यदि कोई भी व्यक्ति या समाज अपनी व्यक्तिगत लाभ के लिए किसी व्यवस्था को अच्छा बताता है तथा कोई व्यक्तिगत हानि होने पर उस व्यवस्था को खराब बताता है तो दोनों ही देश भक्त नही है। इसलिए आरक्षण की समीक्षा लाभ हानि से अलग रहकर करने की आवश्यकता है। विश्व में दो तरह के शासन रहते आये है।एक शासन को पुलिस स्टेट कहते हैं जिसके अन्तर्गत जो कानून है उसका शत प्रतिशत पालन होता है, किसी को कोई छूट नहीं है।इसको नकारात्मक भेदभाव वाला शासन कहा गया है।
दूसरा शासन वेलफेयर स्टेट है जिसे कल्याणकारी राज्य कहा गया है।इस शासन के अनुसार किसी कमजोर वर्ग या समाज को कुछ सहूलियत देने का प्रावधान होता है इसको सकारात्मक भेदभाव कहा गया है।
भारत की संस्कृति सदा ही सकारात्मक भेदभाव की समर्थक रही है। कमजोर की रक्षा करना यहा पुण्य का कार्य माना गया है। इसलिए कहा है कि-
सूरा सोई सराहीये,जो लडे हीन के हेत।
पुर्जा-पुर्जा हो गये,ताऊ ना छोड़े खेत।।
भारत में इंसान तो क्या पशु पक्षी के हित के लिए भी आम जनमानस तत्पर रहा है, यहां लोग चींटी को आटा खिलाना पुण्य मानते हैं।इसी कारण वसुधेव कुटुम्ब की भावना रही है। अतः भारत में राजतंत्र में भी कल्याणकारी राज्य की ही प्रशंसा की गई है। लेकिन जब भारत में विदेशियों का कब्जा हो गया तो यह धारणा भी दब गई। लेकिन जब विदेशी भी पुलिस स्टेट से परेशान हुए तो घूम कर वेलफेयर स्टेट की ओर मुड़े, सन् 1815 से ब्रिटिश शासन करने वाले वेलफेयर स्टेट के हिमायती बन गए।
इस व्यवस्था में यह कहा गया है कि यदि कोई गरीब परिवार में को बच्चे हैं, दोनों बच्चों को एक-एक किलो दूध माता-पिता देते हैं। यदि उनमें से एक बच्चा बीमार पड जाये तो डाक्टर यह सलाह देता है कि बीमार बच्चे को एक की जगह 1.5 किलो दूध दिजिए।पैसा ना होने के कारण वह परिवार दोनों बच्चों के लिए एक किलो दूध की अतिरिक्त व्यवस्था नहीं कर सकता।तो वह यह व्यवस्था बनाता है कि स्वस्थ बच्चे के एक किलो दूध में से आधा किलो दूध बीमार बच्चे को देने लगता है और जिस कारण स्वस्थ बच्चे को आधा किलो दूध तथा बीमार बच्चे को 1.5 किलो दूध मिल जाता है।जब तक बीमार बच्चा स्वस्थ होता वह इसी प्रकार व्यवस्था बनाता है,जब बीमार बच्चा स्वस्थ हो जाता है तो फिर दोनों को एक-एक किलो दूध मिलने लगता है।इस बंटवारे को सकारात्मक भेदभाव कहा गया है।
इसी प्रकार यदि बास्केटबॉल के दो खिलाड़ी मे से एक खिलाड़ी 6 फुट लम्बा है,दूसरा 5 फुट लम्बा है, दोनों के लिए गैंद को डालने वाली बास्केट यदि समान दूरी पर बंधी हो,तो वह 5 फुट के खिलाड़ी के साथ गलत ही तो होगा।यही आरक्षण का आधार है। दुनिया में गोरो ने कालो के साथ, अमीरों ने गरीबों के साथ,ऊंची जातियों ने नीची जातियों के साथ, पुरूषों ने महिलाओं के साथ भेदभाव किया है।इस कारण आज के आधुनिक युग में जो भी वेलफेयर कंट्री है, उनमें आरक्षण किसी ना किसी रूप में है। अमेरिका और इंग्लैंड में यह प्रिफरेंस के आधार पर है,कई देशों में यह आरक्षण अर्थात कोटा के रूप में है। भारत में 90%आबादी भेदभाव का शिकार रही है। आरक्षण की दो श्रेणियां हैं जिसमें एक होरिजेंटल तथा दूसरी वर्टिकल। भारत में वर्टिकल और होरिजेंटल दोनों तरह का आरक्षण है। एससी-एसटी, ओबीसी तथा आर्थिक आधार पर वर्टिकल आरक्षण है, महिला और दिव्यांग को होरिजेंटल आरक्षण है। वर्टिकल आरक्षण उसे कहते हैं कि जैसे भारत में 50% आरक्षण है, यदि कोई आरक्षण वर्ग का केंडिडेट जनरल से ज्यादा नम्बर ले आये तो वह जनरल मे ही गिन लिया जायेगा। परन्तु यदि कोई महिला या दिव्यांग जनरल से अधिक नम्बर ले आये तो वह अपने आरक्षित वर्ग में मे ही गीना जायेग।इसे होरिजेंटल आरक्षण कहते हैं।
अमेरिका के 50 राज्यों में से 41 राज्यों में आरक्षण है।
केनेडा में भारत की तरह ही आरक्षण है। चीन में 8% , जापान में 5% आरक्षण है।
भारत में संविधान की धारा 30 के अंतर्गत अल्पसंख्यकों के लिए भी आरक्षण है।
संदर्भ
1- आरक्षण क्या है- डा विकास दिव्य कीर्ति
https://youtu.be/oOSuGZeLxFM
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें