रविवार, 10 अक्टूबर 2021

संवाद गुर्जर और राजपूत विषय सम्राट मिहिरभोज

गुर्जर- भीलवाड़ा स्थान का नाम है, क्योंकि वहा भील जाति के लोग बहुतायत में हैं, राजपूताना स्थान का नाम था क्योंकि राजपूत जाति वहां बहुतायत मे थी, बुंदेलखंड स्थान का नाम है क्योंकि बुंदेला जाति के लोग बहुतायत में हैं, जटवाड़ा(उत्तर भारत के दिल्ली, भरतपुर,धोलपुर, बीकानेर,चुरू, झुंझुनूं,आगरा, मथुरा,मेवात,मेरठ, पलवल, फरीदाबाद, अलीगढ़ तथा दक्षिण में चम्बल नदी के तट के पास गोहद तक का क्षेत्र जाट किसानों की बहुलता के कारण जटवाड़ा कहलाता था) स्थान का नाम रहा है क्योंकि जाट जाति के लोग बहुतायत में थे,एक गुर्जर देश भी था, क्योंकि  गुर्जर/गूजर जाति के लोग बहुतायत में थे।
राजपूत-  ...ना ना ना ना ये तो स्थान वाचक है, इससे गुर्जर जाति का क्या लेना देना। बाकी सब ठीक है, परन्तु ये नही।
राजपूत- नागौद रियासत के राजा सम्राट मिहिरभोज के समय के प्रतिहार है,वो आज अपने को पडियार/परिहार कहते हैं।
 गुर्जर - उस समय का गुर्जर,  आज अपने आपको गुर्जर/ गूजर/गुज्जर/गुजर अलग-अलग स्थानों पर कहता है।
राजपूत-...ना ना ना , गुर्जर का गूजर/गुज्जर/गुजर से क्या नाता एक मे र ऊपर है।
गुर्जर- नागौद का वारिस अपने आप को हरिश्चंद्र प्रतिहार का वंशज बता रहा है जो मंडौर के प्रतिहार थे, राजौर गढ/अलवर के प्रतिहार बडगूजर थे, उज्जैन के प्रतिहार गुर्जर प्रतिहार थे जो उज्जैन से जालौर, जालौर से मेड़ता तथा मेड़ता से कन्नौज चले गए। नागौद का राजा अपने को मंडौर का प्रतिहार बता रहा है,जो गुर्जर प्रतिहार नही है।
राजपूत-   क्या बात है? अजी प्रतिहार तो है भले ही पडिहार/परिहार हो, चाहें उज्जैन की जगह मंडौर के ही हो।कैसे तो गुर्जर प्रतिहार बनें।
गुर्जर-सम्राट मिहिरभोज की यदि सभी उपाधि नाम से पहले लगा दी जाय तो उनका नाम   रघुवंश तिलक रघुग्रामिणी  रघुवंश मुकुट मणि आदिवराह प्रभास क्षत्रिय गुर्जर प्रतिहार सम्राट मिहिरभोज हो जाता है। इसमें कही राजपूत तो है ही नहीं।
राजपूत-  क्षत्रिय तो लिखा है। 
गुर्जर- क्षत्रिय तो एक वर्ग है जिसमें कई जातियां समाहित है। किसी भी विद्वान से पूछ लो। राजपूत अकेले का क्षत्रिय से क्या मतलब?
राजपूत- अजी  राजपूत और क्षत्रिय एक ही बात है, इसमें विद्वान क्या करेगा?जब हम कह रहे हैं। गुर्जर- राजपूत तो सन् 1200 तक कही इतिहास में पाता ही नहीं।
राजपूत-  कोई बात नहीं क्षत्रिय तो मिल जाता है,इसी से काम चला लेंगे।
गुर्जर- अजी तो राजपूत नाम जब किसी काम का ही नही तो राजपूत रेजीमेंट का नाम क्षत्रिय रेजिमेंट करवा दो,हम गुर्जर और अहीर दोनों रेजिमेंट की मांग केंसिल कर देंगे, क्षत्रिय रेजिमेंट में ही गुजारा कर लेंगे तीनों।
राजपूत- अरे क्या बेकार की बात कर दी? दूसरे के बाप को अपना बाप बनाते घूम रहे हो।
गुर्जर- अजी मान सिंह कछवाहे ने अकबर को अपना बाप बना लिया, अकबर का फरजंद/पुत्र बन गया, जबकि उसका बाप भारमल जिंदा था,राजा जय सिंह कछवाह जो मान सिंह कछवाह का पोत्र व जगत सिंह कछवाह का पुत्र था, वो शाहजहां का सन् 1639 में मिर्जा/भाई बन गया, उसने शाहजहां के बाप जहांगीर को अपना बाप बना लिया।इनके बारे में आपके क्या विचार है?
राजपूत-  अरे कोई ढंग की बात नहीं रही करने को।भैंस चोर कही के।दुखी करके रख दिया।

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