गुरुवार, 25 जून 2020

क्षत्रियों के 36 कुल

प्राचीन पुस्तकों के अवलोकन से ऐसा ज्ञात होता है कि भारत में आर्य दो समूहों में आये। प्रथम लम्बे सिर वाले और द्वितीय चैडे़ सिर वाले। प्रथम समूह उत्तर-पश्चिम (ऋग्वेद के अनुसार) खैबरर्दरे से आये, जो पंजाब, राजस्थान, और अयोध्या में सरयू नदी तक फैल गये। इन्हें सूर्यवंशी क्षत्रिय कहा गया है। 
 सोलंकियों के बारे मे पूर्व सोलंकी राजा, राजराज प्रथम के समय में वि.1079 (ई. 1022) के एक ताम्रपत्र के अनुसार भगवान पुरूषोत्तम की नाभि कमल से ब्रह्या उत्पन्न हुए, जिनेस क्रमशः सोम, बुद्ध व अन्य वंशजों में विचित्रवीर्य, पाण्ड, अर्जुन, अभिमन्यु, परीक्षित, जन्मेजय आदि हुए। इसी वंश के राजाओं ने अयोध्या पर राज किया था। विजयादित्य ने दक्षिण में जाकर राज्य स्थापित किया। इसी वंश में राजराज हुआ था।
सोलंकियों के शिलालेखों तथा कश्मीरी पंडित विल्हण द्वारा वि. 1142 में रचित 'विक्रमाक्ड़ चरित्र' में चालुक्यों की उत्पत्ति ब्रह्या की चुल्लु से उत्पन्न वीर क्षत्रिय से होना लिखा गया है जो चालुक्य कहलाया। पश्चिमी सोलंकी राजा विक्रमादित्य छठे के समय के शिलालेख वि. 1133 (ई.1076) में लिखा गया है कि चालुक्य वंश भगवान ब्रह्या के पुत्र अत्रि के नेत्र से उत्पन्न होने वाले चन्द्रवंश के अंतर्गत आते हैं।
अग्निकुल के दूसरे कुल चैहानों के विषय में वि. 1225 (ई.1168) के पृथ्वीराज द्वितीय के समय के शिलालेख में चैहानों को चंद्रवंशी लिखा है। 'पृथ्वीराज विजय' काव्य में चैहानों को सूर्यवंशी लिखा है तथा बीसलदेव चतुर्थ के समय के अजमेर के लेख में भी चैहानों को सूर्यवंशी लिखा है।
आबू पर्वत पर स्थित अचलेश्वर महादेव के मन्दिर में वि. 1377 (ई. 1320) के देवड़ा लुंभा के समय के लेख में चैहानों के बारे में लिखा है कि सूर्य और चंद्र वंश के अस्त हो जाने पर जब संसार में दानवों का उत्पात शुरू हुआ तब वत्स ऋषि के ध्यान और चंद्रमा के योग से एक पुरूष उत्पन्न हुआ।
क्षत्रियों की 36 रॉयल मार्शल क्लेन आफॅ क्षत्रिय (क्षत्रियों के 36 शाही कुल)
इन 36 शाही कुलों (रॉयल मार्शल क्लेन) में 10 सूर्यवंशी, 10 चंद्रवशी, 4 अग्निवंशी, 12 दूसरे वंश । सभी लेखकों जैसे कर्नल जेम्स टॉड, श्री गौरीशंकर ओझा, श्री जगदीशसिंह परिहार, रोमिला थापर, स्वामी दयानन्द सरस्वती, सत्यार्थ प्रकाश, राजवी अमरसिंह, बीकानेरए शैलेन्द्र प्रतापसिंह-बैसवाडे़ का वैभव, प्रो. लाल अमरेन्द्र-बैसवाड़ा एक ऐतिहासिक अनुशीलन भाग-1, रावदंगलसिंह-बैस क्षत्रियों का उद्भव एवं विकास, ठा. ईश्वरसिंह मडाढ़ - राजपूत वंशाली, ठा. देवीसिंह मंडावा इत्यादि ने यह माना है कि क्षत्रियों के शाही कुल 36 है लेकिन किसी ने सूची में इनकी संख्या बढ़ा दी है और किसी ने कम कर दी है।
  1. पहली सूची चंद्रवर्दायी जिन्होंने पृथ्वीराजरासो लिखा है बाद इन्होंने पृथ्वीराज रासो के छन्द 32 में छन्द के रूप में कुछ क्षत्रियों के कुल को लिखा है जो इस प्रकार है।
  2. पृथ्वीराज रासो में चंद्रवर्दायी ने कुछ कुलों को एक छन्द (दोहा) के रूप में लिखा है। जो द्वितीय सूची के रूप में प्रकाशित हुई
  3. तृतीय सूची में 36 क्षत्रिय कुल कर्नल टॉड ने नाडोल सिटी (मारवाड़) के जैन मंदिर के पुजारी से प्राप्त कर प्रकाशित किया
  4. चतुर्थ सूची में हेमचंद्र जैन ने "कुमार पालचरित्र" में 36 क्षत्रियों की सूची प्रकाशित की।
  5. पंचम सूची में मोगंजी खींचियों के भाट ने प्रकाशित की
  6. छठी सूची में नैनसी ने 36 शाही कुलों तथा उनके राजधानियों का वर्णन किया गया है
  7. सातवीं सूची में जो पद्मनाभ ने जारी की में प्रकाशित हुई
  8. आठवीं सूची में हमीरयाना जो भन्दुआ में प्रकाशित की। 
इसमें 30 कुल का वर्णन है। इस प्रकार से कुल क्षत्रियों की 8 सूचियाँ प्रकाशित हुई। और करीब करीब सभी ने गणना में 36 शाही कुल माने है। प्रारम्भिक 36 कुलों की सूची में मौर्यवंशी तथा नाग वंश का स्थान न मिलना यही सिद्ध करता है कि ये प्रारम्भ में वैदिक धर्म में नहीं आये तथा बौद्ध बने रहे। तथा इतिहासकारों जैसे राजवी अमरसिंह, बीकानेर, प्रो. अमरेन्द्रसिंह, जगदीशसिंह परिहार, राव दंगलसिंह, शैलेन्द्र प्रतापसिंह, ठा. ईश्वरसिंह, ठा. देवीसिंह मंडावा, बीकानेर क्षत्रिय वंश का इतिहास आदि ने भी 36 कुल का वर्णन किया है।

प्रसिद्ध इतिहासकार श्री चिंतामणि विनायक वैद्य ने पृथ्वीराज रासो वर्णित पद्य को अपनी पुस्तक 'मिडाइवल हिन्दू इण्डिया' में 36 शाखाओं का विश्लेषण करते हुए लिखा है कि रवि, राशि और यादव वंश तो पुराणों में वर्णित वंश है, इनकी 36 शाखाएँ हैं। एक ही शाखा वाले का उसी शाखा में विवाह नहीं हो सकता। इसे नीचे से ऊपर की ओर पढ़ने से क्रमशः निम्न शाखाएँ हैः 1. काल छरक्के 'कलचुरि' यह हैहय वंश की शाखा है। 2. कविनीश 3. राजपाल 4. निकुम्भवर धान्यपालक 6. मट 7. कैमाश 'कैलाश' 8. गोड़ 9. हरीतट्ट 10. हुल-कर्नल टॉड ने इसी शाखा को हुन लिख दिया है जिससे इसे हूणों की भा्रंति होती है। जबकि हुल गहलोत वंश की खांप है। 11. कोटपाल 12. कारट्टपाल 13. दधिपट-कर्नल टॉड साहब ने इसे डिडियोट लिखा है। 14. प्रतिहार 15. योतिका टॉड साहब ने इसे पाटका लिखा है। 16. अनिग-टॉड साहब ने इसे अनन्ग लिखा है। 17. सैन्धव 18. टांक 19. देवड़ा 20. रोसजुत 21. राठौड़ 22. परिहार 23. चापोत्कट 'चावड़ा' 24. गुहीलौत 25. गोहिल 26. गरूआ 27. मकवाना 28. दोयमत 29. अमीयर 30. सिलार 31. छदंक 32. चालुक्य 'चालुक्य' 33. चाहुवान 34. सदावर 35. परमार 36. ककुत्स्थ ।

श्री मोहनलाला पांड्या ने इस सूची का विश्लेषण करते हुए ककुत्स्थ को कछवाहा, सदावर को तंवर, छंद को चंद या चंदेल, दोयमत को दाहिमा लिखा है। इसी सूची में वर्णित रोसजुत, अनंग, योतिका, दधिपट, कारट्टपाल, कोटपाल, हरीतट, कैमाश, धान्यपाल, राजपाल आदि वंश आजकल नहीं मिलते। जबकि आजकल के प्रसिद्ध वंश वैस, भाटी, झाला, सेंगर आदि वंशों की इस सूची में चर्चा ही नहीं हुई।

मतिराम के अनुसार छत्तीस कुल की सूची इस प्रकार है:-
1. सुर्यवंश 2. पेलवार 3. राठौड़ 4. लोहथम्भ 5. रघुवंशी 6. कछवाहा 7. सिरमौर 8. गहलोत 9. बघेल 10. काबा 11. सिरनेत 12. निकुम्भ 13. कौशिक 14. चन्देल 15. यदुवंश 16. भाटी 17. तोमर 18. बनाफर 19. काकन 20.रहिहोवंश 21. गहरवार 22. करमवार 23. रैकवार 24. चंद्रवंशी 25. शकरवार 26. गौर 27. दीक्षित 28. बड़वालिया 29. विश्वेन 30. गौतम 31. सेंगर 32. उदयवालिया 33. चैहान 34. पडि़हार 35. सुलंकी 36. परमार। इन्होनें भी कुछ प्रसिद्ध वंशों को छोड़कर कुछ नये वंश लिख दिये है। इन्होंने भी प्रसिद्ध बैस वंश को छोड़ दिया है।

कर्नल टॉड के पास छत्तीस कुलों की पाँच सूचियाँ थी जो उन्होंने इस प्रकार प्राप्त की थी:-
  1. यह सूची उन्होंने मारवाड़ के अंतर्गत नाडौल नगर के एक जैन मंदिर के यती से ली थी। यह सूची यती जी ने किसी प्राचीन ग्रंथ से प्राप्त की थी।
  2. यह सूची उन्होंने अन्तिम हिन्दू सम्राट पृथ्वीराज चैहान के दरबारी कवि चन्दबरदाई के महाकाव्य पृथ्वीराज रासों से ग्रहण की थी।
  3. यह सूची उन्होंने कुमारपाल चरित्र से ली थी। यह ग्रंथ महाकवि चन्दबरदाई के समकालीन जिन मण्डोपाध्याय कृत हैं। इसमें अनहिलावाड़ा पट्टन राज्य का इतिहास है।
  4. यह सूची खींचियों के भाट से मिली थीं
  5. पाँचवीं सूची उन्हें भाटियों के भाट से मिली थी।

इन सभी सूचियों से सामग्री निकालकर उन्होंने यह सूची प्रकाशित की थी:-
1. ग्रहलोत या गहलोत 2. यादु (यादव) 3. तुआर 4. राठौर 5. कुशवाहा 6. परमार 7. चाहुवान या चैहान 8. चालुक या सोलंकी 9. प्रतिहार या परिहार 10. चावड़ा या चैरा 11. टाक या तक्षक 12. जिट 13. हुन या हूण 14. कट्टी 15. बल्ला 16. झाला 17. जैटवा, जैहवा या कमरी 18. गोहिल 19. सर्वया या सरिअस्प 20. सिलार या सुलार 21. डाबी 22. गौर 23. डोर या डोडा 24. गेहरवाल 25. चन्देला 26. वीरगूजर 27. सेंगर 28. सिकरवाल 29. बैंस 30. दहिया 31. जोहिया 32. मोहिल 33. निकुम्भ 34. राजपाली 35. दाहरिया 36. दाहिमा।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें