गुरुवार, 13 फ़रवरी 2025

श्रीमती रीमा सिंह, एक साधारण महिला का असाधारण जीवन - अशोक चौधरी (समाज सेवी, विचारक एवं लेखक)

मैं मेरठ के गढ़ रोड पर स्थित नेहरू नगर कालोनी में निवास करता था।एक सामाजिक व राजनीतिक कार्यकर्ता होने के कारण मेरठ ही नहीं बल्कि बहुत दूर तक सामाजिक राजनीतिक व व्यापारी तथा सरकारी व गैर सरकारी लोगों तथा भिन्न भिन्न संगठनों से मेरा सम्पर्क हो गया था।इसी अभियान में मेरी जान पहचान गांव घाट के निवासी इं सुरेन्द्र सिंह से हो गई थी। में जहा रहता था वह क्षेत्र कुछ सघन आबादी का हो गया था,सडके भी कम चोड़ी थी। अतः मेरी यह इच्छा हुई कि किसी खुली कालोनी में रहने की व्यवस्था की जाय। घूमते फिरते इं सुरेन्द्र सिंह जी की सलाह पर मेंने दिल्ली हरिद्वार बाईं पास पर स्थित सुशांत सिटी सेक्टर 3 मे स्थित आईरिस गार्डन में बने डी टावर के सेकिंड फ्लोर पर चार नम्बर का दो कमरो का फ्लैट ले लिया तथा मार्च 2022 में में अपनी पत्नी के साथ यहां आकर रहने लगा।यही पर मेरी मुलाकात हमारी नेहरू नगर कालोनी में ही रहने वाले श्री राजन शर्मा से हुई। में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का स्वयं सेवक था, नेहरू नगर में रहते हुए सूरज कुंड में लगने वाली भरत शाखा में जाता था।राजन भी एक स्वयं सेवक थे, अतः मुलाकात होते ही राजन ने मुझसे सुशांत सिटी सेक्टर 5 में लगने वाली दयानंद शाखा में आने के लिए प्रेरित किया।जब मैं शाखा में पहुचा तो वहा मेरी मुलाकात श्री ब्रहमसिंह लखवाया तथा श्री सत्यबंधु गुप्ता से हुई। ब्रह्म सिंह लखवाया तथा सत्यबंधु जी मेरे पुराने परिचित थे।वही सेक्टर 5 में सतेंद्र भडाना जी,जो हमारे रिश्तेदार थे,भी रहते थे। सतेंद्र भडाना जी भी शाखा में आने लगे थे,इस कारण उनसे भी एक जीवंत सम्पर्क बन गया था।
एक अच्छा माहोल बन गया।मे दयानंद शाखा का नियमित स्वयं सेवक बन गया।तभी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की धर्म जागरण मंच ईकाई के अंतर्गत चलने वाली मेरठ प्रांत की गुर्जर समाज साझी विरासत समिति के संयोजक का दायित्व प्राप्त हुआ। संगठन में पुरुषों के साथ कुछ गुर्जर महिलाओं को भी जोड़ने का निर्देश मिला। ध्यान इतना रखा जाना था कि जो भी संगठन से जुड़े वह समझदार हो।जब मेने आसपास नजर दोडाई तथा पूछताछ की तो बात सामने आई कि सेक्टर 5 में श्रीमती रीमा सिंह नाम की एक महिला रहती है।जो बातचीत करने मे होशियार व समझदार है,वो संगठन के लिए उपयोगी हो सकती है। फिर पता चला कि उनके पति की मृत्यु हो चुकी है जो एयर फोर्स में थे।उनकी एक बेटी है जो पढ लिखकर सर्विस करती है। सतेंद्र भडाना जी का निवास और रीमा सिंह का निवास आसपास था।मेने सतेंद्र भडाना जी से आग्रह किया कि वो रीमा सिंह जी से बात करें।मेरे आग्रह पर सतेंद्र भडाना जी ने कोई खास रूचि नहीं दिखाई,शायद मे संगठन की गम्भीरता समझाने में विफल रहा। फिर मेंने स्वयं प्रयास किया।रीमा सिंह जी के मकान में विपिन नाम का एक स्वय सेवक किराए पर रहता था।मे विपिन के पास पहुंच गया। मैंने विपिन से आग्रह किया कि वो रीमा सिंह जी से संगठन में शामिल होने का निवेदन हमारी ओर से करें। विपिन ने मुझसे कहा कि आप ही आग्रह कर लिजिए, में आपकी मुलाकात रीमा सिंह जी से कराये देता हूं।मेने विपिन के साथ जाकर रीमा सिंह जी से मुलाकात की। बात करने पर पता चला कि वो मेरी पत्नी की मृत्यु होने पर सतेंद्र भडाना जी के परिवार की महिलाओं के साथ हमारे घर गई थी।वो तो मुझे पहचानती थी, परंतु में उनको नही देख पाया था।रीमा सिंह जी ने मेरा निवेदन स्वीकार कर लिया।मेने रीमा सिंह जी को संघ की दृष्टि से बने सरधना जिला की सह संयोजिका नामित कर दिया।उस समय रीमा सिंह जी अपनी बेटी की शादी की तैयारी कर रही थी,जो 2 फरवरी सन् 2025 की थी।वो अकेली महिला अपने कर्तव्य पथ पर मजबूती से बढ़ रही थी। उनके चेहरे पर चिंता व दबाव नही था बल्कि एक विजय भरी मुस्कान थी।मेरी जान पहचान बहुत नई थी, फिर भी मेरा मन चाह रहा था कि उनकी कुछ मदद करु।मेने फोन करके निवेदन भी किया। लेकिन उन्होंने मदद लेने से इंकार कर दिया। शायद रीमा सिंह के स्वाभिमान ने ऐसा निर्णय लेने के लिए विवश किया हो। परन्तु एक फरवरी सन् 2025 को जब रीमा सिंह जी की बेटी का लगन जाना था,तब 31 जनवरी को उनका मेरे पास फोन आया कि मुझे भी लगन देने के लिए साथ जाना है। मैंने जो सहयोग का आग्रह उनसे किया था,शायद इतना सहयोग करना ही मेरे हिस्से में आया था। में लगन सगाई दिलवाने के लिए चला गया तथा दो फरवरी को शादी में भी शामिल हुआ। सतेंद्र भडाना जी से रीमा सिंह जी के विषय में ओर जानकारी प्राप्त हुई। भड़ाना जी ने बताया कि रीमा सिंह जी मुजफ्फरनगर जिले के ढासरी गांव की बेटी है जो जानसठ कस्बे के पास है। ढासरी गांव में श्री खचेडू सिंह नाम के किसान थे,जिनके दिले सिंह नाम के एक पुत्र है जो मुजफ्फरनगर के खतोली ब्लाक के बुआडा नाम के गांव में श्रीमती गैंदी देवी के साथ विवाह संस्कार में बंधें थे।इन दिले सिंह जी के ही रीमा नाम की एक पुत्री ने 10-03-1975 को जन्म लिया,रीमा के कृष्ण पाल नाम के एक भाई भी है जो अध्यापक का कार्य करते हैं।रीमा जी की शादी 04-02-1995 को जिला मेरठ के दौराला ब्लाक  मे शाहपुर जदीद गांव के जितेंद्र सिंह से सम्पन्न हुई। जितेन्द्र सिंह एयरफोर्स में कार्यरत थें।  शादी के समय रीमा जी इंटर तक शिक्षित थी, शादी के बाद जितेन्द्र सिंह के सहयोग से रीमा जी ने जीवाजी यूनिवर्सिटी ग्वालियर से ग्रेजुएशन किया।समय बीत रहा था,रीमा सिंह जी अब एक पुत्री पूर्णिमा तथा एक पुत्र आशीष की माता भी बन गई थी। अचानक ही समय ने करवट बदली तथा जितेन्द्र सिंह व रीमा सिंह का इकलौता पुत्र आशीष 12 वर्ष की अवस्था में 23-08-2010 को इस नश्वर संसार को छोड़कर चला गया।कुदरत की मार यही पर ही नही रूकी,19-10-2016 को रीमा सिंह जी के पति जितेन्द्र सिंह भी स्वर्गवासी हो गये।अब  रीमा सिंह जी व उनकी पुत्री पूर्णिमा परिवार में थे। पूर्णिमा की पढ़ाई लिखाई व भविष्य के लिए सम्पत्ति की व्यवस्था अकेली रीमा सिंह जी के ही भरोसे थी।रीमा सिंह ने अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभायी।
 एक महिला के लिए पति और पुत्र का असमय चले जाना, दुनिया का सबसे बड़ा दुःख है।उस परिस्थिति में भी जिस प्रकार रीमा सिंह अपना कर्तव्य निभा रही थी,वह सामान्य कार्य नही था।भडाना जी से जानकारी मिली कि रीमा सिंह जी के ससुर ने अपने बेटे अर्थात रीमा सिंह जी के पति की मृत्यु के बाद उनके हिस्से की जमीन अपनी पुत्रवधू तथा पोती को न देकर अपने दूसरे पुत्र को दे दी। जो एक अन्याय ही था। कल्पना किजिए यदि रीमा सिंह जी को अपने पति की पेंशन न मिलती तो जीवन कितना कष्ट भरा हो सकता था। शायद सुशांत सिटी मे बना मकान रीमा सिंह जी के पति ने रीमा सिंह जी के नाम ही करा दिया होगा या उनके पति के नाम होगा। वर्ना वह भी उनको ना मिलता।यह कैसे खून के रिश्ते है जो अपनों को ही समाप्त करने पर तुले हैं। बेटी की शादी के बाद मुझे ऐसी जरूरत महसूस हुई कि मैं श्रीमती रीमा सिंह जी की साहसी जीवन यात्रा के विषय में लिखू।इस क्रम में मैंने रीमा सिंह जी को एक पत्र लिखकर वाट्स एप के माध्यम से भेजा जो निम्न है -
श्रीमती रीमा सिंह जी 
सादर प्रणाम 
आपने अपनी बिटिया की शादी का निमंत्रण मुझे देकर शादी में सहभागी बनाने की कृपा की, इसके लिए मेरी ओर से आपको बहुत बहुत धन्यवाद।
जिस समय बेटी की शादी का निमंत्रण प्राप्त हुआ।उसी समय में घर में बैठकर प्रयाग/इलाहाबाद मे चल रहें कुम्भ में सनातन धर्म की ओर से जो प्रस्ताव सनातन धर्म में सुधार के लिए धर्माचार्य ने किये है,उनको पढ़ रहा था।उन सुधारों में एक सुधार यह भी था कि शादी दिन में होनी चाहिए। हमारे समाज में शादी दिन में होती है, मैंने भी उनमे भागीदारी की है। परंतु शहर के अंदर अच्छे बारात घर में नही की जाती। परन्तु जब आपकी बेटी की शादी का निमंत्रण पढ़ा तो शादी दिन में थी।मन में बडी प्रसन्नता हुई,कि आप संगठन के रूप में गुर्जर समाज के जिस संगठन से जुड़ी हुई है वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का हिस्सा है तथा प्रयाग में जो सुधार धर्म संसद में पारित किए गए हैं, उनके पीछे संघ की बडी भूमिका है। कहने का अर्थ यह है कि जाने -अनजाने में जो दिन में शादी करने का निर्णय आपने लिया है। उससे आपके द्वारा धर्म संसद में पारित प्रस्ताव को बल मिला है।इस कार्य के लिए में आपका संगठन का मेरठ प्रांत का मुखिया होने के नाते बहुत बहुत आभार व्यक्त करता हूं।
रीमा जी आप एक बहादुर महिला है। अनेक कष्ट मन में छुपाकर आप हमेशा मुस्कुराते हुए ही मिली है। संसार में मनुष्य के लिए दो कष्ट सबसे बडे बतायें गये है।इन दो मे सबसे बड़ा कष्ट माता-पिता के सामने संतान की मृत्यु हो जाने का है। इसमें भी माता का कष्ट, पिता के कष्ट से अधिक होता है। क्योंकि माता अपनी संतान को नो महिनें गर्भ में रखती है? पति -पत्नी के बाद यदि कोई सबसे अधिक जुडाव का सम्बन्ध किसी का होता है तो वो माता का है।दूसरा बड़ा कष्ट यदि संसार में है ।तो वह जीवन साथी के बिछुड जाने का होता है। इसमें भी महिला को सबसे अधिक कष्ट होता है। क्योंकि मर्द तो पूरा दिन बाहर घूम कर अपना ध्यान बाट लेता है। लेकिन भारतीय समाज में महिला के लिए ऐसा सम्भव नहीं है। मैं खुद इस दूसरे दुःख से रुबरु हो चुका हूं।
जब मुझे सतेंद्र भडाना जी ने आपके विषय में बताया,तब में अपने जिस दुःख से परेशान था।उसको कम करने की प्रेरणा आप से मिली।बरबस ही एक कवि की दो लाईने याद आ गई। जिसमें लिखा है -
दुनिया मे कितना गम है, उसमें मेरा गम कितना कम है।
परंतु आप इन दोनों दुःख की भुक्तभोगी है।इस के बावजूद भी जिस निडरता से आप जीवन जी रही है। उसके लिए आपको बारम्बार साधुवाद है। ईश्वर से प्रार्थना है कि वो आपका मनोबल ऐसे ही बरकरार रखें। हमें अपने और अपनों के जीवन में आने वाली परेशानियों को दूर करने का हर संभव प्रयास करना चाहिए। सकारात्मक रहना चाहिए।
हम संसार का हिस्सा है या संसार में हमारा हिस्सा है ।इन दोनों विचार मे जीवन की धारा चलती है।जब हम इस विचार से जीवन जीते हैं कि हम संसार का हिस्सा है तब हम कभी भी अपने को अकेला महसूस नही करते। स्वामी विवेकानंद, स्वामी दयानंद, सुभाष चन्द्र बोस,भगत सिंह जैसे लोग इसी विचार पर चलकर ऐसा कार्य कर गये कि मृत्यु हो जाने के बाद भी ऐसा लगता है कि वो हमारे बीच में ही है।
लेकिन जो संसार में अपना हिस्सा मानकर जीते हैं वो ताउम्र अपने सुख के लिए सम्भावना ही तलाशते रहते हैं तथा अपने रक्त सम्बन्धी के बिछड़ने पर अवसाद/डिप्रेशन में चले जाते हैं।
 अच्छा बनना है या श्रेष्ठ/टाप बनना है ।इनमे श्रेष्ठ बनने के चक्कर में व्यक्ति न जाने क्या -क्या साजिश रचने लगता है? दुनिया में निंदा का पात्र बन जाता है। लेकिन यदि आदमी अपने जीवन में अच्छा/उत्तम बनने के लिए जीवन जीता है तो न जाने कितनी बार श्रेष्ठ बन जाता है तथा अपने से जुड़े लोगों को सुख पहुंचाने का कारण बनता है।
रीमा जी आप आयु में मुझसे छोटी है,उस नाते आपके प्रति मेरे हृदय में असीम आदर व सम्मान है।
तुलसी इस संसार में सबसे मिलिए भाय।
क्या मालूम किस भेष में नारायण मिल जाए?
यहां नारायण का अर्थ भगवान से है, अर्थात दुख दूर करने वाला ।
इन्हीं शब्दों के साथ आपके श्री चरणों में प्रणाम करते हुए अपनी बात समाप्त करता हूं और पुनः आपको अपने जीवन की बडी जिम्मेदारी (बेटी की शादी) को पूर्ण करने की बारम्बार शुभकामनाएं देता हूं।आने वाले समय में आप अपने कीमती समय में से कुछ समय आप उस संगठन के लिए भी देंगी, जिस संगठन में आपको हमारे द्वारा नामित किया गया है।ऐसा निवेदन आपसे करता हूं।
आपका सहयोगी/ शुभचिंतक/मित्र 
अशोक चौधरी 
 मेरठ प्रांत संयोजक।
सभी एहले दुनिया ये कहते हैं हमसे,आता नही कोई मुल्क ए अदम से।
अर्थात जब जीव दुनिया छोड देता है तो वापस नही आता।  वह अपने चाहने वालों की स्मृति में जरूर रहता है। इसलिए सनातन धर्म में वर्ष में 15 दिन श्राद्ध मनाने का चलन है, अपने प्रिय जन को स्मरण करने के लिए।
दूसरी ओर यह भी विद्वान कहते हैं कि मृतक की आत्मा हमारे आसपास ही घूमती है, अतः जब उससे प्यार करने वाला प्रसन्न रहता है तो वह आत्मा भी प्रसन्न होती हैं।जब दुखी होता है तो वह भी दुःखी होती है। जिस प्रकार यदि हमें अपने प्रियजन के बारे में पता चले कि वो कष्ट में है तो मन अपने आप ही दुःख मे डूब जाता है।
अतः हमें अपनों को स्मरण तो रखना चाहिए परन्तु दुख का प्रकटीकरण नही करना चाहिए।
अगर मर गया रूह आया करेगी,तुझे देखकर गीत गाया करेगी।
मुझे याद कर तुम ना आंसू बहाना,बस इतनी गुजारिश है सदा मुस्कुराना।
07-03-2025 को महिला दिवस की पूर्व संध्या पर मेरठ के आईएमए भवन में धन सिंह कोतवाल शोध संस्थान के तत्वावधान में आयोजित कार्यक्रम में रीमा सिंह को मेरठ की मुख्य विकास अधिकारी श्रीमती नूपुर गोयल आईएएस के द्वारा नारी शक्ति सम्मान से सम्मानित किया गया। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के धर्म जागरण मंच के द्वारा संचालित गुर्जर परियोजना के अंतर्गत रीमा सिंह जी मेरठ प्रांत की सह संयोजिका के पद पर शोभायमान होकर समाज को शक्तिशाली बनाने में अपना सकारात्मक योगदान दे रही है। जीवन यात्रा अभी चल रही है।














बुधवार, 15 जनवरी 2025

कार्यकर्ताओं के नाम

मेरठ में निवास करने वाले गुर्जर भाजपा कार्यकर्ताओं की सूची द्वारा अशोक चौधरी पूर्व महामंत्री भाजपा मेरठ महानगर,9837856146
1- श्री मनोज पोसवाल उपाध्यक्ष पश्चिम क्षेत्र 9412205498
2-श्री विनय प्रधान वरिष्ठ भाजपा नेता शास्त्रीनगर 9219555555
3- श्री अशोक चौधरी पूर्व महामंत्री भाजपा मेरठ महानगर 9837856146
4- श्री देवेन्द्र गूजर राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य किसान मोर्चा 9927130831
5- श्री रविन्द्र गुर्जर जगदम्बा नर्सिंग होम 9927017152
6- श्री प्रताप सिंह बक्सर पूर्व अध्यक्ष किसान मोर्चा मेरठ महानगर 9758131247
7- श्री हर्ष पाल पूर्व अध्यक्ष किसान मोर्चा मेरठ महानगर 9719104963
8- डा ज्ञान चंद बंसला पूर्व मंडल अध्यक्ष परतापुर रिठानी 9927178223
9- श्री सुरेन्द्र भडाना पूर्व मंडल अध्यक्ष परतापुर काजीपुर 9412831056
10- श्री सुधीर गुर्जर रिठानी पूर्व मंत्री मेरठ महानगर 9927099636
11- श्री गुलबीर सिंह पार्षद गंगानगर 9756961111
12- श्री अमरीश चपराणा महामंत्री रिठानी मंडल 9359334433
13- श्री संजीव प्रधान पूर्व ओबीसी मोर्चा अध्यक्ष मेरठ महानगर 9927014157
14- श्री गौरव गुर्जर भाजपा कार्यकर्ता शिवशक्ति विहार 9808151629
15- अनिल कुमार गुर्जर भाजपा कार्यकर्ता पठानपुरा वार्ड 38 ,9627092455
16- नोविल खारी किसान मोर्चा मेरठ महानगर गंगानगर 9720007257
17- सूक्ष्म प्रधान भाजपा कार्यकर्ता लखवाया 7351713595
18- चौ बेगराज सिंह किसान मोर्चा भाजपा शास्त्री नगर काजीपुर 9758661194
19- श्री शीशपाल सिंह ओबीसी मोर्चा काजीपुर 9058486563
20- श्री चंद्रपाल सिंह भाजपा शास्त्री नगर 9837479327
21- श्री प्रदीप एडवोकेट नवल विहार किसान मोर्चा 9412628117
22- श्री नरेश नागर खडोली 7055382926
23- श्री महीपाल सिंह पांडव नगर 9837605855
24- श्री ब्रह्मा पाल सिंह लखवाया 9837558088
25- श्री सुरेन्द्र सिंह गोहरा पुलिस एंक्लेव 8267000666
26- श्री नबाब सिंह भड़ाना पूर्व पार्षद पति 9358447660
27- श्री तरुण लखवाया ओबीसी मोर्चा 7500828095
28- श्री कैलाश नागर मंत्री फूलबाग मंडल 7599067727
29- श्री प्रवेश गुमी अध्यक्ष किसान मोर्चा मेरठ महानगर 9897527489
30- श्री श्री महीपाल चौधरी शेरगढी 9358431475
31- श्री शेर सिंह गोठडा 9457419931
32- श्री मनोज धामा मंगल पांडे नगर 6395390500
33- श्री सुनील भडाना, प्रधानाचार्य जीआईसी  इंटर कालेज मेरठ,9808151466
34- श्री रोबीन गुर्जर, मंत्री भाजपा जिला मेरठ पुलिस एंक्लेव,9897141511
35- श्री नरेश गुर्जर छीपी टेंक मेरठ,9897812453
36- श्री नरेश राणा पांडव नगर ,9837151971
37- श्री बलराज डूंगर, भाजपा नेता,9359906148
38- श्री सुशील गुर्जर पूर्व मेयर राष्ट्रीय महा सम्पर्क अभियान विभाग मेरठ,9412486088
39- श्री नरेश सिंह यादगार पुरम मेरठ भाजपा,7217277212
40- श्री नरेश राणा,पांडव नगर,9837151971
41-श्री आदित्य सिंह लिसाड़ी, विवेक विहार,9837350007
42- श्री कमलजीत भडाना किसान मोर्चा शास्त्री नगर,8923661438
43- श्री नबाब लखवाया किसान मोर्चा मेरठ महानगर,9412113171
45- श्री निखील चपराणा किसान मोर्चा मेरठ महानगर,9808624724
46- श्री सुशील भडाना ओबीसी मोर्चा शास्त्री नगर,9997395431
47-श्री रविन्द्र भडाना जी पूर्व विधायक, 9058000021
48- डा संदीप गगौल,9412473056
49- श्री गुड्डू, पंचायत सदस्य गगौल,7500000972
50-श्री कपिल मुखिया ब्लाक प्रमुख मेरठ ब्लाक, 9012999111
51- डा सोमेंद्र तोमर, विधायक मेरठ दक्षिण,+919897100201