से क्रांतिकारियो के वंशज नेपाल सिंह कंसाना सहित करीब 10 लोगों को स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया गया।

रविवार, 31 मार्च 2024

एक जीवन मेरे पिताजी श्री समय सिंह-अशोक चौधरी/कुमार मेरठ।

मेरे पिताजी श्री समय सिंह पुत्र स्व श्री जिले सिंह एक सीधे- साधे ईश्वर मे विश्वास रखने वाले व्यक्ति थे।उनका जन्म उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले के खतोली ब्लाक के भटौडा नाम के गांव में 11-05- 1942 में हुआ था।वो एक किसान परिवार से ताल्लुक रखते थे।हमारी माता स्व श्रीमती श्याम कली देवी जो जिला मेरठ की मवाना तहसील के माछरा ब्लाक के अन्तर्गत गढ़ रोड पर स्थित हसनपुर कलां गांव के स्व श्री रामचन्द्र जी की पुत्री थी।हम अपनी माता-पिता के तीन संतान है,मेरी बडी बहन कृष्णा, में (अशोक चौधरी/कुमार) और मेरा छोटा भाई महेश कुमार।
हमारे मामा जी का परिवार पढा लिखा परिवार था,हमारे मामा जी श्री निर्भय सिंह व श्री सिब्बू सिंह सरकारी अधिकारी थे तथा शहर में निवास करते थे।ऊनकी जीवन शैली से प्रभावित होकर हमारी माता जी के अथक प्रयास तथा नाना व नानी जी के अथक सहयोग से हम भी सन् 1977 में मेरठ की नेहरू नगर कालोनी की गली नंबर एक मे अपना मकान बनाकर रहने लगे थे तथा शहरी नागरिक बन गये थे।
ग्रामीण से शहरी नागरिक बनने का सफर काफी दिलचस्प व संघर्ष भरा था। मेरे नाना जी का परिवार यूं तो एक किसान परिवार था, परंतु वह किसानों में अगडे थे।मेरे नाना जी के मकान का दरवाजा लखोरी ईंटों का बना हुआ था,जिसे देखकर यह प्रभाव पडता था कि यह पुराना सम्पन्न परिवार है।
सन् 1965 में मेरा जन्म हुआ था।मेरे परिवार में महिलाओं की कमी थी,मेरी दोनों बुआ शादी शुदा थी तथा मेरी दादी की मृत्यु मेरी माताजी की शादी के कुछ माह बाद ही हो गई थी,दादी जी की मृत्यु के समय मेरी एक बुआ की शादी भी नहीं हुई थी।इस कारण मेरा जन्म मेरे नानाजी के यहां ही हुआ था।जब मेरी माताजी मुझे लेकर मेरे गांव पहुची,तब 
 मेरे गांव से मेरे जन्म की सूचना की रस्म निभाने के लिए  हमारा नाई मेरे नाना जी के यहां पहुचा,तब मेरे नाना जी ने हमारे नाई की बडी खातिरदारी की तथा चलते समय भेंट स्वरूप 251 रुपये दिए।उस मंदे जमाने में यह एक बडी रकम थी।जब मेरै ताऊ जी ने हमारे नाई से पूछा कि रिश्तेदार कैसे हैं।तब नाई ने कहा कि जितने की आपकी पूरी जमीन है,उतनी किमत का तो आपके रिश्तेदार का दरवाजा है।इस पर मेरे ताऊ जी ने उसकी पिटाई कर दी। हमारे पास 65 बीघा जमीन थी,ताऊ बोले क्या दरवाजा 65 बीघा जमीन के बराबर का है।खैर नाई ने अतिश्योक्ति अलंकार का प्रयोग कर दिया था।मेरे ताऊ जी ने गुस्से में कह दिया कि देखेंगे छूछक ट्रक भरकर आयेगा क्या? मेरे नाना जी को यह बात मेरी माता जी के माध्यम से पता चल गई। मेरे नाना जी ने उस समय बेड, सोफा सेट, रेडियो, अनाज की टंकी,बडा सन्दूक आदि सामान ट्रक मे भरकर, ट्रक से ही छूछक भेज दिया।
मेरै नाना जी के यहां सन् 1972-73 के आसपास घर पर शौचालय बना हुआ था,जो उस समय एक किसान के यहां होना, परिवार की अग्रणिय स्थिति की ओर संकेत करता था।मेरी नानी जी जिनका नाम प्रहलादो देवी था,माछरा ब्लाक के भडोली गांव के निवासी श्री बहादर सिंह कसाना की पुत्री थी।जैसा मेरी नानी जी बताती थी कि उनके पिताजी पशुओं (गाय,भैस) की बीमारी दूर करने की देशी दवाई के जानकार थे।उनके द्वारा ही मेरी नानी जी को भी यह तकनीक ज्ञात थी।मेनै स्वयं देखा कि मेरी नानीजी गम्भीर बीमारी से ग्रस्त पशुओं को कान व पूंछ की नस बींधकर तथा देशी दवाई की दो तीन खुराक मे ही ठीक कर देती थी,इस कारण नानीजी का आसपास के कई गांवों में बड़ा आदर था।नानी जी कोई डिग्री प्राप्त डाक्टर नही थी, परंतु उनकी दवाई डिग्री प्राप्त डाक्टरों पर भारी पडती थी।इस कारण नानीजी उस पुराने समय में एक आर्थिक रुप से सशक्त महिला थी।
यही कारण रहा कि मेरे नानाजी एक माध्यम दर्जे के किसान होने के बावजूद भी अपने आसपास के बड़े किसानों से बहतर थे। हमारे मेरठ में स्थापित होने मे हमारी नानी जी का बहुत बड़ा योगदान था। हमारे पिताजी और दादाजी शहर में रहने के पक्षधर नही थे,वो गांव में ही अपनी खेती किसानी बढाना चाहते थे। परंतु हमारी माताजी शहरी जीवन की पक्षधर थी।इस स्थिति में शहर में सम्पत्ति खरीदने में मेरे पिताजी की कोई रुचि नहीं थी। सन् 1972 में मेरी माता जी ने अपने बल पर मेरठ में 200 वर्ग गज का एक प्लाट गढ़ रोड पर स्थित नेहरू नगर कालोनी में खरीद लिया,जिसकी किमत उस समय 12000 रुपये थी।इन 12000 रुपयों में हमारे पिताजी ने कोई सहयोग नहीं दिया था।सब धन मेरी माता जी ने लगाया था।मेरी माता जी का कोई व्यवसाय नही था। अतः किसी ना किसी रुप में यह धन मेरे नाना जी व नानी जी की कृपा से प्राप्त था। सन् 1974 में इस प्लाट की नींव भरी गई। उसमें आधा सहयोग हमारे पिताजी ने दिया था,करीब 5-7 हजार रुपए। सन् 1976 में इस प्लाट पर बिल्डिंग बनी, जिसमें 90000 रुपये खर्च हुए।मेरे पिताजी की ओर से 15000 रुपयों का सहयोग रहा था। सन् 1978 में मकान की फिनिशिंग हुई, इसमें पूरा खर्च मेरे पिताजी ने दिया था,जो करीब 25000 रूपये था।इस प्रकार हम शहरी नागरिक बन मेरठ में रहने लगे थे।
इंसान कितना भी पढ लिख ले, परंतु समाज के नियम उसे प्रभावित अवश्य करते हैं।मेरे मामाजी भी समाज की प्रथा से प्रभावित हो गये थे। क्योंकि वह उनको लाभ पहुंचाने वाली थी। भारतीय समाज में उस समय बेटी को पराया धन समझा जाता था। माता-पिता अपनी बेटी की शादी करना ही अपनी जिम्मेदारी समझते थे। परंतु जमाना बदल रहा था।मेरे नाना जी व नानी जी इस बदलाव से प्रभावित होकर बेटी को पराया धन ना मानकर बराबर का अधिकार दे रहे थे। परन्तु इस बदलाव को मेरे मामाजी स्वीकार नही कर रहे थे। अतः परिवार में तनाव बन गया था। जिसमें मेरे नाना जी व नानी जी तथा माता जी एक ओर थे तथा मेरे दोनों मामा जी एक ओर।आपसी मनमुटाव इतना बढ़ा कि हमारी शादियों में भात की रस्म मे भी परेशानियां बनी। परंतु समय के मरहम ने सब ठीक कर दिया था।हम तीनों भाई बहन तथा हमारे मामा जी के बीच रिश्ते सहज ही थे।
जब सन् 1977 में हम गांव से मेरठ में आ गये।तब मेरे पिताजी को गांव में ही रहकर खेती करानी पडी, क्योंकि मेरे दादाजी शहर में रहने के पक्षधर नही थे। उन्होंने मेरठ में रहने के लिए साफ मना कर दिया था।इस कारण मेरे पिताजी को सात-आठ वर्ष तक गांव में ही दादाजी के पास रुकना पडा।मेरी छोटी बुआ जी श्रीमती शिमला देवी का इस समयावधि में बहुत सहयोग रहा।बुआ जी वर्ष में करीब छः महीने पिताजी और दादाजी के पास गांव में रह जाती थी।कभी कभी कोई आपदा भी रास्ता आसान कर देती है।मेरा गांव मेन रोड से बहुत अंदर था, वहां बाजार से कुछ भी लेने की कोई व्यवस्था नहीं थी।नमक या माचिस जैसी चीजें लेने के लिए भी गांव से सात किलोमीटर दूर मंसूरपुर या तीन किलोमीटर दूर सिखेड़ा आना पडता था।ऐसी परिस्थिति में पिताजी और बाबाजी के खाना बनाने की व्यवस्था कैसे बनें।यह एक गंभीर प्रश्न था। कुटुम्ब के लोग सहयोगी थे परंतु लगातार सहयोग बने रहना सम्भव नहीं था।मेरी छोटी बुआ जी कुछ क्रोधी स्वभाव की थी।उनकी जहां शादी हुई (वर्तमान में उत्तराखंड में रूड़की के पास देवपुर गांव) वहां उनकी सासूजी भी क्रोधी स्वभाव की थी।मेरी बुआ जी के दो संतान एक बेटा व एक बेटी पैदा हो गई थी। लेकिन तभी मेरे फूफाजी का देहांत हो गया था। परिस्थिति ऐसी बनी कि मेरी बुआ जी और उनकी सासूजी के मध्य जो टकराव हो जाता था तो कोई शांत करने वाला नही था। बुआ जी के ससुर फूफाजी की मृत्यु के कुछ माह बाद ही स्वर्ग वासी हो गये थे।इन परिस्थितियों में मेरी बुआ जी वर्ष भर करीब आठ महिने पिताजी के पास गांव अपने बच्चों सहित आ जाती थी,वो छ महीने रहती फिर दो महिने को अपनी ससुराल चली जाती थी। वहां मुश्किल से दो महिने रह पाती थी फिर पिताजी के पास आ जाती थी। क्योंकि गांव में मेरी माताजी भी नही थी, इसलिए वहां उनका किसी से कोई टकराव नही होता था।इस प्रकार मेरे दादा जी की मृत्यु तक यही क्रम बना रहा।मेरी बुआ जी के बच्चे भी बडे हो गये थे,उनकी सासूजी की भी मृत्यु हो गई थी।समय की शक्ति ने सब सामान्य कर दिया था तथा दोनों परिवारों की समस्या का समाधान भी कर दिया था।
 जीवन चलता रहा।मेरी माता जी वृद्ध हो चली थी।उनका पैर फिसल गया तथा कूल्हा टूट गया।वो बैड पर आ गई। पिताजी ने इस समय माता जी को भरपूर सहारा दिया।वे माता जी के साथ एक परछाईं की तरह रहें।माता जी के नीजि देनिक कार्य में पिताजी ने भरपूर सहायता की।
5 दिसम्बर  2021(रविवार का दिन  मार्गशीर्ष मास शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि ) प्रात: 9 बजे माता जी इस नश्वर संसार को छोड़कर चली गई।
मेरे पिताजी,माता जी की मृत्यु के बाद कुछ समय के लिए असहज से रहें। परंतु हमने पिताजी को अकेला नही छोडा। में और मेरा छोटा भाई महेश, कोई ना कोई उनके पास ही सोता था। लेकिन 12-02-24 की दिन शाम को दूध पीते समय पिताजी के गले में फंदा लग गया।उनको हास्पिटल में भर्ती करना पडा।वो वेंटिलेटर पर आ गए  तथा  20 फरवरी 2024 को (माघ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि ) को अस्पताल में मृत्यु हो गई।वो इस नश्वर संसार को छोड़कर चले गए।
एक सीधे साधे सरल जीवन का अंत हो गया।

गुरुवार, 14 मार्च 2024

एक जीवन मेरी धर्म पत्नी ऊषा रानी - लेखक अशोक चौधरी मेरठ।

व्यक्ति अकेला जन्म लेता है और जब संसार से विदा होता है तब अकेला ही चला जाता है। संसार में आने और जाने के बीच के समय को ही जीवन कहा गया है।इसी बीच व्यक्ति संसार में रहने वाले अन्य जीवों और वस्तुओं से भी सम्बन्ध बनाता है।जो निर्जिव व संजीव दोनों तरह से होते हैं। अपने देश, अपना गांव इसमें प्रमुख हैं। संसार में सजीव/जींदा लोगों मे बना सम्बन्ध जिनमें भाई-बहन,माता पिता,यार दोस्त तथा पति-पत्नि का है।
मेरा भी विवाह-संस्कार के माध्यम से पत्नी के रुप में मेरठ- हरिद्वार रोड पर स्थित दादरी गांव के निवासी राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त अध्यापक श्री झब्बर सिंह की पुत्री ऊषा रानी ( जन्म 05-11-1970, मृत्यु 14-03-2024) सेे 5 जुलाई सन् 1987 को सम्बन्ध बना।ऊषा देवी के तीन छोटे भाई जोगेंद्र सिंह, राजेंद्र सिंह व प्रमेंद्र सिह थे।मास्टर झबर सिंह तीन भाई थे,जिनमे मास्टर झबर सिंह व उनके बडे भाई जयपाल सिंह एक साथ रहते थे।हमारी सासू मा दो सगी बहनें इन दोनो सगे भाईयों की धर्मपत्नी थी, जयपाल सिंह निसंतान थे समय व्यतीत होता रहा, मुझको दो पुत्री पायल व कोमल के रुप में प्राप्त हुई।मेरी पत्नी ऊषा का सबसे छोटा भाई प्रमेंद्र जो मेरी शादी के समय बच्चा ही था, धीरे-धीरे बडा होने लगा,वह पढ़ाई के लिए कुछ महीनों के लिए मेरे पास ही रहा, इसलिए अति निकट भी हो गया,ऊषा के तीनो भाईयो की शादी भी हो गई, जिसमें प्रमेंद्र की शादी मेरठ जिला के मेरठ ब्लाक के नरहडा गांव के निवासी मास्टर विजय सिंह की पोत्री उपासना देवी के साथ हो गई।मास्टर विजय सिंह राजनितिक दृष्टि से भाजपा के निकट थे,मे भी भाजपा के निकट रहा, इसलिए मेरी मास्टर विजय सिंह से पहले से ही मुलाकात थी।सब कुछ ठीक-ठाक चल रहा था।आपस में प्रेम भाव था,मास्टर विजय सिंह का एक मकान मेरठ में बेगमबाग मे भी था।
मेरी पत्नी ऊषा मृदु भाषी और प्रसन्न दिखने वाली महिला थी।मेरी माता जी सख्त स्वभाव की थी।मेरी माता जी ने घरेलू बात से नाराज़ होकर मुझे अलग कर दिया तथा मुझे दो कमरे दे दिए।कुछ दिन बाद ऊषा अपने मायके चली गई।मेरे पिताजी व मेरा छोटा भाई महेश तथा माता जी एक साथ रह रहे थे।मेरी माताजी किसी घरेलू बात पर मेरे पिताजी से लड पडी तथा पिताजी व महेश का खाना बनाना बंद कर दिया।मे बाहर से आया तो मैंने देखा कि महेश खाना बना रहा था।मे ऊषा को उसके घर से ले आया। पिताजी और महेश का खाना ऊषा बनाने लगी।मेरी बडी बेटी पायल घर पर ही पैदा हुई थी।उसके जन्म लेते समय एक स्थिति ऐसी बनी कि अस्पताल ले जाने की जरूरत आन पडी थी। परंतु डीलिवरी घर पर ही हो गई।मेरी बडी बहन कृष्णा मेरी बडी बेटी के पैदा होने पर ऊषा के साथ रही।
जब दूसरी बेटी के जन्म का समय आया तो मैंने माता जी से कह दिया कि अब घर पर नही, अस्पताल में डिलिवरी होगी।मेरी माता जी इस बात से नाराज़ हो गई।जब मे ऊषा को लेकर सुशीला जसवंत राय अस्पताल ले जाने लगा तो माता जी ने मेरे साथ जाने के लिए मना कर दिया।मे अपनी दूर के रिश्ते की मौसी जो गढ़ रोड पर स्थित किठोर के पास सादुल्लापुर गांव की निवासी थी तथा जिनका नाम धनकौर था ,को ले गया।जब मेरी छोटी बेटी कोमल पैदा हो गई तब ऊषा की माता जी को लेकर आया। अस्पताल में ऊषा की माता जी साथ रही। 
समय गुजरता रहा मेरी बडी पुत्री पायल की सन् 2011 में शादी हो गई। मेरी पत्नी के छोटे भाई प्रमेंद्र की पत्नी उपासना गर्भवती हो गई, डाक्टर ने उसको बेड-रेस्ट बता दिया,उसके गर्भ मे दो बच्चे थे। इस स्थिति में प्रमेंद्र मेरे पास आया और कहने लगा कि मेरी पत्नी को बेड-रेस्ट बताया है,इसकी कैसे व्यवस्था हो,मेने कहा कि तीन ही जगह है,एक अपने घर दादरी जाइयै, दूसरे आपकी पत्नी का मायका है जिनका निवास मेरठ में है,उनसे पास रहिये,तिसरा विकल्प आपकी बहन है,यदि वह चाहे तो यहां भी व्यवस्था बन सकती है। प्रमेंद्र ने अपनी बहन से परामर्श किया और अपना घर तथा ससुराल को छोड़कर तीसरा विकल्प अपनी बहन का घर चुना। प्रमेंद्र पढ़-लखा होशियार व्यक्ति था,उसकी पत्नी भी पढी लिखी थी। बुद्धिमान व्यक्ति वही माने जाते हैं जो अपने संकट में अपने नजदीकी लोगों को बचा ले तथा दूसरे को उसमे शामिल कर लें। प्रमेंद्र ने भी यही किया, उसने अपने पिता तथा ससुराल पक्ष को बचा लिया तथा अपनी समस्या का समाधान का भार अपनी बडी बहन पर डाल दिया।ऊषा देवी ने अपनी छोटी भाभी की बडी सेवा की,वह गर्भावस्था में 6 महिने हमारे पास नेहरु नगर मेरठ में रही,मेरी छोटी बेटी कोमल भी उसकी सेवा में लगी रही।भाई बहन का प्रेम सफल रहा,उपासना देवी ने दो जुडवा बेटो को जन्म दिया। प्रमेंद्र अपने जुडवा बेटो को लेकर फिर 6 महिने अपनी बहन के पास रहा,मेरी पत्नी ऊषा तथा पुत्री कोमल उन बच्चों की देखभाल में लगे रहे। उपासना देवी की नौकरी लग गई,वह मेरठ के आर जी डिग्री कालेज में अध्यापिका नियुक्त हो गई।मेरे ससुर श्री झबर सिंह भी सेवानिवृत्त हो गये।मेरा गांव जिला मुज्जफर नगर के खतोली ब्लाक मे भटौडा है।वही हमारी पुस्तेनी जमीन है।क्योकि मेरे ससुर अध्यापक रहे थे, प्रमेंद्र भी बीएड किये हुए था, इसलिए यह योजना बनी की गांव में एक स्कूल बनाया जाय, जमीन मेरे पास थी,इस कार्य में, में और मेरा छोटा भाई महेश तथा मेरे ससुर तीन हिस्सेदार बन गए।हम तीनों ने मिलकर 744000  रुपए खर्च कर गांव में स्कूल की बिल्डिंग बनाई,इस धन मे अपने हिस्से के अनुसार मेरे ससुर श्री झबर सिंह ने 249000  रूपए लगाये जो 33.5% के करीब था, स्कूल का नाम शहीद विजय सिंह-कल्याण सिंह पब्लिक स्कूल रखा गया,पांचवी कक्षा तक की मान्यता यूपी बोर्ड से ले ली गई। लेकिन वह स्कूल चल नही पाया,श्री झबर सिंह की आयु इसमें आडे आ गई, इसलिए यह विचार हुआ कि स्कूल को किसी ओर से संचालित करवाया जाय।उस विकल्प मे भी कोई खास आमदनी नही हुई। इसलिए यह तय हुआ कि स्कूल को बेच दिया जाय तथा अपनी पूंजी निकाल ली जाय। प्रयास प्रारंभ हुए, स्कूल का खरीदार नही मिल रहा था। बिल्डिंग बनी हुई थी, इसलिए यह योजना बनी की बिल्डिंग को अलग बेच दिया जाय,मेरे द्वारा प्रयास किये जा रहे थे, बिल्डिंग के मलवे के कोई 200000  रुपए से अधिक देने को तैयार नही था।ऐसी परिस्थिति में श्री झबर सिंह के हिस्से के 249000  रुपए घट कर 67000 रुपये हो रहे थे। इसलिए मन में तनाव बनने लगा था।मेरा परिवार यह कह रहा था कि जमीन हमारी है इसलिए बिल्डिंग मे ही हिस्सा हैं, जमीन के दाम बढ रहे थे परंतु बिल्डिंग के दाम घट रहे थे।क्योकि श्री झबर सिंह बिल्डिंग मे ही साझेदार थे, जमीन की कीमत उन्होंने नही दी थी, इसलिए घाटा उनकी तरफ जा रहा था,हमारा घाटा तो जमीन की बढी दर से पूरा हो रहा था।घर में तनाव बन रहा था और इस परिस्थिति का शिकार मेरी पत्नी हो रही थी,जिसकी कोई गलती नही थी।वह शूगर की पेसेंट सन् 2012 से बन गई थी।मेने बडे गम्भीर प्रयास से अपने परिवार को समझाया कि बिल्डिंग और जमीन को एक साथ ही रहने दिया जाए।दोनो को बेचकर जो पूंजी मिले, उसमें से ही हिस्सेदारी तय की जाय।दोनो को खरीदने का कोई ग्राहक नही मिल रहा था। इसलिए मेरे ससुर श्री झबर सिंह मुझसे पूछते रहते थे कि क्या हुआ? सम्बन्धों में एक अजीब सी चुभन बन रही थी।तभी मेरी मुलाकात श्री रजनीश कुमार जो मेरे गांव के पास स्थित फीमपुर गांव के निवासी से हुई,वह मंसूरपुर गांव में स्कूल चलाते थे।मेने उनसे अपना स्कूल खरीदने का प्रस्ताव रखा।पहली बार मे उन्होंने मना कर दिया।लगभग 6 महीने बाद उनसे दोबारा मुलाकात हुई,मेने दोबारा प्रस्ताव रखा,रजनीश जी ने कहा कि उनके पास एक साथ देने के लिए धन नही है,मेने उनसे अपनी सुविधानुसार धन देने का विकल्प रख दिया।जिस पर वह रजामंद हो गये। स्कूल दस लाख रुपए में तय हो गया।अब श्री झबर सिंह के हिस्से में 67000 के स्थान पर 235000 हजार रुपए आ रहे थे। रजनीश जी ने 50000 रुपए बयाना दे दिया। लेकिन तभी कोरोना की महामारी आ गयी,दो वर्ष तक पूरा देश इस महामारी से प्रभावित रहा। इसलिए स्कूल का पेमेंट रुक गया। लेकिन स्थिति सामान्य होने पर सब काम चलने लगे।  स्कूल का पेमेंट आने लगा।मेने 100000 रुपए श्री झबर सिंह को दे दिये।
इसी बीच श्री झबर सिंह के बडे भाई श्री जयपाल सिंह को ब्रेन हेमरेज हो गया,वो सुशीला जसवंत राय हांस्पिटल में भर्ती हो गए तथा वेंटिलेटर पर आ गये।इलाज महंगा हो गया।मेरठ के मेडिकल कॉलेज में वेंटिलेटर की व्यवस्था थी,जो निशुल्क थी, परंतु यदि कोई बीमार व्यक्ति मेडिकल कॉलेज में सीधा भर्ती होकर वेंटिलेटर पर आ जाय तो व्यवस्था बनने में कोई परेशानी नहीं थी, परंतु यदि किसी प्राइवेट नर्सिंग होम में भर्ती होकर कोई बीमार व्यक्ति वेंटिलेटर पर आ जाय तो उसके बाद मेडिकल सरकारी अस्पताल में भर्ती होने का विकल्प सामान्य तौर पर नही था। अतः एक बडी समस्या सामने खडी थी।धन की आवश्यकता थी,मेने अपने सम्बन्धों का प्रयोग किया, अपने विधायक डा लक्ष्मीकांत वाजपेई जी की मदद से श्री जयपाल सिंह को मेडिकल में वेंटिलेटर की व्यवस्था करा दी। सुशिला जसवंराय हास्पिटल में जो खर्च 30000 रुपया प्रतिदिन था वह घटकर शून्य हो गया।करीब दस दिन श्री जयपाल सिंह वेंटिलेटर पर रहें,उनकी मृत्यु हो गई।करीब तीन लाख रुपए की बचत हो गई।
तभी मेरी पत्नी ऊषा देवी बीमार हो गयी।
31-01-2018 की रात्रि को बेगमबाग मेरठ में रह रहे  प्रमेंद्र के माध्यम से डा अनिल मेहता को दिखाया गया तो पता चला कि निमोनिया हो गया है,ऊषा की जान खतरे में है।मेरे पड़ोस में रहने वाले सतीश वर्मा की पुत्री दिल्ली एम्स अस्पताल में कार्यरत थी, उसके माध्यम से 02-02-2018 को ऊषा को दिल्ली ले गए।जब सुबह में ऊषा को गाड़ी से दिल्ली लेकर चला।तब मेरी माताजी नीचे खडी रो रही थी। उनके मन में यह डर समा गया था कि ऊषा जिंदा वापस आये या ना आये।मेरी माताजी सख्त स्वभाव की महिला थी। परंतु अपनो से प्यार कोन नही करता?
मेरे साथ मेरे छोटे भाई की पत्नी बीना व मेरी बडी बेटी पायल के ससुर रिठानी निवासी डा ज्ञानचंद बैसला थे। लेकिन जिनकी बहू की सेवा ऊषा ने एक वर्ष तक की थी,उस पक्ष से कोई नही था।ऊषा दिल्ली से ठीक होकर आ गई।
मार्च 2020 में ऊषा फिर बीमार हो गयी। उसके पैर सूजने लगे।16-03-2020 को ऊषा को डा प्रवीण पुंडीर को दिखाया।तब वह ठीक हुई।लेकिन निमोनिया ने ऊषा का जीवन कठिन बना दिया।
मैं अपनी पत्नी ऊषा के साथ वर्ष में दो बार होली और दीवाली को अपने गांव देवता का पूजन करने जाता था। सन् 2021 में जब दीवाली पर पूजन करने के बाद वापस मेरठ आ रहा था तब हम गंगनहर की पटरी से आ रहे थे।गंगनहर की पटरी से दादरी होते हुए दिल्ली रुडकी वाली सड़क पर पहुंच जाते हैं। जैसे ही हम दादरी पहुंचे,ऊषा ने दादरी मे बने मंदिर में प्रसाद चढाने तथा पूजा करने की इच्छा व्यक्त की। मैंने गाडी रोक ली।जब पूजन समाप्त हुआ,तब मेंने ऊषा से कहा कि आप चाहों तो अपने माता-पिता या भाई भाभी से भी मिल सकती हों। गांव में ही खड़े हैं।इस पर ऊषा ने मिलने से मना कर दिया। उसने कहा कि जब मेरे परिवार वालों ने ही मेरे पास आना बंद कर दिया,तो में भी नही जा रही। माता-पिता के जीवित रहते यदि एक बेटी अपने घर जाने की हिम्मत भी ना जुटा पाये। आखिर यह समाज की कैसी बनावट है? कैसे सम्बन्ध है?
जब ठंड का मौसम आता और जाता था,वह कुछ दिन परेशान रहती थी।वह सामान्य आदमी की तरह सीधा लेट नही पाती थी।एक तरफ करवट लेकर तथा सर की ओर से कुछ ऊंचा होने पर ही लेट पाती थी।जीवन चलता रहा।कुछ समय बाद 10-08-2022 को ऊषा को पेरेलाईसिस/फालिस का एक हल्का आघात हुआ।जब उसकी तबियत खराब हुई,तब उसकी जान खतरे में देख ऊषा के रिश्ते की बहन संगीता ने बताया की,ऊषा ने उससे 90000 रुपये ऊधार लिए है, अपने भाई योगेंद्र के लिए।मेरे छोटे भाई महेश ने बताया कि भाभी ने 140000 रूपये उधार लिए है, अपनी सहेली अमरेश के लिए।फिर एक दिन प्रमेंद्र का फोन आया कि ऊषा ने उसकी पत्नी उपासना से 35000 रुपये लिए है,जब मेने ऊषा से पूछा तब उसने बताया कि पेसे की जरूरत उसकी सहेली को थी,उनको दिलवा दिये है। मेंने जब इन लोगों से पूछा तब पता चला कि इनमें से किसी ने पैसा नहीं लिया था।बडी अजीब बात थी, आखिर इतना पैसा कहा गया। उषा पेरेलाइसिस थी, फिर भी मैने उससे सत्यता जाननी चाही कि इतना पैसा कहा गया।तब उसने बताया कि मेरी छोटी बेटी कोमल की शादी में शोपिंग करते समय, उससे 70000 रुपये बाजार में खो गये। उसने मुझे नही बताया।किसी से ब्याज पर लेकर उसकी पूर्ति कर ली,जब ब्याज बढ गया,तो दूसरे से ब्याज पर लेकर चुकता कर दिये।इसी उलट फेर में सन् 2016 से सन् 2022 तक 70000 से बढ कर इतने हो गये।मेने ऊषा को समझाया कि वह चिंता छोड दे,मेने सबके पैसे चुका दिए। लेकिन इस घटनाक्रम के बाद से ऊषा का भाई योगेंद्र नाराज हो गया,जबकि नाराज मुझे होना चाहिए था,धन की हानि मेरी हुई थी।
मैंने ऊषा से कहा कि मुझे आजीवन इस बात का दुःख रहेगा कि उसने अपनी परेशानी मुझे नही बताई, वर्ना समस्या का समाधान बहुत पहले ही हो जाता।शायद यह मेरी ही कोई कमी है।इस पर ऊषा भावुक हो गईं,वह मेरे गले लग गई तथा उसने एक ही शब्द बोला सारी/खेद।
योगेन्द्र की नाराज़गी से मुझे समझ में आया कि आखिर भारतीय महिलाएं अपने साथ होने वाले किसी भी गलत व्यवहार पर विरोध क्यों नही कर पाती? क्योंकि उनको अपने भाई पिता या पति की ओर से सहयोग के स्थान पर प्रताड़ना ही मिलती हैं। परंतु मे इस विचार का नही था।जब इन रूपयों का भेद खुला तो ऊषा घबरा गई थी।वह मेरी तरफ देख रही थी कि मेरी क्या प्रतिक्रिया होगी?मेने उसे कुछ नहीं कहा और समझा दिया कि वह इस विषय को भूल जाये।आराम से रहें। मेंने ऊषा के नीजी सम्मान/सेल्फ रेस्पेक्ट को हल्का सा भी आघात नही लगने दिया।ना अपनी ओर से,ना अपने परिवार की ओर से।
ऊषा के पिता जी भी सिर्फ फोन पर पूछ रहे थे कि तबियत कैसी है, कोई देखने नही आया।जब मेने ऊषा के पिता जी से सख्त लहजे में कहा कि आकर अपनी बेटी को देख नही सकते,तब वह आये।
डाक्टर ने ऊषा को ताजी हवा में घूमने की सुबह के समय सलाह दी। पेरालिसिस होने की वजह से वह अकेले घूमने जाने मे सक्षम नही थी।मे चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के प्रांगण में ऊषा को शाम को घूमाने ले जाने लगा।जिस दिन मुझे काम लग जाता,उस दिन घूमना छूट जाता था।वह अपने आप घूमने लगे,इसकी व्यवस्था के लिए मेने मेरठ बाईपास पर स्थित सुशांत सिटी सेक्टर तीन के अंदर इरीश गार्डन में डी-02-04 नम्बर का एक फ्लैट खरीद लिया। मार्च 2023 से हम इस फ्लेट में रहने लगे।मेरे पिताजी भी साथ में थे।अब ऊषा और मेरे पिताजी आराम से अपने आप फ्लेट के प्रांगण में घूम लेते थे।बाहर का कोई वाहन नही आता था,गेट पर चौकीदार रहता था। अच्छी व्यवस्था थी।शूगर, निमोनिया तथा पेरालिसिस की दवाई ऊषा खाती थी, उसके पास जीवन कम ही बचा था।यह में जानता था। परंतु मेने कभी ऊषा का साहस नही गिरने दिया।मेने उसे भरोसा दिलाया कि वह ठीक है।खूब जीयेगी।एक दिन ऊषा कहने लगी कि यदि उसे कुछ हो गया तो मे कैसे करूंगा? क्योंकि मैं घर के काम में रूचि नही लेता था।कपडे धोना आदि से में हमेशा दूर रहा। लेकिन मेने चाय बनाना सीख लिया था।मे सुबह उठकर पिताजी,ऊषा व खुद को चाय पिलाकर घूमने जाता था।इतना कमजोर होने पर भी ऊषा को मेरी चिंता थी,अपनी नही।मैने मन ही मन सोचा शायद भारत में नारी को देवी इसलिए ही कहा गया है।जिसे अपनी सेहत के बारे में सोचना चाहिए था,वह इस हालत में दूसरे के बारे में सोच रही थी।जीवन मृत्यु तो ईश्वर के हाथ है,वह कब किसे अपने पास बुला ले,वह उसकी मर्जी। परंतु सामान्य तौर पर तो ऊषा ही कमजोर थी।मेरे पिताजी भी इस बात से चिंतित रहते थे कि कही ऊषा को उनसे पहले ही कुछ ना हो जाए।
में भी ईश्वर से यही चाहता था कि वह मुझसे पहले दुनिया से चली जाय।
जब ऊषा ने मुझसे यह सवाल किया कि मे उसके बाद कैसे रहूंगा।मेने कहा वो मेरी फिक्र ना करें। क्योंकि जिस सेवा व सहारे की उसको जरूरत थी,वह मेरे अलावा कोई दूसरा परिवार का सदस्य ऊषा को नही दे सकता था।
 समय गुजरने लगा।20 फरवरी सन् 2024 को मेरे पिताजी की मृत्यु हो गई।29 फरवरी सन् 2024 को उनकी तेरहवीं थी।मेरे पिताजी की इच्छा पूरी हो गई।जब उनकी मृत्यु हुई ऊषा ठीक थी।
8 मार्च की रात्रि को ऊषा की तबियत खराब हो गई। में मेरी बेटी कोमल तथा मेरे एक मेडिकल लाइन के साथी श्री सुभाष घर पर ही थे,ऊषा ने अपनी बडी बेटी पायल को याद किया।पायल का ससुराल मेरे निवास से मुश्किल से चार किलोमीटर दूर था,मेने फोन कर उसे बुला लिया।अब हम सबने उसको आनंद नर्सिंग होम में भर्ती कर दिया ,मेने ऊषा के पिता जी को सूचित कर दिया,14 मार्च 2024 , फाल्गुन मास, शुक्ल पक्ष, पंचमी तिथि दिन गुरुवार  को ऊषा इस नश्वर संसार को छोड़कर परलोक वासी हो गयी।
मेरी भी इच्छा भगवान ने पूरी कर दी।वह मुझसे पहले इस संसार से चली गई।
वह वेंटिलेटर पर थी,जब बेहोश थी,उस समय ऊषा के पिता जी अस्पताल पहुंचे।दादरी से मेरठ 25 किलोमीटर दूर है।ऊषा के पिता जी को यह दूरी तय करने में पांच दिन लगे।
रक्त के सम्बन्ध इतने ढीले भी हो जाते हैं। मुझे पहली बार इसका अनुभव हुआ।
मेरा पूरा परिवार शुरू से ही साथ था,यदि कोई साथ नही रहा तो ऊषा का परिवार।
ऊषा ने अपने गृहस्थ जीवन मे सबकी सेवा की।मेरे माता-पिता की,मेरे जीजा श्री मनवीर सिंह का एक्सीडेंट हो गया था,उनका पैर टूट गया था,वह एक वर्ष बेड पर हमारे घर रहें।मेरी बहन उनकी सेवा में लगी रही।उनको देखने आने वालो की चाय पानी की सेवा ऊषा ने की।मेरे भाई की पत्नी बीना के तीन आप्रेशन हुए,एक बेटा होते समय,एक बेटी होते समय तथा एक एप्रेंडिस का।वह जब बेड पर थी उसकी सेवा भी जितना हो सकती थी ऊषा ने ही की।जब ऊषा को जरुरत पडी तो मेरी बहन,भाई की पत्नी बीना,मेरा भाई सब साथ खडे रहे।यदि कही शून्यता थी तो ऊषा के भाई,भाभी और पिता की ओर से।
ऊषा के परिवार वाले सबसे अधिक लाभ उठाकर रिटर्न जीरो दे गये।
यदि ऊषा की सेवा को पूंजी में बदल दिया जाय तौ जो एक वर्ष सेवा उसने अपनी भाभी की की,उसका बाजार मूल्य करीब 300000 रुपये बैठता है। मेरे साथी की पत्नी की स्थिति उपासना जैसी ही थी,उसका ध्यान रखने के लिए दो नौकरानी लगानी पडी थी,एक दिन में तथा एक रात में।दोनो दस दस हजार रुपए महीने लेती थी।
ऊषा के ताऊ जयपाल सिंह जी 10 दिन मेडिकल रहे।इसका नर्सिंग होम में करीब 300000  रूपये पेमेंट देना पडता।इतना लाभ उठाकर जिंदा रहते देखने नही आये।
ऊषा के माता-पिता व भाईयों ने जो समाज में प्रचलन होता है,उसके अनुसार मेरी दोनों लड़कियों की शादी में भात खूब अच्छी तरह दिये थे। परंतु फिर जाने क्या हुआ?मेरी समझ में भी नही आया।
विद्वान लोगों ने कहा है कि आपा ही बुरा है, दूसरे को क्या कहना?शायद हम में ही कमी थी।

मंगलवार, 30 जनवरी 2024

1857 के महान क्रांतिकारी अमर शहीद चौधरी तोता सिंह कसाना - लेखक अशोक चौधरी मेरठ।

भारतियों ने अपनी भूमि को माता के समान माना है। अतः जब- जब भी भूमि को बचाने के लिए बलिदान देने की जरूरत पडी तो भारतियों ने अतुलनीय बलिदान दिये है।ऐसा ही संघर्ष सन् 1857 की क्रांति में चौधरी तोता सिंह कसाना का है।1857 में अंग्रेजों की भारतिय सैना बंगाल नेटिव इन्फैंट्री के सिपाहियों के साथ भारत के वो राजा/जागीरदार जो अंग्रेजों के शोषण का शिकार हो गये थे तथा उन रियासत व जागीरों में निवास करने वाली जनता ने एक साथ मिलकर अंग्रेजों को भारत से बाहर निकालने का एक बडा प्रयास किया था। इस संघर्ष में लाखों की संख्या में भारतियों का बलिदान हुआ था, अंग्रेजों की ओर से भी  उनके अधिकारी, सैनिक व परिवार के स्त्री-बच्चे मारे गए थे।इस कारण भारत का शासन ईस्ट इंडिया कंपनी के हाथ से निकल कर सीधा ब्रिटिश क्राउन के हाथ में चला गया था।भारतियों द्वारा दिए गये बलिदान से वो फल तो प्राप्त नही हुआ जो भारतिय चाहते थे, परंतु बहुत कुछ प्राप्त हो गया था। यह अंग्रेजों की समझ में आ गया था कि भारतियों को वो पूर्ण रूप से गुलाम नहीं  बना सकते, यदि उनको यहां शासक बन कर रहना है तो भारतियों की बात और भावना की कद्र करनी ही पड़ेगी।
भारतियों के अस्तित्व व अस्मिता को बचाने के इस संघर्ष में जिन असंख्य लोगों ने बलिदान दिया। उनमें बहुत बडी संख्या उन लोगों की थी, जो न तो किसी जागीर या रियासत के जागीर दार थे और नाहि क्रांति कारी सेना/बंगाल नेटिव इन्फैंट्री का हिस्सा थे बल्कि एक साधारण किसान परिवार से थे। चौधरी तोता सिंह कसाना उन्ही आम आदमी का एक चेहरा है।वो असंख्य लोग जिनका कोई नाम रिकार्ड में नही आया, सिर्फ अंग्रेजों के द्वारा संख्या लिख दी गई,कि इस जगह इतने लोग मारे गए,चौधरी तोता सिंह कसाना उन सभी अमर क्रांतिकारियों का एक मान बिन्दु है।
चौधरी तोता सिंह कसाना एक जगह जरुर भाग्यशाली रहें हैं कि उनके वंशजों ने अपनी स्मृति में उनकी याद सजोये रखी तथा वे उनका स्मरण समय समय पर करते रहे हैं।
क्रांति के इस किरदार पर मेरे द्वारा किया गया यह लेखन चौधरी तोता सिंह कसाना तथा उन सभी अज्ञात क्रांतिकारियों को एक छोटी सी श्रंद्धाजलि के रूप में पाठकों की सेवा में प्रस्तुत है।-
चौधरी तोता सिंह कसाना जी की वीरता को जानने से पहले हमें उस समय की समाज रचना को समझना होगा। जिसके प्रभाव के कारण एक सामान्य किसान क्रांतिकारी योद्धा के रूप में प्रकट हो गया।
भारत के उत्तर में तथा दक्षिण में जो समाज की व्यवस्था रही है, उसमें कुछ अंतर रहा है। दक्षिण भारत में जाति प्रथा रही है तथा उत्तर भारत में यजमान प्रथा रही है।
जाति प्रथा के अनुसार किसी भी गांव में जो शासक जाति होती थी यानि जिसके पास जमीन होती थी,उस गांव में बसी सभी जातियां किसान जाति के साथ एक श्रमिक के रूप में जुडी रहती थी।यानि एक तरह से यदि किसी गांव में बसी ब्राह्मण जाति किसान जाति है तो जो अन्य श्रमिक जातियां सम्पूर्ण गांव की ब्राह्मण जाति की श्रमिक मानी जाती थी।
लेकिन उत्तर भारत में ऐसा नहीं था खासतौर से हरियाणा पंजाब पश्चिम उत्तर प्रदेश या जहां जाट गूजर अहीर बाहुल्य में थे, उनके गांव में यजमान प्रथा थी।इस प्रथा में यदि एक गुर्जर जाति का गांव है, उसमें सभी जमीन गुर्जर जाति के व्यक्तियों के पास है,उस गांव में बसी श्रमिक जातियां गुर्जर जाति की श्रमिक जाति न होकर,एक परिवार के कृषक के साथ एक परिवार की ही श्रमिक जाति जुडी होती थी। जैसे एक किसान परिवार के साथ एक नाई परिवार,एक कुम्हार परिवार,एक धोबी परिवार,एक भंगी/बाल्मिकी परिवार, एक चमार परिवार,एक धींवर परिवार तथा पुरोहित के रुप में एक ब्राह्मण परिवार जुडा रहता था।इस व्यवस्था के कारण एक दूसरे के सुख दुख का जुडाव बना हुआ था। कार्य के रुप में शोषण भी श्रमिक जाति का कम था,क्यौकि एक परिवार पर एक परिवार की ही जिम्मेदारी थी,अन्य उससे काम नही लेता था।
लडने की पहली शर्त यही है कि जो लडना चाहते हैं उनमें समानता हो,इस यजमान प्रथा के कारण उत्तर भारत के समाज में काफी हद तक समानता थी,मानव अधिकारों का हनन बहुत ही कम था, मुसीबत आने पर किसान व श्रमिक जातियां एक साथ मिलकर अपने शत्रु से संघर्ष कर जाती थी। इसलिए भारत के इतिहास ऐसे अनेक उदाहरण भरे पड़े हैं जिनमें श्रमिक जाति के लोगों ने अपने किसान जाति के लोगों पर आयी मुसीबतों का कंधे से कंधा मिलाकर विरोध किया है तथा बलिदान दिये है।
गुर्जर प्रतिहार सम्राटों के द्वारा जातिय आधार पर जो जागीर दी गई थी,उनकी रचना इस तरह की बन गई थी कि प्रत्येक जाति की बसावट एक छावनी के रुप में हो गई थी।12,24,60,84,360 गांव की संख्या की जागीर के गांव थे जो एक ही जाति तथा एक ही गोत्र के लोगों के पास थे।ऐसी मान्यता है कि दिल्ली के पास  पृथ्वीराज चौहान के ताऊ सम्राट बिसल देव चौहान के द्वारा 360 गांव की जागीर भाटी गुर्जरों को दी गई थी।इन 360 गांव में भाटी गुर्जर सिर्फ 80 गांव में थै बाकि गांव इन भाटी गुर्जरों ने अपने रिश्तेदारों को दे दिए थे, जिनमें 12-12 गांव कसाना और बेसला गुर्जरों को लोनी के आसपास दिए गए,लोनी मे बना किला एक सैनिक छावनी के रुप में था,लोनी के पास बसा जावली गांव इन चौबीस गांव का हैडक्वार्टर था।इसी प्रकार बुलंदशहर में राजगढ़ में बना किला सैनिक छावनी के रुप में था, दुजाना व दादरी के पास बसा कटेहडा गांव क्षैत्र का हेडक्वार्टर था।उस समय समाज का प्रत्येक वर्ग एक सेनिक की तरह हथियार बंद और प्रशिक्षित रहता था,राजा की सेना हार जाने के बाद भी आम आदमी इतना संगठित व सशक्त था कि वह छोटी-मोटी सेना का मुकाबला करने मे सक्षम था, दुश्मन का दबाव बनने पर उसे पलायन कर कहा चले जाना है वह भली-भांति जानता था, मुसीबत टलने पर फिर अपनी जगह लौट आता था।ऐसी व्यवस्था लोगों ने बना रखी थी। सन् 1398 में तैमूर लंग के हमले के समय तुगलक की सेना के हार जाने के बाद भी इस क्षेत्र के लोगों ने तैमूर की सेना का जमकर मुकाबला किया था तथा तैमूर के बेटे को मारकर लोनी के किलेदार करतार सिंह ने उसका शव किले दीवार पर टांग दिया था।
सन् 1773 में राज गढ किलै के किलेदार चंद्र भान सिंह गुर्जर/चंदू गुर्जर ने भरतपुर के राजा नवल सिंह के सेनापति के रूप में मुगल सेना से लडते हुए बलिदान दिया था। कहने का तात्पर्य यह कि सन् 1857 के समय भी इस क्षेत्र बसे किसान जाति समूह हथियार बंद थे तथा आवश्यकता पड़ने पर सेना के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलने की स्थिति में थे।इसी संरचना के कारण चौधरी तोता सिंह कसाना एक क्रांतिकारी सिपाही के रूप में सन् 1857 की क्रांति में अपने स्थानीय सेनापतियो क्रमशः रोशन सिंह भाटी, उमराव सिंह भाटी व राव कदम सिंह व चौधरी शाहमल सिंह के साथ सम्मिलित हो गये। ंं
श्री तोता सिंह कसाना जी का जन्म प्रातः 5 बजे सन् 1802,दिन बृहस्पतिवार को चौधरी रणजीत सिंह कसाना व माता श्रीमती महकारो देवी के यहां लोनी तहसील के गांव महमूद पुर जो वर्तमान में जिला गाजियाबाद मे आता है, में हुआ था।
सन् 1857 की क्रांति के समय तोता सिंह कसाना की आयु 52 वर्ष थी।एक अच्छै मिलनसार परिवार में पैदा होने के कारण अपने आसपास कै गांवों में उनका बडा सम्मान था।
10 मई सन् 1857 को जब मेरठ से क्रांति की शुरुआत हुई तथा दिल्ली के मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर को भारत का सम्राट घोषित कर दिया गया।तब क्षेत्र की व्यवस्था बनाने के लिए बहादुर शाह जफर ने 26 मई को यमुना के पास के क्षेत्र बडोत-बागपत का सूबेदार बडोत के पास स्थित बिजरोल गांव के चौधरी शाहमल सिंह को बना दिया था। यमुना नदी पर नावों का पुल बना हुआ था। अंग्रेजों की मदद के लिए अम्बाला छावनी से सैनिक मदद इसी पुल से आई तथा हिंडन के तट पर भारतीयों और अंग्रेजों के मध्य 30- 31 मई सन् 1857  को घमासान युद्ध हुआ।इस युद्ध में बुलंदशहर और अलीगढ़ के  सूबेदार माला गढ़ के वलीदाद खां के साथ गुठावली के इंद्र सिंह राठी व कटहडा दादरी के राव रोशन सिंह भाटी अपने सहयोगियों के साथ अंग्रेजों से लड़ें।
दादरी के राव रोशन सिंह भाटी के युद्ध में सहभागी हो जाने कै कारण इस क्षेत्र के आसपास बसे गुर्जर जाति के किसान भी अपने नेता कै साथ सम्मिलित हो गये। जिनमें एक तोता सिंह कसाना भी थे।राव रोशन सिंह व उनके छोटे भाई भगवान सिंह इस युद्ध में उन हजारों भारतियों के साथ शहीद हो गए,ऐसा अनुमान है। क्योकि इस तारिख के बाद राव रोशन सिंह व भगवान सिंह की गतिविधी का कही कोई जिक्र नहीं आता। परंतु राव रोशन सिंह के भतीजे राव उमराव सिंह भाटी ने 31 मई को सिकंदराबाद के अंग्रेज परस्त व्यक्तियों पर, करीब 20000 साथियों के साथ हमला कर दिया था।इस हमले में सैकड़ों अंग्रेज  परस्त मारे गए थे।
श्री तोता सिंह कसाना भी हिंडन नदी के किनारे हुए इस युद्ध में बलिदान हो गये।
उनके बलिदान के बाद जब शांति स्थापित हुई,तभी से श्री तोता सिंह कसाना जी के वंशज,उनको स्मरण करते आ रहे हैं।आज के समय में जब उनके वंशज गांव महमूद पुर से निकल कर बाहर शहर में निवास करने लगे हैं। लेकिन श्री तोता सिंह कसाना जी का स्मरण वो करते रहे हैं।
श्री तोता सिंह कसाना के एक वंशज श्री नेपाल सिंह कसाना जी मेरे (अशोक चौधरी) भी सम्पर्क में हैं।भारत सरकार के सांस्कृतिक मंत्रालय की ओर से सन् 1857 से लेकर सन् 1947 तक के सभी बलिदानियों को स्मरण करने के लिए उनके गांवों में कार्यक्रम करने की योजना बनी।उसी योजना के अंतर्गत मेरठ प्रांत के अंदर कार्यक्रम करने के लिए क्रांति तीर्थ समिति के नाम से एक टोली का गठन हुआ। जिसमें मेरठ के गढ़ रोड पर स्थित गांव माछरा के अश्वनी त्यागी जी इस समिति के संयोजक बने। में इस समिति के संरक्षक मंडल में था। आईआईएमटी कालेज मेरठ के मैनेजर श्री मयंक अग्रवाल जी बुलंदशहर व गोतम बुद्ध नगर के संयोजक बने।इस टोली के द्वारा मेरठ प्रांत में विभिन्न क्रांतिकारियों के गांवो में कार्यक्रम कर, बलिदानियों के वंशजों को सम्मानित किया गया।
नोएडा में श्री तोता सिंह कसाना के वंशज श्री नेपाल सिंह कसाना जी निवास करते हैं। अतः श्री तोता सिंह कसाना जी की स्मृति में एक कार्यक्रम 26 अगस्त सन् 2023 को नोएडा में किया गया, जिसमें पूर्व मंत्री श्री नबाब सिंह नागर जी मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहें तथा मुझे मुख्य वक्ता के रूप में रहने का अवसर प्राप्त हुआ। समिति की ओर से श्री नेपाल सिंह कसाना तथा अन्य वंशजों को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया।
समाप्त।