मंगलवार, 8 दिसंबर 2020

भारत का किसान आंदोलन और सरकार-अशोक चौधरी मेरठ।

भारत सरकार ने कृषि क्षेत्र में उन्नति के लिए तीन बिल पास किये -
 (1) आवश्यक वस्तु अधिनियम (भंडारण निमन)
(2) मूल्य आश्वासन पर बंदोबस्त और सुरक्षा समझौता
(3)कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य
ये जो तीन बिल सरकार लाई है,इनकी औपचारिक सिफारिश पहली बार भानू प्रताप सिंह की अध्यक्षता में बनी कमेटी ने सन् 1990 में की थी।तब से ही यह लम्बित पडी थी। वर्तमान मोदी सरकार ने इसे लागू कर दिया है।
इन सिफारिशों को अक्षरशः लागू करना किसान हित में हो, ऐसा जरूरी नहीं है।ऐसा विद्वान लोगों का मानना है।इनको किसान के लिए लाभकारी बनाने के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य को एक गारंटी के तौर पर सरकार को देना चाहिए तथा अनुबंध खेती यानि कांट्रैक्ट फार्मिंग से उपजने वाले विवाद के लिए ब्लाक स्तर, जनपद स्तर,राज्य स्तर और केंद्र स्तर पर अलग-अलग ट्रिब्यूनल बनें,जिनको न्यायिक अधिकार मिलने चाहिए।
भारत के ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोगों में 50%के पास जमीन नही है। बाकी 50% में से 25% के पास एक एकड़ से कम जमीन है।वो कही दूर जाकर अपनी फसल नही बेच सकते।बाकि 25% में से 10% ही ऐसे हैं जो अपनी फसल को दूर ले जाकर तथा मंडियों में बेचते हैं, बाकि बचे 10% किसान सी एमएसपी का लाभ लेने की स्थति में है।
सरकार को एक चौथा बिल लाकर जिसमें एमएसपी से नीचे खरीद ना हो, किसानों को न्यायिक अधिकार देना चाहिए।
एमएसपी और किसान सम्मान निधि दोनों व्यवस्था साथ साथ चलनी चाहिए। एमएसपी केवल 23 फसलों पर मिलती है।जो 80% फसलों को कवर करती है। सरकार यदि एमएसपी पर फसल खरीद को संवैधानिक अधिकार बना देती है (एक अलग बिल लाकर)तो देश के 40% किसान की समस्या समाप्त हो जायेगी। इनके अलावा बचे किसानों की खाई भरने के लिए किसान सम्मान निधि योजना है ही।
सरकार अपने कानून को अमल में उस तारीख से  लाया जायेगा,जब उसका नोटिफिकेशन होगा।  नोटिफिकेशन जारी करने की तारीख हर राज्य की अलग भी हो सकती है।
राज्य सरकार पर केंद्र सरकार के द्वारा बनाए गए कानूनों को लागू करने की जिम्मेदारी छोड दी जाय।
पंजाब, हरियाणा में इन कानूनों का सबसे अधिक विरोध हो रहा है,जब दूसरे राज्यों के किसान केंद्र सरकार के कानून से लाभान्वित होंगे तो पंजाब और हरियाणा के किसान भी अपने आप मान जायेंगे।
उपरोक्त विचार पूर्व कृषि मंत्री श्री सोमपाल शास्त्री जी, आलोक सिन्हा जी पूर्व चेयरमैन फ़ूड कारपोरेशन आफ इंडिया (2006-2008), देवेंद्र शर्मा कृषि विषेषज्ञ,एन सी सक्सेना पूर्व फूड कमिश्नर सुप्रिम कोर्ट (2002-2017) जैसे विद्वान और अनुभवी लोगों के लेखो से सम्बंधित है।
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