रविवार, 19 दिसंबर 2021

मेरी मां मेरे परिवार की नेता- अशोक चौधरी मेरठ

यू तो प्रकृति ने नेतृत्व का अधिकार माता को ही दिया है, परंतु मानव ने अपने शक्ति को आधार बनाकर उससे यह अधिकार छीनने का असफल प्रयास किया तथा यह अवधारणा स्थापित करने की कोशिश की कि एक नारी बचपन में पिता के,उसके बाद भाई के,उसके बाद पति के और वृद्ध अवस्था में पुत्र के संरक्षण में रहेगी।जिस प्रकार एक राजा की सुरक्षा उसके सेना नायक करते हैं,उसी प्रकार परिवार की नारी की सुरक्षा भी उसका पिता, पुत्र,पति और भाई करते हैं।इस सुरक्षा चक्र के कारण कभी कभी ऐसा आभास समाज को हुआ कि ये सुरक्षा करने वाले सेनापति ही मानव समाज के नेतृत्व कर्ता है, परंतु ऐसा है नही।
यदि पृथ्वी से सम्पूर्ण मातृशक्ति की हत्या कर दी जाय तो पुरुष मे इतनी सामर्थ्य नही कि वो अपने वंश को चला सके। लेकिन यदि पृथ्वी से सम्पूर्ण पुरुषों की हत्या कर दी जाय,तब भी नारी में वंश को चलाने की शक्ति बची रहती है। क्योंकि कुछ महिलाएं गर्भवती अवश्य बचेगी,जिनसे उत्पन्न संतान पुनः आने वाली पीढ़ी के रूप में प्राप्त हो जायेगी। इसलिए भयानक संकट उत्पन्न होने पर पुरूष ने अपने को समाप्त करके भी अपनी महिलाओं को बचाने का प्रयास किया है।
मेरे परिवार में  भी मेरी माता श्रीमती श्यामकली देवी ही मेरे परिवार की नेता थी।हम तीन भाई बहन तथा मेरे पिता मुज्जफर नगर जिले के खतोली ब्लाक के भटौडा नाम के एक छोटे से गांव से सम्बंध रखते हैं, लेकिन मेरी माता ने सन् 1972 में मेरठ की नेहरू नगर कालोनी में एक प्लाट खरीद कर हमे एक ग्रामीण से शहरी नागरिक के रूप में स्थापित करने का साहसिक कदम उठाया।माता जी के इस प्रयास में उनके पिता अर्थात मेरे नानाजी श्री रामचन्द्र जी और नानी श्रीमती प्रह्लादो (ग्राम भडोली) जो गढ रोड पर स्थित हसनपुर कलां गांव के निवासी थे,का भरपूर सहयोग और संरक्षण रहा।
माता जी के अथक प्रयासों तथा हमारे पिताजी, नानाजी व नानाजी के सहयोग के कारण हम तीनों भाई बहन अपनी माता जी सहित सन् 1977 में मेरठ में निवास करने के लिए गांव से शहर में आ गए।
माता जी एक साहसी और कठीन परिश्रम करने वाली उच्च नेतिक आदर्शों का पालन करने वाली तथा स्वभाव से कठोर महिला थी।हम तीनों भाई बहिन बड़े होते गए, शादी शुदा हो गये, हमारे भी बच्चे बडे हो गये,मेरे बच्चे (बेटी पायल और कोमल) और मेरी बडी बहन कृष्णा कुमारी के बच्चे (शालिनी और विशाल) भी शादी शुदा होने के बाद और एक-एक संतान के पिता भी हो गये, मेरे छोटे भाई महेश के दोनों बच्चे (लोकेंद्र और शिवांगी) अभी अविवाहित है,कि 5 दिसम्बर सन् 2021(रविवार का दिन  मार्गशीर्ष मास शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि ) प्रात: 9 बजे माता जी इस नश्वर संसार को छोड़कर चली गई।
माता जी की जीवटता,उनका अपने जीवन के अंत तक परिश्रम करने का प्रयास सदा मन में समाया रहेगा।
हम सब भाई बहन जब भी अपने को एक जागरूक शहरी व सभ्य नागरिक के रूप में पायेंगे या समाज के लोग हमको ऐसा मानेंगे तो उसमें हमारा कुछ नहीं, वह हमारी माता जी का प्रतिबिंब और परिश्रम की ही झलक मात्र है।
भगवान उन्हें अपने चरणों में स्थान दे।

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