रविवार, 1 दिसंबर 2019

तेजा जी राजस्थान

तेजा जी लोक देवता राजस्थान
जन्म सन् 1074
जन्म स्थान=जिला नागौर, गांव खड़नाल
पिता का नाम ताहड़ जी
माता का नाम राज कुंवरी
पत्नी का नाम पेमल दे, गांव पनहेर, जिला अजमेर ।
सांप ने काटा गांव सेदरिया (ब्यावर, अजमेर)
मौत हुई किशन गढ़ (अजमेर) के सुरसुरा स्थान पर इनकी मृत्यु हो गई।
पूजा होती है, सुरसुरा (किशन गढ़), सेंदरिया (ब्यावर अजमेर), भावता (अजमेर), सन् 1724 से 1749 के मध्य राजा अभय सिंह राठौड़ जोधपुर के कार्यकाल में नागौर के पर्वत सर में मूर्ति स्थापित कर पशु मेला प्रारंभ किया गया।
इनकी याद में मेला लगता है, नागौर जिले के पर्वत सर में। भाद्र पद शुक्ल दशमी को।
लाछा गूजरी की गाय चुराई गांव मांड वालिया के मिनाओ ने।
तेजा जी किसान थे, इनकी पत्नी अपने गांव में थी, खेत पर कार्य करते हुए, इनकी भाभी खाना लेकर जाती थी, एक दिन खाना ले जाने में देर हो गई, तेजा जी अपनी भाभी पर नाराज हो गए। भाभी ने भी पलट कर कह दिया कि इतनी नाराजगी उससे है तो अपनी पत्नी को ले आओ। तेजा जी गुस्से में आकर तभी अपनी पत्नी को लेने चल दिए, इनकी माता जी ने रोकने का प्रयास किया, परन्तु वो नहीं माने। जब तेजा जी ससुराल पहुंचे, उस समय शाम हो चली थी, इनकी सासू मां गाय का दूध निकाल रही थी। तेजा जी को देख कर गाय बिदक गई, उसने दूध बिखरवा दिया, इनकी सासू मां को यह पता नहीं था कि तेजा जी है, उसने गुस्से में अपशब्द कह दिए, इससे तेजा जी नाराज हो गए, वो वापस चल दिए, इनकी पत्नी को जब यह बात पता चली कि तेजा जी नाराज होकर जा रहे हैं तो उसने इन्हे मानने का प्रयास किया, इन्हे मनाने में इनकी पत्नी की सहेली लाछा गूजरी ने भी सहयोग किया, तेजा जी लाछा गूजरी के यहां ठहर गए, उसी समय गांव मांड वालिया के मीणा लाछा गूजरी की गाय चुरा कर ले गए। गायो को छुड़ाने के लिए संघर्ष हुआ, जिसमें तेजा जी गाय छुड़ा लाए, परन्तु एक गाय का बछड़ा मीणा लोगो के पास ही रह गया। तेजा जी बछड़े को छुड़ाने के लिए चल दिए, देखा रास्ते में एक सांप आग में जल रहा था। तेजा जी ने उसे बचा लिया, इस पर सांप क्रोधित हो गया, उसने कहा कि वह अपने जीवन से मुक्त होना चाहता था, जिसे तेजा जी ने नही होने दिया। वह अब उन्हें डसेगा। इस पर तेजा जी ने कहा कि वो बछड़ा छुड़ाने जा रहे हैं, वापस आ कर उससे मिलेगे। तब वह उन्हें ड्स ले। तेजा जी जब बछड़ा छुड़ा कर वापस लाए, तेजा जी सांप के पास गए। इनके पूरे शरीर पर लड़ाई में घाव लग गए थे। सांप ने पूछा कि वह कहा डसे, पूरा शरीर तो घायल है, इस पर तेजा जी ने अपनी जीभ निकाल दी।तब सांप ने गांव सेदरिया (ब्यावर, अजमेर) में इनकी जीभ पर डस लिया।
किशन गढ़ (अजमेर) के सुरसुरा स्थान पर इनकी मृत्यु हो गई।
इनकी घोड़ी लिलन ने इनकी मृत्यु का समाचार इनके घर जाकर दिया।
इनकी याद में भाद्र पद शुक्ल दशमी को मिला लगता है। जिसमें पर्वत सर जिला नागौर का पशु मेला प्रसिद्ध है।

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